Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    रोहतक में बच्चों की थाली पर सख्त निगरानी, हर माह 25 से 30 स्कूलों का करना होगा इंस्पेक्शन

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 03:12 PM (IST)

    रोहतक में पीएम पोषण योजना (मिड-डे मील) को लेकर शिक्षा विभाग सख्त हो गया है। अब अधिकारी हर महीने कम से कम 25 से 30 स्कूलों का निरीक्षण करेंगे। भोजन की गुणवत्ता और मात्रा सुनिश्चित करने के लिए एक मानक प्रोफार्मा भी तैयार किया गया है जिसमें बच्चों की संख्या भोजन की गुणवत्ता और संतुष्टि स्तर जैसी जानकारी शामिल होगी।

    Hero Image
    सरकारी स्कूल में बच्चों को मिड डे मील परोसते हुए

    प्रियंका देशवाल, रोहतक। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री पोषण (मिड-डे मील) स्कीम का उद्देश्य सरकारी स्कूलों के बच्चों को पौष्टिक व गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध कराना है, ताकि वे स्वस्थ रह सकें और शिक्षा पर ध्यान केंद्रित कर सकें। लेकिन जमीनी स्तर पर इस योजना का पालन अपेक्षित परिणामों के अनुरूप नहीं हो रहा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कई बार यह शिकायतें सामने आईं कि बच्चों को या तो निर्धारित मात्रा में भोजन नहीं मिलता या फिर भोजन में विविधता और गुणवत्ता का अभाव रहता है। इन्हीं शिकायतों और लापरवाही को देखते हुए शिक्षा विभाग ने अब निरीक्षण प्रक्रिया को सख्ती से लागू करने का निर्णय लिया है।

    विभाग ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को सख्त हिदायत दी है कि वे हर माह कम से कम 25 से 30 विद्यालयों का निरीक्षण करें। यही नहीं, सभी अधिकारी अब नियमित रूप से निरीक्षण सुनिश्चित करेंगे। विभाग का स्पष्ट कहना है कि पीएम पोषण योजना का मकसद सिर्फ बच्चों को भोजन उपलब्ध कराना ही नहीं, बल्कि उन्हें ऐसा भोजन देना है जो उनके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए आवश्यक पोषण प्रदान कर सकें।

    शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, 1 अप्रैल 2025 से 30 जून तक प्रदेश के 14,210 विद्यालयों में से केवल 1,372 विद्यालयों का ही अधिकारियों की ओर से निरीक्षण किया गया। जबकि नियमों के मुताबिक एक सप्ताह में कम से कम पांच विद्यालयों का निरीक्षण किया जाना चाहिए था।

    नया मानक प्रोफार्मा जारी भोजन की गुणवत्ता और मात्रा पर विशेष ध्यान देने के लिए विभाग ने एक मानक प्रोफार्मा भी तैयार किया है। निरीक्षण के दौरान अधिकारियों को इस प्रोफार्मा में विस्तृत जानकारी भरनी होगी। इसमें विद्यालय और ब्लाक का नाम, उपस्थित बच्चों की संख्या, परोसी गई रेसिपी, भोजन की गुणवत्ता और मात्रा, बच्चों की संतुष्टि स्तर और निरीक्षणकर्ता की टिप्पणियों को शामिल किया जाएगा। इन सूचनाओं को विभाग के उच्च अधिकारियों के पास भेजा जाएगा, ताकि किसी भी स्तर पर लापरवाही सामने आने पर तुरंत कार्रवाई की जा सके।

    बच्चों के भविष्य से जुड़ा सवाल विशेषज्ञों का मानना है कि स्कूली बच्चों के लिए पौष्टिक भोजन केवल एक सुविधा नहीं, बल्कि उनके भविष्य के लिए निवेश है। कुपोषण से जूझ रहे बच्चों की संख्या को कम करना और उन्हें स्वस्थ व ऊर्जावान बनाना ही इस योजना की मूल भावना है। यदि भोजन में पोषण की कमी होगी तो बच्चे न तो पढ़ाई में ध्यान केंद्रित कर पाएंगे और न ही शारीरिक रूप से सक्षम हो सकेंगे। यही कारण है कि शिक्षा विभाग अब पीएम पोषण स्कीम के प्रभावी क्रियान्वयन पर जोर दे रहा है।

    सख्त निरीक्षण और जवाबदेही सुनिश्चित होने से उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण व विविधतापूर्ण भोजन उपलब्ध होगा और योजना का उद्देश्य सही मायनों में पूरा हो सकेगा।

    दिलजीत सिंह, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी, रोहतक ने बताया कि सरकारी स्कूलों में बच्चों को दिए जाने वाले मिड डे मील को लेकर अब अधिकारियों को निरीक्षण करने के आदेश दिए गए है। विभाग के आदेश अनुसार शिक्षा अधिकारी को एक माह में कम से कम 25 से 30 विद्यालयों का निरीक्षण करना होगा।

    अधिकारियों को निरीक्षण के लिए एक निर्धारित प्रोफार्मा का उपयोग करना होगा l इस प्रोफार्मा में विद्यालय का नाम, उपस्थित बच्चों की संख्या, परोसी गई रेसिपी, भोजन की गुणवत्ता और मात्रा आदि की जानकारी देनी होगी