दयानंद के गीत गौरव गुणों को हमी जो न गाए, कहो कौन गाए..
दयानंद के गीत गौरव गुणों को हमी जो न गाए कहो कौन गाए। इस गीत के जरिए महर्षि दयानंद सरस्वती की शिक्षाओं और योगदान को छात्र-छात्राओं ने याद किया। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) के टैगोर सभागार में स्वामी दयानंद सरस्वती जयंती पर विद्वत्सम्मेलन का आयोजन किया गया। राज्यपाल-कुलाधिपति बंडारू दत्तात्रेय कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे। उन्होंने एमडीयू को वेदों के रिसर्च का केंद्र बनाने का आह्वान किया। विद्यार्थियों को स्वामी दयानंद की शिक्षाओं का प्रचार बनने की बात कही।

जागरण संवाददाता, रोहतक : दयानंद के गीत गौरव गुणों को हमी जो न गाए, कहो कौन गाए। इस गीत के जरिए महर्षि दयानंद सरस्वती की शिक्षाओं और योगदान को छात्र-छात्राओं ने याद किया। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) के टैगोर सभागार में स्वामी दयानंद सरस्वती जयंती पर विद्वत्सम्मेलन का आयोजन किया गया। राज्यपाल-कुलाधिपति बंडारू दत्तात्रेय कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे। उन्होंने एमडीयू को वेदों के रिसर्च का केंद्र बनाने का आह्वान किया। विद्यार्थियों को स्वामी दयानंद की शिक्षाओं का प्रचार बनने की बात कही।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा. सुरेंद्र कुमार ने कहा कि स्वामी दयानंद के विचार क्रांतिकारी थे। उन्होंने अशिक्षा, अंधविश्वास, रूढ़ीवाद पर कड़ा प्रहार किया। शिक्षा के मूल सिद्धांत में उदारता, मानवता और सार्वदेशिक-सार्वकालिक के गुण को जरूरी बताया। सभी भाषाओं के सीखने की वकालत की। गुरु के लिए स्वामी दयानंद का कथन कुछ इस तरह रहा कि स्नातक होने पर गुरु स्वयं कहता है कि हे शिष्य मनुष्य से गलती हो जाती है, मुझसे भी गलती हुई होगी। लेकिन आप मेरे अच्छे आचरण को अपने चरित्र में डालना। किसी मत को थोपने की बजाए तर्क को सबसे ऊपर रखा। मुख्य वक्ता ने स्वामी दयानंद को नवजागरण का प्रतीक पुरुष बताया। कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने कहा कि स्वामी दयानन्द का जीवन और कार्य प्रेरणादायी है। विवि में वैदिक अध्ययन केंद्र, महर्षि दयानंद सरस्वती शोध पीठ और योग अध्ययन केंद्र के जरिए दयानंद सरस्वती के विचारों और दर्शन को प्रचारित-प्रसारित किया जा रहा है। कार्यक्रम में एमडीयू के वैदिक अध्ययन केंद्र के निदेशक प्रो. सुरेंद्र कुमार, अधिष्ठाता विद्यार्थी कल्याण प्रो. राजकुमार, विवि की प्रथम महिला डा. शरणजीत कौर, कुलसचिव प्रो. गुलशन लाल तनेजा, प्रो. एके राजन, पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विवि की कुलपति प्रो. अनिता सक्सेना, पंडित लख्मीचंद स्टेट यूनिवर्सिटी आफ परफोर्मिंग एंड विजुअल आर्ट्स के कुलपति गजेंद्र चौहान, बाबा मस्तनाथ विवि के कुलपति प्रो. आरके यादव, स्वामी आर्यवेश, स्वामी प्रणवानंद सरस्वती, मास्टर रामपाल आर्य।
पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने का स्वागत : स्वामी सुमेधानंद सरस्वती
राजस्थान के सीकर से सांसद स्वामी सुमेधानंद सरस्वती एमडीयू में आयोजित विद्वत्सम्मेलन में शामिल हुए। उन्होंने स्वामी दयानंद को महामानव बताते हुए कहा कि दयानंद सरस्वती ने स्वदेशी की भावना को राष्ट्र में सु²ढ़ किया। अंधविश्वास, पाखंड और अज्ञानता के विरुद्ध अलख जगाई। सांसद ने कहा कि कि राजस्थान के मुख्यमंत्री का पुरानी पेंशन स्कीम लागू करना अच्छा कदम है, इसका वह स्वागत करते हैं। यूक्रेन में फंसे भारतीय विद्यार्थियों को निकालने पर सरकार के प्रयासों पर बताया कि रूस के राष्ट्रपति के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बात की है। विद्यार्थियों को निकालने की प्लेन चलाए गए हैं। यूक्रेन में हवाई अड्डे ध्वस्त होने पर पड़ोसी देशों से रेस्कयु आपरेशन चलाया जा रहा है। उम्मीद है कि जल्द से जल्द विद्यार्थी निकलेंगे। आजादी के बाद से ही मेडिकल की सीटें बेहद कम रही। वर्ष 2014 के बाद भारत के कई जिलों में मेडिकल कालेज बनाए जा रहे हैं। आगामी तीन-चार वर्षों में जिला स्तर पर मेडिकल कालेज होने से भारतीयों को मेडिकल की पढ़ाई के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा। नशे के चलन को रोकने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर नीति की जरूरत की बात उन्होंने कही।
विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण पर विशेष ध्यान की जरूरत
रोहतक के सांसद डा. अरविद शर्मा ने कहा कि विद्यार्थियों को स्वामी दयानंद के शिक्षा दर्शन से प्रेरणा लेते हुए चरित्र निर्माण पर विशेष ध्यान देना चाहिए। पूर्व मंत्री मनीष कुमार ग्रोवर ने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सेवा भाव की विशेष जरूरत है। स्वामी दयानंद की जनसेवा की भावना से शिक्षा तथा स्वास्थ्य जगत को प्रेरणा लेनी चाहिए। सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष स्वामी आर्यवेश ने महर्षि दयानंद सरस्वती को समग्र क्रांति का पुरोधा बताया। उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद के शिक्षा दर्शन में नैतिक मूल्यों को प्राथमिकता दी गई। जरूरत है कि विश्वविद्यालयों में नैतिक मूल्यों की शिक्षा विद्यार्थियों को दी जाए।
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