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छात्रवृत्ति के लालच में राजस्थान की यूनिवर्सिटी में कराता था एडमिशन, आयकर विभाग का लेखाकार गिरफ्तार

विनीत तोमर रोहतक पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले के मामले में रोहतक विजिलेंस की टीम ने

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 Jan 2020 07:32 AM (IST)Updated: Thu, 09 Jan 2020 07:32 AM (IST)
छात्रवृत्ति के लालच में राजस्थान की यूनिवर्सिटी में कराता था एडमिशन, आयकर विभाग का लेखाकार गिरफ्तार

विनीत तोमर, रोहतक

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पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले के मामले में रोहतक विजिलेंस की टीम ने करीब पांच माह बाद तीसरे आरोपित को गिरफ्तार किया है। पकड़ा गया आरोपित आयकर विभाग में लेखाकार के पद पर है, जो पहले अपने पिता के साथ शहर में कोचिग सेंटर चलाता था। आरोपित छात्रवृति के लालच में राजस्थान की यूनिवर्सिटी में हरियाणा के छात्रों का एडमिशन कराता था। विजिलेंस की टीम ने आरोपित को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे पांच दिन के रिमांड पर लिया गया है। यह है मामला

दरअसल, पिछले साल प्रदेश के कई जिलों में छात्रवृति घोटाले का मामला सामने आया था। इसमें विभागीय अधिकारी और कर्मचारी मिलकर छात्रों के आधार नंबर बदलते थे और उनकी छात्रवृति की राशि हड़प लेते थे। जुलाई माह में रोहतक के विजिलेंस थाने में अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के डिप्टी डायरेक्टर अनिल कुमार, रिटायर्ड डिप्टी डायरेक्टर आरएस सांगवान, सहायक जितेंद्र सिंह, सहायक बिलेंद्र सिंह, डाटा एंट्री ऑपरेटर कुलजीत सिंह, जिला कल्याण अधिकारी सोनीपत सुशील कुमार, कार्यवाहक जिला कल्याण अधिकारी सोनीपत रेणू सिसोदिया, रिटायर्ड जिला कल्याण अधिकारी रोहतक बलवान सिंह, लेखाकार कम लिपिक कार्यालय जिला कल्याण अधिकारी सोनीपत सुरेंद्र कुमार समेत 14 लोगों खिलाफ मामला दर्ज कराया गया था। अभी तक मामले में आरोपित आरएस सांगवान और लिपिक सुरेंद्र कुमार की गिरफ्तारी हो चुकी है। राजस्थान की यूनिवर्सिटी का मालिक भी रोहतक का रहने वाला

इस मामले में करीब पांच माह बाद विजिलेंस की टीम ने तीसरे आरोपित को गिरफ्तार किया है। रोहतक का रहने वाला राहुल कुछ समय पहले अपने पिता के साथ शहर में कोचिग सेंटर चलाता था। आरोप है कि उस समय आरोपित ने राजस्थान की एक यूनिवर्सिटी में छात्रों के एडमिशन कराएं। यूनिवर्सिटी का मालिक भी रोहतक का रहने वाला है। इस वजह से दोनों की जान-पहचान थी। एडमिशन कराने के पीछे छात्रवृति का लालच रहता था। आरोप है कि यूनिवर्सिटी की तरफ से लालच दिया जाता था कि छात्रवृति की रकम आने के बाद कमीशन दिया जाएगा। हालांकि कुछ समय बाद ही आरोपित की नौकरी आयकर विभाग में लेखाकार के पद पर लग गई थी। जांच पड़ताल के बाद आरोपित को गिरफ्तार किया गया। जिसे बुधवार को सीजेएम आशीष कुमार की कोर्ट में पेश किया गया। विजिलेंस की टीम ने कोर्ट ने दस दिन के रिमांड की अपील की थी, लेकिन कोर्ट ने पांच दिन के रिमांड की अनुमति दी है। 2016 से 2019 के बीच किया गया था कई करोड़ की छात्रवृति का गबन

अनुसूचित जाति एवं पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों की पढ़ाई के लिए सरकार ने 1981 में पोस्ट मैट्रिक छात्रवृति स्कीम चलाई थी। 2015 तक यह स्कीम मैन्यूअल चलाई जा रही थी। 2015-16 में इसे ऑनलाइन कर दिया गया। इसके तहत छात्र को पोर्टल पर अपना यूजर आइडी और पासवर्ड बनाकर आवेदन करना होता था। इसके बाद जांच पड़ताल के बाद संबंधित विभाग के अधिकारियों से इसकी संस्तुति होती थी। सभी आरोपित मिलीभगत कर छात्रों को राशि न देकर उनके आधार आधार नंबर व खाता नंबर बदलकर अपने जानकर लोगों के खातों में यह राशि डाल देते थे। जुलाई माह में विजिलेंस के डीएसपी सुरेश कुमार की तरफ से दर्ज कराई गई एफआइआर में बताया गया था कि प्राथमिक जांच में यह कई करोड़ का घोटाला सामने आया है।


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