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    पिता को बेटी का खेलना नहीं था पसंद तो साथ छोड़ा, मां ने दूध बेच बनाया चैंपियन

    By Kamlesh BhattEdited By:
    Updated: Mon, 15 May 2017 08:54 AM (IST)

    बेटी की रुचि स्पोट्र्स में थी, जबकि पिता इससे खुश नहीं था, लेकिन मां ने उसके सपनों को पूरा किया। ...और पढ़ें

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    पिता को बेटी का खेलना नहीं था पसंद तो साथ छोड़ा, मां ने दूध बेच बनाया चैंपियन

    रोहतक [देवेंद्र चौधरी]। मोनू ग्रेवाल। वाटर स्पोर्ट्स की अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी। लोग मोनू को सफलता का दूसरा पर्याय मानते हैं। पर काश ग्रेवाल की कहानी इतनी आसान होती। जब छोटी थी तो खेलने की जिद करती, पर पिता को बेटी का खेलना पसंद नहीं था। बेटी के सपने न मरें इसलिए मां ने पति को ही तिलांजलि दे दी।

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    इस कहानी को सुनाते हुए गांव भगवतीपुर निवासी राजवंती की आंखें नम हो जाती है। राजवंती के मुताबिक बेटी को खेल के मैदान में उतरने का बहुत जुनून था, लेकिन पिता की सहमति न मिलने से मन मसोस कर रह जाती। जब पानी सिर से ऊपर जाने लगा तो मां ने बेटी को चैंपियन बनाने के लिए पति को भी तिलांजलि दे दी।

    मोनू की मां राजवंती का कहना है कि चैंपियनशिप में हिस्सा लेकर बेटी पदक जीत रही है। मुङो खुशी है कि बेटी ने मेरी मेहनत को सफल बनाया और मुङो उस पर गर्व है। मुङो उम्मीद है कि आगे भी बेटी बेहतर प्रदर्शन करेगी और सफलता के पटल पर छाई रहेगी।

    पिता अलग होने के बाद भी पीछे मुड़कर नहीं देखा

    पिता की ज्यादती को देखते हुए मां ने 2005 में कड़ा फैसला लिया कि बेटी मोनू ग्रेवाल के सपने को पूरा करेंगी। मोनू बताती हैं कि 12 साल पहले जूडो से शुरूआत की थी, लेकिन पिता कंवर सिंह की सहमति न मिलने से आगे नहीं बढ़ रही थी। इसके बाद मां राजवंती का समर्थन मिला तो कदम आगे बढ़ते चले गए। हालांकि इसी बात को लेकर मोनू की मां और पिता में दूरियां बढ़ती गई और दोनों अलग हो गए। बावजूद मोनू सफलता की सीढिय़ां चढ़ती गई।

    खाने को पड़ गए थे लाले, मां ने पशु पाल कर जुटाया खर्चा

    मोनू के संघर्ष के दिनों के साक्षी रहे पड़ोसी बताते हैं कि दोनों मां बेटी को खाने के लाले पड़ गए थे, लेकिन बेटी को खिलाड़ी बनाने की राह में आने वाली हर बाधा को दूर किया। यहां तक बेटी की चाहत को पूरा करने के लिए दूध बेचा। वही बेटी अब नेशनल और इंटरनेशनल वाटर स्पोर्टस में बड़ा चेहरा बन चुकी है। हरियाणा में वाटर स्पोर्टस के प्रति बेहद कम रूझान था। इसलिए यहां प्रशिक्षण की सुविधा न होने के कारण अड़चन आई। इस दौरान भी मां ने हौंसला बढ़ाते हुए राह दिखाई। खुद खेती की और आजीविका चलाने के लिए पशुपालन भी किया। 20 वर्षीय बेटी को मध्य प्रदेश के भिंड में प्रशिक्षण को भेजा और बेटी सफल हो गई। व्यक्तिगत और मिक्सड इवेंट में हिस्सा लेने वाली मोनू दो किमी, 500 मीटर व 200 मीटर स्पर्धा में हिस्सा लेती हैं। रूस में दो बार तो व नेशनल में तमाम मेडल बटोर चुकी हैं। दो से चार मई के बीच सीनियर नेशनल वाटर स्पोर्टस चैंपियनशिप में दो रजत व इतने ही कांस्य पदक अपनी झोली में डाले।

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