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    'हरियाणा सरकार जानबूझकर अब HKRN को कर रही है कमजोर, कुमारी सैलजा ने सीएम नायब पर साधा निशाना

    सांसद कुमारी सैलजा ने हरियाणा सरकार पर एचकेआरएन और अनुबंध कर्मचारियों के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार पहले कर्मचारियों को नियुक्त करती है और फिर उन्हें नियमित नहीं करती जो कि गलत है। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालयों के अनुबंधित कर्मचारियों को सेवा सुरक्षा अधिनियम में शामिल किया जाना चाहिए और सरकार द्वारा अधिनियम को कमजोर करने के प्रयासों की आलोचना की।

    By Surender Kumar Edited By: Sushil Kumar Updated: Mon, 25 Aug 2025 03:01 PM (IST)
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    सरकार जानबूझकर अब एचकेआरएन को कर रही है कमजोर: कुमारी सैलजा

    जागरण संवाददाता, सिरसा। सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार एचकेआरएन और अनुबंधित कर्मचारियों के साथ अन्याय कर रही है। पहले कर्मचारियों को नियुक्त कर लिया गया और अब कह रही है कि एचकेआरएन और अनुबंधित कर्मचारियों को नियमित नहीं किया जाएगा, जबकि अधिकतर कर्मचारी 10-15 साल से काम कर हैं और उनमें भी ज्यादातर ओवरऐज हो चुके है।

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    सरकार कर्मचारियों को हटाने के बजाए उन्हें ही नियमित कर उन्हें राहत प्रदान कर सकती है। साथ ही प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के अनुबंधित कर्मचारियों को भी सेवा सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत शामिल किया जाए।

    जारी बयान में सांसद सैलजा ने कहा है कि प्रदेश सरकार द्वारा चुनाव से पूर्व प्रदेश के 1,18,000 अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी करने और उन्हें सेवा सुरक्षा देने का जो अधिनियम पारित किया गया था।

    अब उसी अधिनियम को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है। सरकार ने हाल ही में यह घोषणा की है कि राज्य विश्वविद्यालयों के अंतर्गत कार्यरत अनुबंधित कर्मचारी इस अधिनियम के दायरे में नहीं आएंगे। यह निर्णय विश्वविद्यालयों में वर्षों से सेवाएं दे रहे कर्मचारियों के साथ घोर अन्याय और भेदभाव है।

    अनेक कर्मचारी 10-15 वर्षों से सेवाएं दे रहे हैं और ओवर-एज भी हो चुके हैं। अब यदि उन्हें अधिनियम से बाहर कर दिया जाएगा तो यह उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा। विश्वविद्यालयों की मजबूती और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए वहां कार्यरत कर्मचारी एक अहम स्तंभ हैं।

    सरकार द्वारा विश्वविद्यालयों की आर्थिक स्थिति की अनदेखी करना और कर्मचारियों को सेवा सुरक्षा से वंचित करना, शिक्षा व्यवस्था को कमजोर करने का कार्य है।