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    Haryana News: पराली न जलाने को लेकर जागरूक हुए किसान, बेलर मशीनों से गांठें बनाकर कर रहे प्रबंधन

    By Surender KumarEdited By: Deepak Saxena
    Updated: Sat, 14 Oct 2023 05:55 PM (IST)

    हरियाणा में पराली जलाने (Burning Stubble in Haryana) की समस्या सरकार के लिए एक बड़ी समस्या बनी हुई है। वहीं सिरसा के जागरूक किसानों ने पराली के प्रबंधन के लिए उसे बेलर मशीन से गांठे बना रहे हैं। वहीं किसानों को सरकार से इसके लिए आर्थिक सहायता भी दी जा रही है। इसके साथ ही किसान अपने साथी किसान भाईयों को भी जागरूक कर रहे हैं।

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    पराली न जलाने को लेकर जागरूक हुए किसान, बेलर मशीनों से गांठें बनाकर कर रहे प्रबंधन।

    संवाद सहयोगी, बड़ागुढ़ा (सिरसा)। घग्गर नदी के तटवर्ती क्षेत्र में अब धुएं के गुब्बार नजर नहीं आते। कारण स्पष्ट है कि किसान पराली को जलाने के बजाय उसका प्रबंधन कर आर्थिक तौर पर सुदृढ़ भी बन रहे हैं। सरकार भी उन्हें विभिन्न प्रकार से आर्थिक मदद देकर उन्हें जागरूक कर रही है। अब क्षेत्र के किसानों में जागरुकता बढ़ी है तो पराली को आग लगाने के बजाय उसका प्रबंधन शुरू कर दिया है।

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    किसानों के पराली प्रबंधन के बाद जहां खेतों की उपजाऊ शक्ति बढ़ रही है वहीं किसानों की आर्थिक दशा भी बेहतर हो रही है। दैनिक जागरण की ओर से भी किसानों को पिछले कई वर्षों से पराली को आग न लगाने व उसके प्रबंधन के लिए जागरूक किया जा रहा है। उसी का भी परिणाम है कि किसान पराली को जला नहीं रहे हैं। पराली प्रबंधन को लेकर बड़ागुढ़ा क्षेत्र के किराड़कोट, बुढाभाना, मल्लेवाला, बुर्ज कर्मगढ़, झिड़ी, नागोकी, अलीकां आदि गांवों में धान उत्पादक प्रगतिशील किसानों द्वारा धान कटाई के बाद पराली को जलाने की बजाय बेलर मशीन द्वारा गांठें बनाई जा रहीं है।

    बेलर मशीन से बना रहे गांठे

    इन गांठों को ट्रैक्टर ट्राले में लोड कर राजस्थान या पंजाब में ले जाकर बेचा जाता है। इसके अलावा किसानों द्वारा हैप्पी सीडर या सुपर सीडर मशीनों द्वारा भी सीधे ही गेहूं की बिजाई की जाने लगी है जिससे पराली जलाने की घटनाओं में काफी हद तक कमी आई है। किसान बेलर मशीन से बना रहे गांव अलीकां के प्रगतिशील किसानों का कहना है कि आज के आधुनिक मशीनी युग में अधिकतर किसान धान कटाई के बाद पराली को जलाने की बजाय बेलर मशीन से गांठे बनाने में जुटे हुए हैं।

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    पराली जलाने से होती उर्वरा शक्ति कमजोर

    किसान अब दूसरे किसानों से भी अपील करने लगे हैं कि वे फसली अवशेषों को न जलाएं इससे वातावरण प्रदूषित होता है, जमीन की उर्वरा शक्ति कमजोर होती है। अब सरकार भी किसानों को कृषि यंत्रों पर अच्छी सब्सिडी दे रही है। सब्सिडी पर कृषि यंत्र खरीदकर किसान पराली का बेहतर प्रबंधन कर रहा है। अनेक किसान तो ऐसे भी हैं जो स्टाक कर रहे हैं और बाद में अच्छा भाव होने पर बेच देते हैं।

    विभागीय टीमें भी किसानों को कर रही जागरूक

    बड़ागुढ़ा खंड कृषि अधिकारी डॉ. प्यारे लाल ने बताया कि सिरसा जिला कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की टीमों द्वारा क्षेत्र में समय समय पर पराली प्रबंधन को लेकर सीआरएम स्कीम के तहत गांवों में किसान प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। टीमों द्वारा इन जागरुकता शिविरों के माध्यम से किसानों को पराली प्रबंधन के उचित प्रबंध करने के बारे जागरूक किया गया। इससे पहले के समय और मौजूदा समय में काफी अंतर देखने को मिल रहा है।

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