ओम नम: शिवाय: छपड़ेश्वर मंदिर
सोनीपत मार्ग स्थित खरखौदा का छपड़ेश्वर मंदिर प्राचीन धरोहर है। इस मंदिर के प्रति न केवल आसपास के क्षे
सोनीपत मार्ग स्थित खरखौदा का छपड़ेश्वर मंदिर प्राचीन धरोहर है। इस मंदिर के प्रति न केवल आसपास के क्षेत्रों की, बल्कि प्रदेश भर के लोगों की अपार श्रद्धा है। यहां पर दूर-दूर से दर्शनार्थी पहुंचते हैं। शिवरात्रि पर यहां मेला लगता है और बड़ी संख्या में कांवड़िये आकर शिवजी का जलाभिषेक करते हैं।
इतिहास
छपड़ेश्वर मंदिर उन दिनों का इतिहास अपने अंदर समेटे हुए है जब महाभारतकाल में यहां स्थित खांडव वन में श्रीकृष्ण व अर्जुन आकर ठहरे थे। श्रीकृष्ण व अर्जुन ने यहां कुबेर मंदिर की स्थापना कर पूजा -अर्चना की थी। अनदेखी के कारण एक समय ऐसा भी आया कि मंदिर व तालाब का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया था, लेकिन ब्रह्मलीन महंत श्रीकृष्णदास महाराज ने वर्ष 1991में यहां आकर न केवल इस प्राचीन धरोहर का संग्रहण किया बल्कि यहां पर एक विशालकाय गुफा रूपी मंदिर का निर्माण करवाया, जिससे आसपास के क्षेत्रवासियों की आस्था भी इस प्राचीन धरोहर के साथ जुड़ती चली गई।
तैयारियां
सावन का महीना शुरू होते ही अन्य भक्तों के साथ ही शिवभक्तों के लिए भी यहां पर ठहराव के विशेष प्रबंध किए गए हैं। शिवरात्रि पर श्रद्धालुओं को जलाभिषेक करने में कोई परेशानी न हो इसके लिए भी मंदिर प्रबंधन की ओर से खास तौर पर इंतजाम किए गए हैं। मंदिर में भजन,कीर्तन, हवन और भंडारे का आयोजन भी किया जा रहा है। शिवरात्रि पर प्रात: चार बजे से ही जलाभिषेक के लिए भक्तों की लाइन लग जाती है। इसके लिए सुरक्षा व्यवस्था का भी पूरा ध्यान रखा गया है।
कैसे पहुंचें मंदिर
खरखौदा बस स्टैंड से करीब 250 मीटर की दूरी पर यह शिव मंदिर है। शहर के किसी भी कोने से वाया बाईपास इस मंदिर में आसानी से पहुंचा जा सकता है। ऑटो द्वारा 15 से 20 मिनट में मंदिर पहुंच सकते हैं।
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श्री कृष्णदास महाराज ने वर्ष 1991 में खरखौदा के इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। इस प्राचीन धरोहर का कायाकल्प कर इसे श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक बना दिया है। श्रीकृष्णदास महाराज के प्रयास से ही तालाब के पास शिव की भव्य प्रतिमा स्थापित की गई है, जिसके नीचे गुफा बनाई गई है। शिवरात्रि पर यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
-मोहनदास महाराज, महंत।
मंदिर में शिवरात्रि की तैयारियां पूरी हो गई हैं। यहां पर बड़ी संख्या में कांवड़िये आते हैं। इस कारण जलाभिषेक के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं। मंदिर में साफ-सफाई व सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा गया है। सुबह से ही जल चढ़ाने वालों की लंबी-लंबी लाइनें लग जाती हैं। किसी तरह की अव्यवस्था न हो इसके लिए कई स्वयंसेवकों की ड्यूटी लगाई गई है।
-नरेंद्र, सेवादार।