इंदिरा गांधी को लिखा था आपातकाल के विरोध में पत्र, पकड़ने पहुंच गई थी पुलिस; पूर्व सैनिक ने भयावह दिनों को किया याद
रोहतक के दरियाव नगर के पूर्व नौसैनिक वेदपाल राठी ने 1975 में लगे आपातकाल के दौरान के अपने अनुभवों को साझा किया। उन्होंने बताया कि इंदिरा गांधी को आपातकाल के विरोध में पत्र लिखने के बाद पुलिस उन्हें पकड़ने आई थी क्योंकि उस समय नसबंदी अभियान चल रहा था। पुलिस ने उनके चाचा की जबरन नसबंदी करवा दी थी।

रत्न पंवार, रोहतक। सन् 1971 की लड़ाई के बाद मैं नौसेना के लीडिंग-सीमैन पद से सेवानिवृत होकर घर आया था। गठिया बाय होने के कारण नौसेना से अपंगता पेंशन पा ली। मैं बलंभा गांव में रहता था। 1974 में चौ. देवीलाल व चौ. चांदराम गांव में आए और उन्होंने गांव से समर्थन मांगा था।
आपातकाल लगने के समय मेरी उम्र 34 साल थी। एक शिक्षक होने के नाते मैंने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को आपातकाल के विरोध में पत्र लिख दिया। पत्र लिखने के बाद जब मैं डाकखाने गया तो वहां पोस्टमास्टर की जिम्मेदारी एक स्कूल टीचर को सौंपी गई थी। जब पत्र पोस्टमास्टर को दिया तो उन्होंने चोरी छिपे इसे पढ़ लिया और मेरी सेना पेंशन की कापी मांगी।
आपातकाल के खिलाफ खोला था मोर्चा
साथ ही डाक रजिस्ट्री भेजने के पैसे भी लिये और बोले इसकी रसीद मैं आपके घर भेज दूंगा। रसीद और पेंशन कापी घर नहीं पहुंची तो मैं रसीद लेने डाकखाने गया। पोस्टमास्टर मुझे टरकाता रहा। उन्हें शक था कि यदि डाक भेज दी तो बड़ा विरोध हो जाएगा, क्योंकि हमने आपातकाल के खिलाफ मोर्चा खोला था।
जुलाई में एक दिन पुलिस ने मेरे घर पर छापा मारा, लेकिन मैं कहीं बाहर गया था। जब वापस आया तो पड़ोसियों ने बताया कि पुलिस आई थी और पूछताछ कर चली गई है। असल में पुलिस आने का मतलब था कि वे पकड़कर नसबंदी करवा देंगे। इसलिए हम छिपे हुए थे।
पुलिस ने मुझे गिरफ्तार नहीं किया
अचानक एक दिन हमारे 60 साल के चाचा जो गैर शादीशुदा थे, उन्हें पुलिस ने जबरन पकड़ लिया और नसबंदी करवा दी। पुलिस हमे तलाश रही थी। सितंबर में पुलिस फिर से मेरे घर पर आई, मैं उस समय खेत में बाजरे की रखवाली कर रहा था।
पुलिस वाले खेत में ही मेरे पास पहुंचे, लेकिन तब तक गिरफ्तारियां बंद हो चुकी थीं। पुलिस ने मुझे गिरफ्तार नहीं किया, लेकिन विरोध न करने की सलाह दी। आपातकाल की बुरी यादें आज तक भी दिमाग पर छपी हुई हैं। उक्त बातें रोहतक के दरियाव नगर वासी पूर्व नौ सैनिक मा. वेदपाल राठी ने जागरण संवाददाता से बातचीत में कही।
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