Haryana Politics: 'कभी शाबाशी देने के लिए नहीं बुलाया', गोकुल सेतिया का छलका दर्द; कांग्रेस हाईकमान के खिलाफ खोला मोर्चा
कांग्रेस विधायक गोकुल सेतिया ने पार्टी आलाकमान पर उपेक्षा का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि भाजपा में मेयर तक को पीएम मोदी से मिलने का मौका मिलता है जबकि कांग्रेस में सिर्फ़ बड़े नेताओं तक ही हाईकमान सीमित है। सेतिया ने भाजपा की कार्यप्रणाली की सराहना की जिससे उनके भाजपा में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई हैं।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। धीरे-धीरे भाजपा के करीब होते जा रहे सिरसा के कांग्रेस विधायक गोकुल सेतिया ने कांग्रेस हाईकमान के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा में मेयर का चुनाव तक जीतने वालों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुलाकात करते हैं और हम अपनी मेहनत से विधानसभा चुनाव जीते, मगर कांग्रेस हाईकमान ने आज तक शाबाशी देने के लिए हमें नहीं बुलाया।
गोकुल सेतिया के इस हमले को उनकी कांग्रेस से दूर होने तथा भाजपा के करीब पहुंचने की सोची-समझी रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। गोकुल सेतिया विधानसभा चुनाव से तुरंत पहले तीन सितंबर-2024 को कांग्रेस में शामिल हुए थे।
पिछला चुनाव उन्होंने इनेलो के समर्थन से निर्दलीय लड़ा था, लेकिन हरियाणा लोकहित पार्टी के प्रमुख गोपाल कांडा ने उन्हें 600 वोटों से हरा दिया था। कांग्रेस में शामिल होने के बाद चुनाव लड़े गोकुल सेतिया ने इस बार भाजपा व हलोपा के संयुक्त उम्मीदवार गोपाल कांडा को हराया है।
'अब भाजपा क्यों अच्छी लगने लगी'
गोकुल सेतिया चुनाव नतीजों के बाद से भाजपा के संपर्क में हैं और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ मंच साझा करते हुए कई बार उनकी कार्यप्रणाली की सराहना कर चुके हैं। सेतिया की भाजपा के प्रति बढ़ रही नजदीकियों पर हलोपा प्रमुख गोपाल कांडा ने केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल के समक्ष यह कहते हुए आपत्ति जताई थी कि चुनाव के समय भाजपा को कोसने वालों को अब भाजपा क्यों अच्छी लगने लगी है, इसकी तह में जाने की जरूरत है।
गोकुल सेतिया के नाना लक्ष्मण दास अरोड़ा कांग्रेस की टिकट पर सिरसा से पांच बार विधायक रह चुके हैं। उनकी माता सुनीता सेतिया वर्ष 2014 में भाजपा की टिकट पर सिरसा से चुनाव लड़ चुकी हैं, लेकिन हार गई थीं। इससे रिश्ते बिगड़ने पर सेतिया परिवार ने भाजपा छोड़ दी थी।
गोकुल ने वाया पंजाब से नई दिल्ली का रास्ता चुनते हुए साल 2024 के चुनाव में कांग्रेस का टिकट मांगा था। गोकुल पंजाब के युवा कांग्रेस नेता अमरिंदर सिंह राजा वडिंग के जरिये कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचे थे।
तब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, हरियाणा कांग्रेस के तत्कालीन प्रभारी दीपक बाबरिया, हरियाणा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान और स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष अजय माकन ने गोकुल सेतिया को नई दिल्ली में चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल कराया था।
'हमारी कोई अहमियत नहीं'
भाजपा ने पिछले दिनों अपने अधिकारिक इंटरनेट पेज पर गोकुल सेतिया व उनके समर्थकों का एक वीडियो साझा किया था, जिसमें वे मुख्यमंत्री निवास पर खाना खा रहे थे। गोकुल सेतिया ने 11 लाइनों की एक पोस्ट में कहा कि दिल्ली में हमारी पार्टी की लगातार बैठकें हो रही हैं।
हमें आज तक इन बैठकों में नहीं बुलाया गया। सिर्फ जिनका पुराना और बड़ा नाम है, उन्हें ही मीटिंग में बुलाने का हकदार बना दिया गया है। हमारी कोई अहमियत नहीं है, जो धरातल पर रहकर अपनी सीट स्वयं के बूते पर जीतकर आए हैं। सिरसा में सारी पार्टियां मेरे खिलाफ थीं।
राज्य की 90 सीटों में एकमात्र सिरसा सीट थी, जिस पर भाजपा ने चुनाव लड़ने के लिए अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था। भाजपा ने हलोपा उम्मीदवार गोपाल कांडा को समर्थन दिया था। मेरे विरुद्ध सारी पार्टियां एकजुट हो गईं। फिर भी जनता के आशीर्वाद से मैं चुनाव जीता।
'कोई बड़े नेता प्रचार करने नहीं आया'
गोकुल सेतिया ने अपनी पोस्ट में कहा कि इतनी अप्रत्याशित जीत के बावजूद कांग्रेस हाईकमान ने शाबाशी देने के लिए मुझे नहीं बुलाया। यदि बुलाते तो बाकी विधायकों का भी हौसला बढ़ता। नगर परिषद के चुनाव में हमारे यहां कोई बड़ा नेता प्रचार करने नहीं आया। हम बहुत कम वोटों से नगर परिषद का चुनाव हारे।
भाजपा के जीते हुए मेयर तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिल रहे हैं। कांग्रेस हाईकमान के सामने हमारी क्या और कितनी अहमियत है, इसका अंदाजा यहीं से लगाया जा सकता है। दूसरी तरफ, गोपाल कांडा का कहना है कि जो आदमी अपनी पार्टी का नहीं हो सकता, वह भाजपा का भी नहीं हो सकता। भाजपा को उनके इस प्रेम की सच्चाई की तह में जाने की जरूरत है।
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