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    रोहतक में पीजीआई में हर रोज पहुंच रहीं ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित दो महिलाएं, आधे से ज्यादा की उम्र 50 से कम

    Updated: Thu, 02 Oct 2025 07:31 PM (IST)

    आधुनिक जीवनशैली और तनाव के कारण महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। प्रियंका देशवाल के अनुसार अब यह बीमारी युवतियों को भी प्रभावित कर रही है और ज्यादातर मामले अंतिम अवस्था में पता चलते हैं। रोहतक पीजीआईएमएस में हर महीने 50 से अधिक महिलाएं इलाज के लिए आती हैं।

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    महिलाओं में तेजी से बढ़ रहा ब्रेस्ट कैंसर। सांकेतिक तस्वीर

    प्रियंका देशवाल, रोहतक। आधुनिक जीवनशैली, असंतुलित खानपान और बढ़ता मानसिक तनाव अब महिलाओं के स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल रहे हैं। इसी का सबसे गंभीर उदाहरण है महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी। यह बीमारी अब न केवल मध्यम आयु वर्ग बल्कि युवतियों को भी प्रभावित कर रही है। सबसे बड़ी चुनौती देर से निदान की है।

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    यहां आने वाली लगभग 40 प्रतिशत महिलाओं को कैंसर की जानकारी अंतिम अवस्था में मिलती है, जिससे ऑपरेशन या इलाज के अवसर सीमित हो जाते हैं। जबकि शुरुआती अवस्था में आने वाली 60 फीसदी महिलाओं का सफल ऑपरेशन संभव हो पाता है। रोहतक स्थित पीजीआईएमएस (पंडित भगवत दयाल शर्मा स्नातकोत्तर चिकित्सा संस्थान) में हर दिन औसतन दो नई महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के लिए पहुंचती हैं।

    हर माह 50 से अधिक और वर्ष भर में करीब 600 मरीज यहां जांच और उपचार के लिए आते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि दो दशक पहले तक यह बीमारी ज्यादातर 50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में पाई जाती थी, लेकिन अब 28 से 30 वर्ष की युवतियों में भी तेजी से फैल रही है। पीजीआई के आंकड़ों के अनुसार, 15 प्रतिशत मरीज 40 वर्ष से कम आयु वर्ग में हैं जबकि 50 प्रतिशत से अधिक महिलाएं 50 वर्ष से कम आयु की हैं।

    शहरी जीवनशैली बन रही मुख्य कारण डॉक्टरों के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले कहीं अधिक हैं। व्यस्त दिनचर्या, असंतुलित आहार, तनाव और शारीरिक गतिविधियों की कमी इसके प्रमुख कारण हैं। दो वर्ष पहले पीजीआई में सालाना 400 से कम मरीज आते थे, जो अब बढ़कर 600 हो गए हैं, जिनमें लगभग 70 प्रतिशित महिलाएं शहरी क्षेत्रों की हैं।

    पिछले एक वर्ष में 200 से अधिक महिलाओं के ऑपरेशन किए गए, जिनमें से 96 मामलों में ब्रेस्ट को सुरक्षित रखा गया। समय पर जांच ही बचाव का उपाय चिकित्सक चेतावनी देते हैं कि ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षणों को अनदेखा करना खतरनाक साबित हो सकता है। नियमित हेल्थ चेकअप, स्वयं जांच और समय पर विशेषज्ञ से परामर्श से बीमारी को शुरुआती अवस्था में पकड़ा जा सकता है। बदलती जीवनशैली में संतुलन लाकर और जागरूकता बढ़ाकर इस गंभीर बीमारी से बचाव संभव है।

    जागरूकता से बीमारी का हो सकता है सही समय पर इलाज बदलते लाइफ स्टाइल और तनाव के कारण महिलाओं में बेस्ट कैंसर जैसी बीमारियां तेजी से बढ़ रही है। इसके प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है। अगर समय रहते जांच हो जाए, तो 50 प्रतिशत से ज्यादा मामलों में ब्रेस्ट को बचाया जा सकता है। इसके लिए 20 से अधिक वर्ष की सभी लड़कियों को महीने में कम से कम एक बार सेल्फ ब्रेस्ट एग्जामिनेशन करें। किसी भी तरह की गांठ, सूजन या असामान्य बदलाव दिखे, तो डॉक्टर से चेक करवाएं। 30 वर्ष से अधिक की महिलाओं को साल में एक बार मेमोग्राफी या क्लीनिकल चेकअप जरूर करवाना चाहिए। वहीं अगर किसी के परिवार में यह बीमारी है तो उसे नियमित तौर पर डॉक्टर के संपर्क में रहकर चेकअप करवाते रहना चाहिए। धूम्रपान और शराब से दूरी बनाए रखें और नियमित रूप से योग और व्यायाम करे। - डॉ. नित्याशा, सीनियर प्रोफेसर, यूनिट हेड सर्जरी, पीजीआईएमएस रोहतक।