195 साल पहले बसा था गांव रामपुरा ढिल्लों
राजस्थान की सीमा से सटे पैंतालिसा क्षेत्र का गांव रामपुरा ढिल्लों अपने आप में 195 साल पुराना इतिहास समेटे हुए है। करीब 4000 की आबादी वाले गांव का रकबा 7400 बीघा (4625 एकड़) है। करीब 2600 मतदाता अपना प्रतिनिधि चुनकर देश की प्रजातांत्रिक प्रणाली को मजबूती प्रदान करते हैं।

संवाद सहयोगी, नाथूसरी चौपटा : राजस्थान की सीमा से सटे पैंतालिसा क्षेत्र का गांव रामपुरा ढिल्लों अपने आप में 195 साल पुराना इतिहास समेटे हुए है। करीब 4000 की आबादी वाले गांव का रकबा 7400 बीघा (4625 एकड़) है। करीब 2600 मतदाता अपना प्रतिनिधि चुनकर देश की प्रजातांत्रिक प्रणाली को मजबूती प्रदान करते हैं। गांव का इतिहास व सामाजिक तानाबाना जिला मुख्यालय से करीब 32 किलोमीटर दूर चौपटा खंड के बड़े गावों में शामिल रामपुरा ढिल्लों के बारे में गांव के बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि राजस्थान की सीमा से सटा होने के कारण राजस्थानी संस्कृति का काफी प्रभाव है। गांव में राजस्थानी बागड़ी भाषा बोली जाती है। संवत 1883 (सन 1826 ई. ) में राजस्थान के चुरू जिले के रामपुरा गांव से ढिल्लों गौत्र के तीन भाई सदाराम, बिन्जाराम व खेता राम ने आकर डेरा डाला। यहीं पर बसने का मन बना लिया जब उन्होंने पुराने गांव का नाम रामपुरा रखा व अपनी गौत्र के नाम को गांव के नाम से जोड़ दिया। इस तरह गांव का नाम रामपुरा ढिल्लों रखा गया। उन्होंने बताया कि संवत 1923 में अंग्रेज अधिकारी जार्ज जोजन ने गांव की 7400 बीघा जमीन पैमाइश की व गांव में तीन पट्टियां तुलछा पट्टी, ताजू पट्टी व खेताराम पट्टी बनाई गई। उसके बाद गांव मे धीरे धीरे कस्वां, ढिढारिया, ढाका, भिढ़ासरा, गढवाल, टांडी, हुड्डा, गोदारा, सहारण, बानिया, जाखड़, गोस्वामी, कुम्हार सहित कई जातियों के लोग आकर बस गये। गांव की 65 प्रतिशत आबादी जाट है। --- धार्मिक आस्था से ओतप्रोत है गांव धार्मिक आस्था से ओत प्रोत गांव में कई धार्मिक स्थल हैं। व में प्राचीन कृष्ण जी मन्दिर है जिसमें सभी गांव के लोग पूजा अर्चना करते हैं। गांव में बिजलाईनाथ का मन्दिर बना हुआ है जिसके प्रति लोगों की अटूट आस्था है। करीब 130 वर्ष पूर्व बरूवाली गांव से आकर बिजलाईनाथ नामक संत ने तपस्या करनी शुरू की तथा यहां एक कुटिया बनाकर रहने लगे। --- शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी है गांव गांव में चार सरकारी व एक निजी स्कूल है जिनमें एक राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, एक लड़कियों का प्राइमरी स्कूल, एक लड़कों का प्राइमरी स्कूल है। इसके अलावा गांव में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय है जिसमें चौपटा खंड की जरूरतमंद बालिकाओं को मुफ्त शिक्षा दी जाती है।
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