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    NAFIS क्या है, कैसे तैयार कर रहा अपराधियों की डिजिटल कुंडली

    हरियाणा पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (एनएएफआइएस) अपराधियों को जल्दी पकड़ने और आपराधिक मामलों को सुलझाने में मदद कर रहा है। NAFIS का निर्माण राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा किया गया है।

    By Jagran NewsEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Sat, 04 Mar 2023 12:22 PM (IST)
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    राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम को विकसित किया है।

    हरियाणा, पीटीआइ। राज्य में बढ़ रहे अपराध को रोकने के लिए पुलिस और प्रशासन मिल कर काम कर रहे हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने द्वारा नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (NAFIS) को विकसित किया गया। जिसकी मदद से अपराधियों को जल्द पकड़ने और आपराधिक मामलों को सुलझाने में मदद मिल रही है।

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    एनएएफआइएस क्या है?

    हरियाणा पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (एनएएफआइएस) अपराधियों को जल्दी पकड़ने और आपराधिक मामलों को सुलझाने में मदद कर रहा है। NAFIS का निर्माण राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा किया गया है। केंद्रीकृत फिंगरप्रिंट डेटाबेस की मदद से अपराधियों को जल्द पकड़ा जा रहा है और मामलों को आसानी से सुलझाया जा रहा है।

    कार्यस्थलों पर 130 प्रशिक्षित पुलिसकर्मी तैनात

    हरियाणा राज्य अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एचएससीआरबी) के निदेशक ओपी सिंह ने कहा कि राज्य भर में 64 स्थानों पर एनएएफआइएस को सफलतापूर्वक लागू किया गया है। इसकी मदद से गिरफ्तार आरोपियों और दोषियों के फिंगर प्रिंट सेंट्रल सर्वर पर अपलोड किए जाते हैं। इस काम के लिए कार्यस्थलों पर 130 प्रशिक्षित पुलिसकर्मी तैनात हैं। एनएएफआइएस अपराधियों का एक विशिष्ट पहचान कोड बनाता है। प्रत्येक अपराधी का एक अलग यूनिक कोड होगा। कोड स्कैन करने के बाद डेटा को पूरी जानकारी के साथ राष्ट्रीय सर्वर पर अपलोड किया जाता है।

    सीसीटीएनएस क्या है?

    NAFIS गिरफ्तार किए व्यक्ति का एक 10 अंकों का विशिष्ट राष्ट्रीय फिंगरप्रिंट नंबर (NFN) बनाता है। जिसे अलग-अलग एफआइआर के तहत दर्ज विभिन्न अपराधों को एक ही एनएफएन से जोड़ा जाता है। इसे सीसीटीएनएस (क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम्स) डेटाबेस में शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पिछले साल, NAFIS की मदद से, HSCRB लगभग 1,247 मामलों का पता लगाने में सफल रहा। जिसमें राज्य में 933 और अन्य राज्यों में 314 मामले शामिल थे। इस साल जनवरी में लगभग 842 मामलों का पता लगाया गया, जिनमें से 647 राज्य से और 195 अन्य राज्यों से थे।

    अपराधियों की 'डिजिटल कुंडली' तैयार

    सिंह ने कहा कि यमुनानगर की एक घटना में एक व्यक्ति ने स्थानीय पुलिस को शिकायत दी थी कि उसकी दुकान में उसके चचेरे भाई का शव मिला है और आभूषण चोरी हो गए हैं। उस मामले में विशेषज्ञों की मदद से अपराध स्थल से उंगलियों के निशान लिए गए थे और उन्हें आगे के मिलान के लिए अदालत द्वारा राज्य अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो को भेजा गया था। पुलिस अधिकारी ने कहा कि कार्रवाई करते हुए आरोपी के फिंगर प्रिंट का घटनास्थल से लिए गए फिंगरप्रिंट से सही मिलान हुआ, जिससे आरोपी सलाखों के पीछे पहुंच गया। अब आम आदमी के आधार कार्ड की तरह अब अपराधियों की भी 'डिजिटल कुंडली' तैयार की जा रही है।