258 बच्चे, 140 महिलाओं समेत जिंदा जले 442 लोग.... हरियाणा का वो मनहूस 23 दिसंबर; याद में अब तक नहीं सूखे आंसू
डबवाली में 1995 में हुए भीषण अग्निकांड में 442 लोग मारे गए थे, जिनमें 258 बच्चे और 140 महिलाएं शामिल थीं। यह हादसा डीएवी स्कूल के वार्षिकोत्सव में हुआ ...और पढ़ें

डबवाली अग्निकांड: 442 लोगों की मौत की 30वीं बरसी। फाइल फोटो (सोर्स- सोशल मीडिया)
डीडी गोयल, डबवाली। हरियाणा के इतिहास की सबसे मनहूस तारीख थी वर्ष 1995 की 23 दिसंबर। अंतिम कोने में पंजाब-राजस्थान की सीमा पर स्थित सिरसा जिले के शहर डबवाली में भीषण अग्निकांड घटित हुआ। महज सात मिनट में 442 बच्चे, युवा, महिला तथा पुरुष काल का ग्रास बन गए। 30 बरस बीत चुके हैं अग्निकांड को, पीड़ा आज भी जस की तस बरकरार है।
हालात ऐसे हैं कि देश-विदेश में कहीं आगजनी की घटना होती है तो पीड़ितों को अपना दुःख नजर आता है। डबवाली में बहुत से लोग तो ऐसे हैं, जब 23 दिसंबर आती है तो वे पूरा दिन घर से बाहर नहीं निकलते। वर्ष 1995 में जो भीषण मंजर देखा था, वह सामने नजर आता है।
दरअसल, यहां अग्निकांड हुआ, वहां डीएवी स्कूल का सातवां वार्षिकोत्सव था। यह कार्यक्रम राजीव मैरिज पैलेस में चल रहा था। मंच पर नन्हें-मुन्नें बच्चे प्रस्तुति दे रहे थे। बताते हैं कि उस समय करीब 1500 दर्शक मौजूद थे। दोपहर बाद 1.47 बजे शार्ट सर्किट हुआ, तो आग लग गई। सात मिनट में 442 लोगों की जिंदा जलने से मौत हो गई। मृतकों में 258 बच्चे, 140 महिलाएं तथा 44 पुरुष शामिल थे।
जबकि 150 लोग गंभीर रुप से अग्नि में झुलस गए थे। यहां अग्निकांड हुआ था, वहां अब स्मारक बना हुआ है। स्मारक पर 440 मृतकों के नाम लिखे हुए हैं। एक कमरे में मृतकों की फोटो लगी हुई हैं। हर साल 23 दिसंबर को अग्निकांड पीड़ित तथा अन्य लोग स्मारक पर श्रद्धासुमन अर्पित करने आते हैं। अक्सर परिचितों को याद करते हुए ये लोग आंखे नम कर लेते हैं।
शार्ट सर्किट माना गया था अग्निकांड का कारण
डबवाली अग्निकांड के कारण तालाशने के लिए दो बार उच्च स्तरीय जांच हुई। पहली जांच हिसार के तत्कालीन कमीशनर केसी शर्मा ने की थी। दूसरी जांच सीबीआइ ने की थी। अग्निकांड पीड़ितों का कहना है कि दोनों जांच में अग्निकांड का कारण शार्ट सर्किट बताया गया था।
बिजली निगम, शहरी स्थानीय निकाय, पैलेस मालिकों, दो निजी बिजली कर्मचारी समेत 14 लोग दोषी ठहराए गए थे। आरोपितों पर गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज हुआ था। अंबाला की सीबीआइ अदालत ने सजा सुनाई थी। बाद में पंजाब एवं हरियाणा हाइकोर्ट ने बरी कर दिया था।
इन कारणों के कारण तेजी से फैली आग
अक्सर सवाल पूछा जाता है कि इतनी बड़ी अग्नि त्रासदी कैसे हुई? इस सवाल से पर्दा उठाते हुए सीबीआइ ने रिपोर्ट दी थी कि मैरिज पैलेस में बने शैड तले कार्यक्रम के लिए दो बिजली कनेक्शन लगाए गए थे। ट्रिपिंग के समय जेनरेटर का चेंज ओवर बदला नहीं गया था।
जिसकी वजह से शार्ट सर्किट हो गया। पंडाल की सजावट के लिए पीवीसी शीट, जूट की रस्सी, बांस, पोलीथिन आदि सामान का प्रयोग किया गया था। सीबीआइ ने यह भी बताया था कि उपरोक्त कारणों के कारण आग फैलने में बहुत कम समय लगा।
करीब 50 करोड़ रुपये मुआवजा मिला
मुआवजे समेत अन्य मांगों के लिए पीड़ितों ने वर्ष 1996 में अदालत का दरवाजा खटखटाया था। 405 मृत, 88 घायलों के परिवारों ने केस फाइल किए थे। पंजाब एवं हरियाणा हाइकोर्ट ने इलाहाबाद हाइकोर्ट के सेवानिवृत जस्टिस टीपी गर्ग पर आधारित एक सदस्यीय आयोग बनाया था। आयोग की रिपोर्ट के आधार पर हाइकोर्ट ने वर्ष 2009 में पीड़ितों को 34.14 करोड रुपये मुआवजा ब्याज सहित देने के आदेश दिए थे। पीड़ितों को करीब 50 करोड़ रुपये मुआवजा मिला है।
मृतकों की उम्र----केस
0 से 10----173
महिलाएं----136
पुरुष------39
11 से 15---38
16 से 22---20
घायल----संख्या
अविवाहित लड़कियां----30
अविवाहित लड़के------29
विवाहित महिलाएं------19
विवाहित पुरुष--------10
(डेटा डबवाली अग्नि पीड़ित संघ अनुसार)

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