1962 के भारत-चीन युद्ध मेंं सिरसा के लुदेसर के 47 जवानों ने दुश्मन से लिया लोहा
1962 के भारत-चीन युद्ध में सिरसा जिले के एक ही गांव लुदेसर के 47 सैनिकाें ने अपनी बहादुरी दिखाई थी। लुदेसर गांव के जवानों ने इसके बाद भी कई जंग में अपना पराक्रम दिखाए।
सिरसा, [महेंद्र सिंह मेहरा]। 1962 के भारत-चीन के युद्ध का उल्लेख आते ही सिरसा के लुदेसर गांव की शौर्यगाथा याद हो उठती है। इसकी वजह गांव वे 47 वीर सिपाही रहे हैं, जिन्होंने इस युद्ध में हिस्सा लिया था। यहां के सैनिकों ने चीन के कई जवानों को मार गिराया था। पराक्रम की यह मिसाल गांव के सपूतों ने 1965 व 1971 के युद्ध में भी कायम रखी थी।
पराक्रम की निशानी हैं वार मेमोरियल
भारत व चीन के बीच 1962 की लड़ाई में जिन 47 सैनिकों ने भाग लिया था, उनके सम्मान में गांव में बने वार मेमोरियल में उनके नाम और पराक्रम की गाथा अंकित हैं। इससे नई पीढ़ी भी प्रेरणा ले रही है और सेना में विभिन्न मोर्चों पर पराक्रम दिखा रहे हैं। वार मेमोरियल पर 15 अगस्त व 26 जनवरी को ध्वजारोहण भी किया जाता है।
हर घर से निकला सैनिक
लुदेसर गांव ऐसा है जहां हर घर में कोई न कोई सैनिक रहा है। प्रथम विश्व युद्ध 1914-19 के समय गांव की आबादी 400 थी। उस समय 42 जवान सेना में भर्ती थे। गांव में हर परिवार से सैनिक थे। सैनिकों ने ब्रिटिश सेना की ओर से महायुद्ध में भाग लिया। सरकार ने 1921 में इन सैनिकों के सम्मान में यहां वार मेमोरियल स्थापित करवाया था। वहीं दस साल के लिए गांव का आबियाना माफ किया गया।
दूसरे विश्वयुद्ध 1939-45 में इस गांव के 11 सैनिक शहीद हुए थे। इस पर गांव में एक और स्मारक बनाया गया। वर्ष 1962 भारत चीन के बीच युद्ध में 47 जवानों ने भाग लिया। इसके बाद भारत-पाक के बीच हुई लड़ाई में 36 सैनिकों ने भाग लिया।
युद्ध में नायक रिसालदार विजय ङ्क्षसह छाती पर बम बांधकर पाक टैंक के आगे कूद गए थे। टैंक को नष्ट कर वे शहीद हो गए थे। वर्ष 1971 भारत पाक के युद्ध में भी 20 सैनिकों ने भाग लिया। गांव के शहीदों व वीर सैनिकों की याद में एक और स्मारक लगाया गया। कुल मिलाकर इस गांव में सात विजय स्मारक बनाए गए हैं।
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गांव की युवा सरपंच योगेश कुमारी।
'' हमारे गांव के 47 जवानों ने भारत व चीन के बीच हुए युद्ध में भाग लिया था। उनके सम्मान में बने स्मारक हमें गौरवपूर्ण अनुभूति कराते हैं। हमारे गांव के जवानों ने प्रथम युद्ध से लेकर आज तक हुए सभी युद्धों में भाग लिया है। गांव के युवा आज भी देश के सर्वोच्च न्योछावर करने में पीछे नहीं हिचकेंगे।
- योगेश कुमारी, सरपंच, लुदेसर गांव।
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