हिम्मत की हकीकत बन रही हैं हरियाणवी बेटियां, बसों के स्टीयरिंग थाम समाज की सोच को दी नई दिशा
सिरसा की बेटियां अब हिम्मत की मिसाल बन रही हैं। खेतों में ट्रैक्टर चलाने से शुरू हुआ उनका सफर रोडवेज बस चलाने तक पहुंच गया है। पिछले एक साल में लगभग 20 युवतियों ने हैवी वाहन चलाने का लाइसेंस प्राप्त किया है। वे सरकारी नौकरी या विदेश में अपनी पहचान बनाना चाहती हैं। उनकी प्रेरणा उनकी मां हैं, जो खेतों में ट्रैक्टर चलाती हैं।

अमनदीप कंबोज, सिरसा। सिरसा की ये बेटियां अब हिम्मत की हकीकत बन रही हैं। खेतों में ट्रैक्टर चलाने से शुरू हुआ उनका सफर आज रोडवेज बस की स्टीयरिंग तक पहुंच चुका है। जहां कभी गाड़ी चलाना पुरुषों का क्षेत्र माना जाता था, वहां अब किसान परिवारों की बेटियां हौसले के इंजन से बदलाव की रफ्तार बढ़ा रही हैं। बीते एक वर्ष में सिरसा की करीब 20 युवतियों ने हैवी वाहन चलाने का लाइसेंस बनवाया है।
कोई सरकारी चालक बनकर प्रदेश की सड़कों पर उतरना चाहती है तो कोई विदेश में अपने हुनर से पहचान बनाना चाहती है। यह सिर्फ ड्राइविंग नहीं, बल्कि परंपराओं की सीमाओं को पार करने की रफ्तार है।
ट्रैक्टर से शुरू हुआ सफर, अब बस की स्टीयरिंग तक पहुंचा हौसला
तेजासिंह ढाणी निवासी निशा बताती हैं कि पिता को गाड़ी चलाते देखकर ही दिल में चालक बनने की इच्छा जगी। 11 साल की उम्र में ट्रैक्टर चलाना सीखा था, अब बस की ट्रेनिंग ले रही हूं।
निशा वर्तमान में बीए की छात्रा हैं और कहती हैं, ‘अगर सरकारी नौकरी मिली तो यहीं रहूंगी, वरना विदेश का रुख करूंगी।’ पिछले पांच माह में सात युवतियां यहां ट्रेनिंग प्राप्त कर चुकी हैं। स्कूल में 35 दिन तक प्रतिदिन 10 किलोमीटर बस संचालन की प्रैक्टिस करवाई जाती है।
मां खेत में खुद चलाती थी ट्रैक्टर, वो बनी प्रेरणा, बेटी बनी मिसाल
भंगू निवासी रचना वर्मा की प्रेरणा उनकी मां हैं, जो खुद ट्रैक्टर से खेत की जुताई और स्प्रे तक का काम करती हैं। रचना बीएएमएस की पढ़ाई के साथ रोडवेज बस चलाने की ट्रेनिंग ले रही हैं। वह मुस्कुराते हुए कहती हैं, ‘मां को खेतों में ट्रैक्टर चलाते देख समझ आया कि हिम्मत से बढ़कर कोई ताकत नहीं होती।’
कानून की पढ़ाई के साथ जुनून की सवारी शाहपुरिया निवासी संगीता एलएलबी की छात्रा हैं। एक वर्ष पहले उन्होंने हल्के वाहनों का लाइसेंस बनवाया और अब हैवी लाइसेंस भी ले लिया है। वह कहती हैं, ‘वाहन चलाने का शौक बचपन से था। अब बस की स्टीयरिंग थामकर दिखाऊंगी कि बेटियां किसी मोड़ पर कम नहीं।’
अकेले सिरसा में एक वर्ष में 1885 हेवी वाहन चलाना सीख चुके हरियाणा रोडवेज ट्रेनिंग स्कूल सिरसा के इंचार्ज कुलदीप पाबड़ा बताते हैं कि केवल पिछले पांच माह में सात युवतियों ने हैवी वाहन चलाने की ट्रेनिंग ली है। एक वर्ष में करीब 20 युवतियां प्रशिक्षित हो चुकी हैं। उन्होंने बताया। इस वर्ष अब तक 1885 प्रशिक्षु ड्राइवर यहां प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं।

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