चलो गांव की ओर: सैनिकों की भूमि के नाम से जाना जाता है गांव कटेसरा
करीब 600 वर्ष पुराना है इस गांव का इतिहास ...और पढ़ें

ललित शर्मा, कलानौर : जिला मुख्यालय से 22 किलोमीटर दूर बसा गांव कटेसरा सैनिकों की भूमि है। इस गांव में कोई भी घर ऐसा नही है जिसमें कोई सैनिक पैदा न हुआ हो। वर्तमान में भी इस गांव के 500 के करीब जवान सीमाओं पर भारत माता की रक्षा कर रहे है। इस गांव का इतिहास करीब 600 वर्ष पुराना है और आपसी भाईचारे का प्रतीक है। गुर्जर बाहुल्य इस गांव के जवानों ने देश की आजादी में भी विशेष योगदान दिया है। समाजसेवी उदय सिंह कटेसरा ने बताया कि राजस्थान के पोपिया गांव से दो लोग भोलू और मोलू जो कि हथवाला गोत्र के थे, सबसे पहले इस गांव में आए। इसके बाद उन्होंने अपना आशियाना इसी गांव में बनाया। धीरे-धीरे इस गोत्र के और लोगों ने इस गांव में आकर रहना शुरू किया और इस तरह कटेसरा गांव अस्तित्व में आया। आज भी मोलू के नाम पर गांव में मलू वाला जोहड़ है। कटेसरा के ग्रामीण बहुत धार्मिक हैं वे प्रार्थना और पूजा के लिए नियमित समय निकालते हैं, ग्रामीण यहां दादी सती मंदिर में भी जाते हैं। ग्रामीण सामाजिक रूप से आपस में जुड़े हुए हैं। वे एक-दूसरे के सुख-दुख में भागीदार होते हैं। वे जरूरत के समय एक दूसरे की मदद करते हैं। कटेसरा के ग्रामीणों की सामाजिक भावना इतनी प्रबल है कि एक के अतिथि को सभी का अतिथि माना जाता है। कटेसरा गांव के ग्रामीणों के सामने कई समस्याएं मुंह बाए खड़ी है। युवाओँ का कहना है कि गांव के स्टेडियम में कोच की कमी महसूस की जा रही है। अगर स्टेडियम में कोच की नियुक्ति सरकार द्वारा की जाए तो काफी युवा खेलो में भी देश का नाम रोशन कर सकते है। गांव में पानी की समस्या :
ग्रामीणों का कहना है कि कटेसरा गांव में नहरी पानी की कमी हमेशा से रही है। किसानों के खेतों तक नहरी पानी की आपूर्ति न होने के चलते किसानों के लिए खेती घाटे का सौदा बनी हुई है। इसके अलावा गांव में पीने के पानी की समस्या भी बहुत अधिक है। हालांकि पीने के पानी की समस्या को दूर करने के लिए जल विभाग ने पाइप लाइन बिछा दी है लेकिन कार्य पूरा न होने के चलते ग्रामीण अभी भी पेयजल से महरूम है।

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