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रघुकुल रीत सदा चल आई, प्राण जाई पर वचन न जाई

जागरण संवाददाता, सोनीपत: आदर्श क्लब की ओर से श्री हनुमान मंदिर कल्याण नगर में चल रही रामलीला म

By Edited By: Published: Tue, 20 Oct 2015 02:07 PM (IST)Updated: Tue, 20 Oct 2015 02:07 PM (IST)
रघुकुल रीत सदा चल आई, प्राण जाई पर वचन न जाई

जागरण संवाददाता, सोनीपत:

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आदर्श क्लब की ओर से श्री हनुमान मंदिर कल्याण नगर में चल रही रामलीला में राम वन गमन के प्रसंग का मंचन किया गया। राजा दशरथ से महारानी कैकेयी ने दो वरदानों के रूप में राम के लिए 14 वर्ष के वनवास और भरत के लिए राजगद्दी की मांग की। राजा दशरथ के बार-बार अनुनय-विनय करने पर भी रानी राजी नहीं होती है। वह अपने वचनों पर अडिग रहती है। वह राजा दशरथ से कहती है कि आपको परेशानी है तो अपने वरदान वापस ले लीजिए। इस पर राजा दशरथ ने कहा रघुकुल रीत सदा चली आई प्राण जाई पर वचन न जाई। राजा दशरथ ने कहा हमारे वंश में परंपरा रही है कि कोई भी अपने वचनों से नहीं फिर सकता है। राजा दशरथ विलाप करते रह गए और राम लक्ष्मण और सीता वन को चले गए। रामलीला के कलाकारों ने जीवंत अभिनय किया। श्रीराम के वन गमन से दर्शक भी भावुक हो गए।

श्रीराम की शरण में पहुंचे विभीषण

श्रीरामलीला सभा की ओर से कामी रोड स्थित रामलीला मैदान में चल रही रामलीला में राम और विभीषण मिलन के प्रसंग का मंचन किया गया। रावण और श्रीराम के बीच युद्ध की स्थिति बन जाने के बाद रावण का भाई विभीषण राम की शरण में पहुंचता है। राम उसे गले लगाते हैं। रावण से युद्ध शुरू करने से पहले भगवान श्री राम रामेश्वरम में भगवान शिव की पूजा- अर्चना करते हैं। इसके बाद रावण के दरबार में रावण और अंगद का संवाद प्रसंग का मंचन हुआ। रामलीला के कलाकारों का अभिनय देखकर दर्शक मंत्र मुग्ध हो गए।


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