कोई शेल्टर नहीं, 500 से ज्यादा नसबंदी; रोहतक में आवारा कुत्तों को लेकर एक्शन में नगर निगम
रोहतक नगर निगम आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए सक्रिय है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार निगम कुत्तों का बधियाकरण और वैक्सीनेशन कर रहा है जिस पर प्रति कुत्ता लगभग 1179 रुपये खर्च हो रहे हैं। अब तक 500 कुत्तों का बधियाकरण हो चुका है। निगम को आक्रामक कुत्तों की शिकायतें मिल रही हैं।

जागरण संवाददाता, रोहतक। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद नगर निगम ने शहर में आवारा कुत्तों की संख्या पर नियंत्रण और लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उनका बधियाकरण व वैक्सीनेशन की प्रक्रिया तेज कर दी है।
निगम की ओर से इस पूरी प्रक्रिया पर प्रति कुत्ता लगभग 1179 रुपये की राशि खर्च की जा रही है। अब तक 500 कुत्तों का बधियाकरण और वैक्सीनेशन हो चुका है।
रही बात खतरनाक और आक्रामक कुत्तों की तो हर रोज पांच से सात शिकायत आ रही हैं लेकिन निगम के अधिकारी और ठेकेदार चाहकर भी उनका कोई समाधान नहीं कर पा रहे हैं।
शेल्टर की कमी बनी बड़ी परेशानी
निगम के पास कोई शेल्टर न होने की वजह से उन्हें ऑपरेशन के बाद दोबारा से उन्हीं स्थानों पर छोड़ा जा रहा है, जहां से वे पकड़े गए थे। कुत्तों के बधियाकरण की यह जिम्मेदारी एक निजी एजेंसी को सौंपी गई है।
एजेंसी को यह निर्देश दिए गए हैं कि जिस कुत्ते को पकड़कर ले जाया जाएगा, उसके वैक्सीनेशन और बधियाकरण की प्रक्रिया पूरी होने तक उसे अपने शेल्टर में रखना होगा।
इस दौरान कुत्तों को भोजन और देखभाल की जिम्मेदारी भी एजेंसी की ही होगी। बधियाकरण के बाद सामान्य रूप से 3 से 4 दिन में घाव भर जाता है, जिसके बाद कुत्तों को उसी कालोनी या इलाके में छोड़ दिया जाएगा, जहां से उन्हें पकड़ा गया था।
इस समय निगम के पास अपने स्तर पर शेल्टर होम की सुविधा नहीं है। ऐसे में बधियाकरण से लेकर रिकवरी अवधि तक कुत्तों को रखने की पूरी जिम्मेदारी एजेंसी निभा रही है। निगम की ओर से केवल निगरानी और प्रक्रिया की नियमित जांच की जा रही है।
शहर में लगातार बढ़ रही थी आवारा कुत्तों की संख्या
दरअसल, शहर में पिछले कुछ समय से आवारा कुत्तों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। कई जगह कुत्तों के झुंड देखने को मिलते हैं, जिससे राहगीरों और खासकर बच्चों व बुजुर्गों को खतरा बना रहता है।
बधियाकरण और वैक्सीनेशन की यह प्रक्रिया न केवल कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करेगी बल्कि उनमें पाई जाने वाली आक्रामक प्रवृत्ति को भी कम करने में सहायक होगी। साथ ही, रेबीज जैसी बीमारियों से भी बचाव संभव होगा।
निगम ने शहरवासियों से भी अपील की है कि इस प्रक्रिया के दौरान निगम और एजेंसी का सहयोग करें। कुत्तों को पकड़ने या छोड़ने में किसी तरह की बाधा न डालें।
नगर निगम ने क्या भरोसा दिलाया?
नगर निगम ने भरोसा दिलाया है कि पूरे काम को सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक और पशु कल्याण मानकों का पालन करते हुए अंजाम दिया जा रहा है।
नगर निगम का मानना है कि आने वाले कुछ महीनों में शहर में कुत्तों की अनियंत्रित संख्या पर काफी हद तक लगाम लगेगी और लोगों को सुरक्षित माहौल मिलेगा।
ठेकेदार सत प्रकाश ने कहा 'मेरे टेंडर में कुत्तों को पकड़कर उसकी वैक्सीनेशन और बधियाकरण करना है। अब तक 500 कुत्तों का बधियाकरण किया जा चुका है। उन्हें ऑपरेशन के बाद जहां से पकड़ा था वहीं पर छोड़ा जा रहा है। रही बात आक्रामक कुत्तों की तो हर रोज पांच से सात शिकायतें उनके पास आती हैं। अगर निगम की ओर से शेल्टर होम मुहैया कराया जाएगा या फिर वर्क ऑर्डर में बदलाव किया जाएगा तो यह सुविधा भी शुरू कर दी जाएगी।'
कुत्तों के वैक्सीनेशन और बधियाकरण का काम पूरे जोर-शोर से चल रहा है। निगम की ओर से एक कुत्ते पर 1179 रुपये की राशि खर्च होगी। फिलहाल निगम के पास शेल्टर नहीं है।
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