जज्बे से जीता जग : 13 में शादी व 15 की उम्र बनी मां, 18 में बनी पहलवान
हरियाणा में जज्बे और संघर्ष से मुकाम बनाने वाले जाबांजों की कमी नहीं है। महम की महिला पहलवान नीतू भी इसमें शामिल है। नीतू ने अपने सपने को जैसे साकार किया वह प्रेरणादायी है।
अजमेर गोयत, महम(रोहतक)। हरियाणा की धरती जज्बे और संघर्ष की बेमिसाल कहानियों से भरी पड़ी है। यहां महावीर फौगाट और उनकी बेटियों गीता और बबीता की तरह ही कई खिलाडियों ने विषम और विपरीत हालातों से जूझ कर मुकाम हासिल किया व मिसाल बन गए। ऐसी ही एक बहादूर बेटी है महम कस्बे की युवती नीतू। वह महज १३ वर्ष की उम्र में दो बार ब्याही गई। 15 वर्ष की उम्र में दो बच्चों की मां बन गई, बावजूद इसके उसने अपने सपने को नहीं मरने दिया। वह 18 साल की उम्र में महिला पहलवान के रूप में झंडे गाड़ने शुरू कर दिए। आज वह 20 साल की है और देश की जानी मानी रेसलर बन चुकी हैं।
देश की या शायद दुनिया की भी पहली ऐसी महिला रेसलर होगी, जिसका चयन दो बच्चों की मां होने के बाद जूनियर नेशनल चैंपियनशिप के लिए हुआ। उसे सोमवार को सीमा सुरक्षा बल ने सब इंस्पेक्टर पद पर नियुक्ति का पत्र दिया। हालांकि इसके लिए कुछ दिन इंतजार करना होगा, क्योंकि सब इसंपेक्टर के लिए कक्षा 12 पास होना जरूरी है। उसने परीक्षा दी हुई है और रिजल्ट का इंतजार है।
नीतू अपने जुड़वां बच्चों के साथ।
नीतू बचपन से ही सपना है कि पहलवान बनूं और गोल्ड मेडल जीतूंगी। लेकिन, 13 साल की उम्र में पिता ने विवाह कर दिया। 45 साल की उम्र के अधेड़ के साथ। पिता की भी मजबूरी थी। घर में खाने के लाले थे तो बेटी के हाथ पीले करने का खर्च कहां से लाते। नीतू ससुराल तो गई, लेकिन पिता के घर भिवानी के विद्यानगर लौट आई। पिता ने सोचा बेमेल विवाह ही लौटने का कारण है। इसलिए महम के गांव बेड़वा के संजय के साथ दूसरी शादी कर दी।
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महज 15 साल की उम्र में वह जुड़वां बच्चों की मां बन गई। पति संजय से वह अपने पहलवान बनने के ख्वाब साझा करती थी। इसके बाद संजय ने प्रोत्साहित किया। उसने प्रैक्टिस शुरू कर दी। उसका राष्ट्रीय जूनियर चैंपियनशिप के लिए चयन हुआ और उसने ब्रांज मेडल जीत लिया। उसके बाद वह कई मेडल अपने नाम कर चुकी है। वह अगस्त 2015 वह ब्राजील में हुई जूनियर चैंपियनशिप में देश का प्रतिनिधित्व भी कर चुकी है।
अभ्यास के दौरान नीतू।
मेहनत से हासिल किया मुकाम
नीतू ने अपना सपना साकार करने के लिए बहुत मेहनत की। वह काली जैकेट पहनकर गर्मियों में 10-10 किलोमीटर दौड़ लगाती थी। ऐसा वह शरीर को मजबूत बनाने ओर सहनशक्ति बढ़ाने के लिए करती थी। पति संजय का साथ मिला तो उसने सुबह तीन बजे उठना शुरू किया। संजय सुबह चार बजे बाइक से लेकर उसे घर से 40 किलोमीटर दूर रोहतक स्थित छोटूराम स्टेडियम लेकर पहुंचता। वहां वह सात बजे तक अभ्यास करती, फिर वह उसे लेकर लौटता। नीतू एक झटके में 15 किलो वजन तोड़ सकती है।
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यह प्रक्रिया कई सालों तक चलता चलती रही। वह स्थानीय और प्रदेश स्तर की प्रतियोगिताएं जीतती रही। सन 2014 में नेशनल जूनियर चैंपयिनशिप के लिए चुन ली गई। वह बताती है कि सीमा सुरक्षा बल ने तो उसे नियुक्ति दे दी। लेकिन रेलवे ने ऑफर के बाद भी नौकरी नहीं दी। खेलों के विकास को लेकर बड़े बड़े दावे करने वाली हरियाणा सरकार ने भी उसके आवेदनों पर विचार नहीं किया।
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