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टी थ्री अभियान से होगा एनीमिया मुक्त भारत का सपना साकार

छह महीनों से पांच साल तक के एनीमिया से ग्रस्त बच्चों का आंकड़ा 58 फीसद ़ 15 से 19 साल तक

By JagranEdited By: Published: Thu, 12 Dec 2019 11:30 PM (IST)Updated: Fri, 13 Dec 2019 06:12 AM (IST)
टी थ्री अभियान से होगा एनीमिया मुक्त भारत का सपना साकार
टी थ्री अभियान से होगा एनीमिया मुक्त भारत का सपना साकार

छह महीनों से पांच साल तक के एनीमिया से ग्रस्त बच्चों का आंकड़ा 58 फीसद ़

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15 से 19 साल तक की 54 फीसद किशोरियां एनीमियाग्रस्त है। किशोरों का यह आंकड़ा 29 फीसद ह महिलाओं में यह 53 फीसद तथा गर्भवती महिलाएं औसतन आधी यानि 50 फीसद एनीमियाग्रस्त पाई गई है। जागरण संवाददाता, सिरसा : संतुलित पौष्टिक आहार के अभाव के कारण छोटे बच्चों, किशोरों व महिलाओं में रक्त की कमी चितनीय स्तर पर पहुंच गई है। वर्ष 2016 में करवाए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक छह महीनों से पांच साल तक के एनीमिया से ग्रस्त बच्चों का आंकड़ा 58 फीसद है जबकि 15 से 19 साल तक की 54 फीसद किशोरियां एनीमियाग्रस्त है। किशोरों का यह आंकड़ा 29 फीसद है। महिलाओं में यह 53 फीसद तथा गर्भवती महिलाएं औसतन आधी यानि 50 फीसद एनीमियाग्रस्त पाई गई है। केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2022 तक इन आंकड़ों में बदलाव आए और इसके लिए लक्ष्य भी निर्धारित कर दिये गए है। एनीमिया से मुक्ति के लिए सरकार ने टी थ्री अभियान शुरू किया है, जिसमें टेस्ट, ट्रीट और टॉक के माध्यम से एनीमिया पर काबू पाया जाएगा।

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यहां यह भी उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार के 2016 के सर्वे के मुकाबले इस समय एनीमियाग्रस्त बच्चों, किशोरों व महिलाओं का आंकड़ा काफी बढ़ चुका है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक यह आंकड़ा 70 फीसद को पार कर चुका है जो बेहद चिताजनक है। अगर एनीमिया पर काबू पा लिया जाए तो काफी हद तक रक्त की मांग भी कम हो सकती है। महिलाओं व किशोरियों में रक्त अल्पता आम बात है।

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एनीमिया या रक्त की कमी से लड़ने के लिए टी थ्री अभियान शुरू किया गया है, जिसके तहत पहले मरीज की जांच यानि टेस्ट होगा। फिर उसका ट्रीटमेंट यानि इलाज होगा और अंत में उसे टॉक यानि बातचीत के द्वारा पौष्टिक आहार बारे जानकारी दी जाएगी। अभियान के तहत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम लांच किया गया है, जिसमें स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों व किशोरों की जांच की जा रही है।

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सिरसा जिला में सभी एएनएम को डिजिटल एचबी मीटर दिये गए है, जिनके द्वारा रक्त की एक बूंद से ही शरीर में रक्त की मात्रा का पता लगाया जा सकता है। जिला में 250 डिजिटल एचबी मीटर दिये गए है। इसके अलावा 11 टीमें बनाई गई है, प्रत्येक टीम में दो डाक्टर, एएनएम तथा फार्मासिस्ट को शामिल किया गया है। यह टीम आंगनबाड़ी केंद्रों व स्कूलों में जाकर बच्चों की जांच करेगी वहीं गर्भवती महिलाओं की जांच स्वास्थ्य केंद्रों में होगी।

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टीम द्वारा एनीमिया होने के कारणों का पता लगाया जाता है। पेट में कीड़े है तो डी वार्मिंग दवा दी जाती है। यह दवाई छह महीने तक दी जाती है। खून की कमी होने पर आयरन की गोलिया फोलिक एसिड दी जाती है जो एक महीने में एक ग्राम खून बढ़ाती है।

भोजन में आयरन युक्त सब्जियां पत्तेदार सब्जियां, पालक, बथुआ, सरसो का साग, लोहे की कड़ाही में भोजन बनाना और संतुलित डाइट लेने के बारे में बताया जाता है।

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कितना रक्त होना चाहिए

गर्भवती महिला में - 11 ग्राम से ऊपर

सामान्य महिला में - 12 ग्राम

बच्चों में - 11 ग्राम पांच साल तक के बचें तक

किशोर - 13 ग्राम से उपर पांच साल से बड़े 12 वर्ष से ऊपर

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वर्ष 2016 में किए गए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में देशभर में एनीमिया का स्तर

बच्चा छह माह से पांच साल तक - 58 फीसद

15 से 19 साल तक की लड़कियां - 54 फीसद

15 से 19 साल तक के लड़के - 29 फीसद

गर्भवती महिलाएं - 53 फीसद

बच्चों को दुग्धपान करवाने वाली महिलाएं = 50 फीसद

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एनीमिया मुक्त भारत के तहत 2022 तक का लक्ष्य

बच्चा छह माह से पांच साल तक - 40 फीसद

15 से 19 साल तक की लड़कियां - 36 फीसद

15 से 19 साल तक के लड़के - 11 फीसद

गर्भवती महिलाएं - 35 फीसद

बच्चों को दुग्धपान करवाने वाली महिलाएं = 32 फीसद

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एनीमिया मुक्त भारत के लिए सरकार ने टी थ्री अभियान शुरू किया गया है, जिसमें एनीमियाग्रस्त बच्चों, किशोरों व महिलाओं की पहचान कर उन्हें ट्रीटमेंट दिया जाएगा और बातचीत के माध्यम से उन्हें पौष्टिक आहार अपनाने के बारे में जागरूक किया जा रहा है। सिरसा जिला में 11 टीमें लगाई गई है। एएनएम को 250 डिजिटल एचबी मीटर दिये गए है। - डा. बुधराम, नोडल अधिकारी, एनएचएम सिरसा


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