महामारी में ऐसी कर्तव्यपरायणता, नर्सिंग सिस्टर ने त्योहार पर भी नहीं की छुट्टी, कोविड वार्ड में इंतजाम पुख्ता कर रात को घर लौटी
30 वर्षाें का अनुभव कोविड काल में काम आया है। महामारी की पहली लहर में कोविड ड्यूटी लगी। बतौर नर्सिंग सिस्टर सहकर्मियों की ड्यूटी लगानी उनकी सुरक्षा का ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, रोहतक : 30 वर्षाें का अनुभव कोविड काल में काम आया है। महामारी की पहली लहर में कोविड ड्यूटी लगी। बतौर नर्सिंग सिस्टर सहकर्मियों की ड्यूटी लगानी, उनकी सुरक्षा का ध्यान रखना और कोविड वार्ड को समय-समय पर सैनिटाइज कराने का जिम्मा रहा है। इसी के साथ नर्सिंग स्टाफ का हौसला बढ़ाना चुनौतीपूर्ण रहा। कई नर्स संक्रमितों की देखभाल करते हुए खुद भी संक्रमित हुई, उनका हौसला भी बढ़ाना आसान नहीं रहा। यह कहना है पीजीआइएमएस की नर्सिंग सिस्टर सरोज कुमारी का। महामारी की दूसरी लहर में मॉड्यूलर काम्पलेक्स में कोविड ड्यूटी दे रहीं हैं। नर्सिंग स्टाफ के साथ ही कोरोना संक्रमितों की देखभाल की जिम्मेदारी इनकी है। शहर की श्रीनगर कालोनी निवासी सरोज बताती हैं कि संक्रमितों को किस तरह का भोजन दिया जाएगा इसका पूरा ख्याल उन्हें रखना पड़ता है। लिक्विड डायट, शुगर फ्री डायट आदि अलग-अलग तरह का खाना संक्रमितों को मुहैय्या कराती हैं। नर्सिंग सिस्टर सरोज का जज्बा ऐसा कि कोरोना संक्रमण के केस बढ़ते देख होली के दिन भी छुट्टी नहीं ली। आपात स्थिति को देखते हुए अस्पताल पहुंची व कोविड वार्ड में तैयारियां कराई। सैनिटाइजेशन से लेकर बैड आदि का इंताज करने के बाद रात सात बजे घर पहुंची। पति श्रीकृष्ण आर्कियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया से सेवानिवृत हैं। ड्यटी देने के बाद सरोज घर में अलग कमरे में आइसोलेट हो जाती हैं। पति को उनकी वजह से कोई स्वास्थ्य समस्या न हो इसके लिए उनसे ड्यूटी के बाद चार-पांच घंटे तक बातचीत भी नहीं करती हैं। महामारी में कर्तव्य का ऐसा पालन कि भतीजे की शादी तक में नहीं गई। अस्पताल में ही रहकर संक्रमितों व सहकर्मियों की सेवा करती रहीं।

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