बारिश और रबड़ी-केसर घेवर की मिठास... त्योहारों पर हर घर में होती है खरीदारी, इस मानसून में आप भी करें टेस्ट
बारिश के मौसम में घेवर की खुशबू सबको आकर्षित करती है खासकर रोहतक में। तीज और रक्षाबंधन जैसे त्योहारों पर इसकी खूब मांग होती है। कारीगर दूध से रबड़ी बनाकर घेवर पर डालते हैं जिससे स्वाद बढ़ जाता है। रबड़ी और केसर वाले घेवर के साथ मिनी घेवर भी खूब पसंद किए जा रहे हैं। रोहतक में 200 से ज़्यादा दुकानें हैं जहाँ घेवर मिलता है।
जागरण संवाददाता, रोहतक। बारिश के मौसम में घेवर की खुशबू आपको सहज ही आकर्षित कर लेती है। दरअसल बारिश के मौसम में ही घेवर नाम की यह पारंपरिक मिठाई विशेष रूप से खाई जाती है।
बारिश में करीब चार महीने के दौरान रबड़ी घेवर की मिठास स्थानीय लोगों के खूब मन भाती है। तीज, जन्माष्टमी और रक्षाबंधन जैसे सावन के त्योहारों पर तो घेवर की खरीद विशेष रूप से हर घर में की जाती है।
दिल्ली रोड पर घेवर बनाने वाले कारीगर अमर सिंह बताते हैं कि दूध काे गाढ़ा करके रबड़ी बनाई जाती है, जिसे घेवर के ऊपर डाला जाता है। इससे स्वाद और भी बढ़ जाता है। जून में बारिश का मौसम शुरू होने के साथ ही यहां घेवर बनाने लगता है और अगस्त-सितंबर तक इसकी मांग होती रहती है।
रोहतक में घेवर की 200 से अधिक दुकानें
बारिश के मौसम में यह एक स्वादिष्ट मिठाई है। जो मैदा, दूध, घी और पानी से बनाई जाती है। इस पर रबडी, केसर और मेवे डालकर इसका स्वाद और भी बढ़ा दिया जाता है। रबड़ी घेवर के अलावा केसर वाले घेवर की भी खासी मांग ग्राहक करते हैं। अब तो रबड़ी वाला मिनी घेवर भी बाजार में आ गया है।
आकार में छोटा होने के चलते ग्राहक इसे खूब पसंद कर रहे हैं। रोहतक में घेवर की 200 से अधिक दुकानें हैं और यहां का रबड़ी व केसर वाला घेवर ग्राहकों को खूब पसंद आता है। यहां के लोग भी देश विदेश में रहने वाले अपने रिश्तेदार के लिए विशेष रूप से इन दिनों में घेवर ले जाते हैं।
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