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    हरियाणा की जीत-हार में डेरा फैक्टर की भूमिका, चुनाव से पहले मिली पैरोल का BJP को फायदा, ऐसे शिफ्ट हुआ वोट

    हरियाणा में कई ऐसे राजनेता हैं जिनका राजनीतिक जीवन डेरा प्रमुख की कृपा पर ही निर्भर रहा है। वे विधायक सांसद और मंत्री डेरा अनुयायिओं की ठंडी नजर से ही बन पाए हैं। बदले में सरकार ने भी डेरा प्रमुख के प्रति हमेशा ठंडी निगाह रखी जिसका भाजपा और डेरा प्रमुख दोनों को समय-समय पर फायदा मिला है। बीजेपी को इस बार भी मिला है।

    By Sushil Kumar Edited By: Sushil Kumar Updated: Thu, 10 Oct 2024 09:31 PM (IST)
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    हरियाणा की जीत-हार में डेरा फैक्टर की भूमिका, चुनाव से पहले मिली पैरोल का BJP को फायदा।

    अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा के चुनावी रण में भाजपा की जीत और कांग्रेस की हार में भले ही कई फैक्टर ने काम किया हो, लेकिन डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी भी इस जीत व हार में बड़ा कारण बने हैं। प्रदेश की करीब तीन दर्जन विधानसभा सीटों पर डेरा प्रमुख को लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव से पहले मिली पैरोल का भाजपा को फायदा पहुंचा है।

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    राज्य में दो दर्जन विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां पर जीत और हार का अंतर बहुत कम है। ये वही सीटें हैं, जहां डेरा फैक्टर ने अहम भूमिका निभाई है। कहने को तो डेरा की राजनीतिक ¨वग लंबे समय से सक्रिय नहीं है और कोई पदाधिकारी इसका संचालन नहीं करता, लेकिन चुनाव के समय डेरा प्रमुख को मिलने वाली पैरोल अथवा फरलो बहुत कुछ इशारा करती है।

    किस दिशा में मुड़े डेरा अनुयायी

    विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एक डेरा अनुयायी ने वीडियो जारी कर कांग्रेस को डेरा प्रमुख का समर्थन मिलने का संकेत दिया, लेकिन उसके थोड़ी देर बाद ही डेरे के अधिकृत प्रवक्ता की ओर से बयान आया कि यह वीडियो गलत है। ऐसा कोई संकेत, निर्देश अथवा अनुरोध डेरा की ओर से नहीं किया गया है।

    कांग्रेस के लिए जारी वीडियो को डेरा के अधिकृत प्रवक्ता की ओर से खारिज कर दिए जाने का मतलब साफ था कि डेरा अनुयायिओं को किस दिशा में मुड़ना है।

    डेरा प्रमुख के प्रति बीजेपी नरम

    डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत के प्रति भाजपा सरकार शुरू से ही नरम रही है। साध्वियों के यौन शोषण के मामले में डेरा प्रमुख रोहतक की सुनारियां जेल में बंद हैं। सुनारिया के जेल अधीक्षक रह चुके पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान के बेटे सुनील सांगवान इस बार दादरी विधानसभा सीट से विधायक चुने गए हैं।

    गुरुग्राम में जेल अधीक्षक के पद से त्याग-पत्र देकर सुनील सांगवान राजनीति में कूदे हैं। सुनारियां जेल अधीक्षक रहते हुए डेरा प्रमुख की पैरोल व फरलो की जितनी भी अर्जियां आईं, उन सभी की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में सुनील का अहम योगदान रहा है। इसका उन्हें प्रतिफल भी मिला है।

    डेरा प्रमुख की कृपा पर नेता का सफर

    प्रदेश में कई ऐसे राजनेता हैं, जिनका राजनीतिक जीवन डेरा प्रमुख की कृपा पर ही निर्भर रहा है। वे विधायक, सांसद और मंत्री डेरा अनुयायिओं की ठंडी नजर से ही बन पाए हैं। बदले में सरकार ने भी डेरा प्रमुख के प्रति हमेशा ठंडी निगाह रखी, जिसका भाजपा और डेरा प्रमुख दोनों को समय-समय पर फायदा मिला है।

    जेल मंत्री रहते हुए डेरा प्रमुख की सारी पैरोल व फरलो की अर्जियों पर फैसला कराने में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व मंत्री रणजीत सिंह चौटाला इस बार रानियां विधानसभा सीट से चुनाव हार गए हैं।

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