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    हरियाणा में MBBS परीक्षा घोटाला मामले में बड़ा खुलासा, नकल माफिया की खुल गई पोल, कर्मचारी और स्टूडेंस भी थे शामिल

    Updated: Sun, 16 Feb 2025 11:43 AM (IST)

    रोहतक के पंडित भगवत दयाल स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय में हुई एमबीबीएस परीक्षा घोटाले की जांच में बड़ी खामियां सामने आई हैं। तीन सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। छात्र और कर्मचारी भी घोटाले में शामिल हैं। नकल माफिया 3 से 6 लाख रुपये प्रति विषय वसूल रहा था। परीक्षा नियंत्रक को हटा दिया गया है। परीक्षा में स्याही सुखाकर मिटाने वाले पेन का प्रयोग होता था।

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    पंडित भगवत दयाल स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय की फोटो

    विनोद जोशी, रोहतक। पंडित भगवत दयाल स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय में हुए एमबीबीएस परीक्षा घोटाले की एक महीने तक चली जांच में बड़ी खामियां सामने आई हैं। तीन सदस्यीय कमेटी की ओर से दी गई फाइनल जांच रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।

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    कमेटी की जांच में सामने आया कि इस परीक्षा करवाने के घोटाले में नकल माफिया किस तरह के प्रदेश के कई नामी मेडिकल कॉलेज तक अपनी पैठ बनाए हुए था। प्रदेश के तीन निजी मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स और कर्मचारी भी इस नकल माफिया के जाल में शामिल हैं। साथ ही नकल माफिया की ओर से 3 से 6 लाख रुपये प्रति विषय के वसूले जाते थे।

    परीक्षा नियंत्रक को पद से हटाया गया

    इसी में तय किया जाता था कि उत्तरपुस्तिका को दोबारा से लिखा जाएगा और अंक कितने चाहिए। अब मामले में जांच कमेटी ने एक महीने की पड़ताल के बाद रिपोर्ट फाइनल कर हेल्थ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एचके अग्रवाल को सौंप दी है।

    वहीं मामले की गंभीरता को समझते हुए कुलपति की ओर से जांच रिपोर्ट को देखने के बाद तत्काल प्रभाव से परीक्षा नियंत्रक डॉ. अमरीश को पद से हटा दिया है। इनके स्थान पर परीक्षा नियंत्रक की जिम्मेदारी डॉ. सुखदेव सिंह चांदला को दी गई है।

    इसके अलावा विवि में कार्रवाई करते हुए छह नियमित कर्मचारियों को निलंबित किया गया है तो छह आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवा पूरी तरह से समाप्त कर दी गई है।

    छात्र और कर्मचारी भी शामिल

    इसी के साथ जांच कमेटी में एक अन्य मुख्य बात भी सामने आई है कि इसमें विवि के 24 छात्र और 17 अन्य लोग भी शामिल मिले हैं। इसी के चलते कुलपति की ओर से 41 लोगों पर एफआइआर दर्ज करवाने के लिए जांच रिपोर्ट रोहतक एसपी को भिजवा दी है।

    इससे पहले 12 जनवरी को कार्रवाई करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने दो नियमित कर्मचारियों रोशन लाल व रोहित को तुरंत निलंबित कर दिया था और तीन आउटसोर्स कर्मचारी दीपक, इंदू बजाज व रितू की सेवाओं को समाप्त कर दिया था।

    जांच में आया सामने ऐसे किया गया था घोटाला

    जांच में सामने आया कि एक एमबीबीएस छात्र ने जनवरी के पहले सप्ताह में हेल्थ विवि के अधिकारियों को वीडियो व एक लिखित नोट गोपनीय तरीके से भेजा। इसमें सामने आया कि परीक्षा में नकल करवाने और पास करवाने के लिए नकल माफिया ने बड़े स्तर पर धांधली की है।

    इसमें कई अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल बताए गए। मामले में कुलपति डॉ.एचके अग्रवाल ने तुरंत संज्ञान लेते हुए एक तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया और जांच बिठा दी गई।

    छात्र की ओर से दी शिकायत में यह भी सामने आया कि परीक्षा में लिखने के लिए ऐसे पेन का उपयोग करते थे, जिसकी स्याही सुखाकर मिटाई की जा सके।

    इसके बाद उत्तर पुस्तिकाएं विश्वविद्यालय से बाहर चोरी-छिपे भेजी जाती। इसके बाद जब बाहर उत्तर पुस्तिकाएं आती तो आरोपित हेयर ड्रायर से स्याही को मिटाकर उत्तर पुस्तिका में सही जवाब विस्तार से लिखकर दोबारा सेंटर में भेज देते।

    पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय रोहतक के कुलपति डॉ एच के अग्रवाल ने बताया कि पंडित भगवत दयाल स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय में जांच कमेटी ने रिपोर्ट सौंप दी है।

    इसमें बड़े स्तर पर गड़बड़ी सामने आई है। मामले में एफआईआर दर्ज करने के लिए सभी दस्तावेज एसपी को भेज दिए गए हैं। जांच के लिए एक माह का समय लगा। कुछ अधिकारी व कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जा चुका है। इस तरह की गड़बड़ी विवि में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।