पीजीआइ में इलाज कराने जा रहे हैं तो इन बदलावोें के बारे में जान लें, होगी बहुत आसानी
हरियाणा के रोहतक पीजीआइ में मरीजों के इलाज में अब पहले से आसानी होगी। पीजीआइ में चिकित्सा सुविधाओं को लेकर इहम बदलाव किए गए हैं।
रोहतक, [पुनीत शर्मा]। यदि आप या आपका परिजन इलाज कराने पीजीआइ जा रहे हैं तो यह खबर जरूर पढ़ लें। राेहतक पीजीआइ ने सुविधाओं और चिकित्सा के तरीके में अहम बदलाव किया है। इससे मरीजों और उनके परिजनों को बहुत आसानी होगी। यहां अब मरीजों को अब एक्स-रे रिपोर्ट के लिए घंटों इंतजार नहीं करना पड़ेगा। ई-उपचार सॉफ्टवेयर के माध्यम से एक्स-रे रिपोर्ट डिजिटल फार्मेट में उनकी पर्ची पर बार कोड के रूप में होगी, जिसे स्कैन कर चिकित्सक रिपोर्ट देख सकेंगे। वहीं बार कोड स्कैनर की मदद से दवाओं के स्टॉक को भी अपडेट किया जा सकेगा।
पीजीआइ में अब डिजिटल फॉर्मेट में मिलेगी एक्स-रे रिपोर्ट, मरीजों को नहीं करना होगा इंतजार
बता दें कि एक्स-रे फिल्म पर पीजीआइ को साल में करीब 20 लाख रुपये खर्च करने पड़ते थे, लेकिन ई-उपचार सॉफ्टवेयर के माध्यम से इस पैसे की बचत होगी। पीजीआइ में सरकार द्वारा जारी किए गए ई-उपचार सॉफ्टवेयर के माध्यम से अब दवाओं के स्टॉक पर सीधी नजर रखी जा सकेगी। इसके अलावा ओपीडी स्लिप काटते समय उस पर एक बार कोड लगा दिया जाएगा। चिकित्सक के बार कोड स्कैन करते ही मरीज का ब्योरा सामने आ जाएगा।
पीजीआइ चिकित्सक पर्ची पर लगे बारकोड को स्कैन कर देख सकेंगे एक्स-रे
वहीं यदि मरीज को किसी भी प्रकार की जांच करानी है तो कोड स्कैन करने के बाद सैंपलिंग करते हुए उसकी रिपोर्ट मैन्युअल के बजाय बार कोड में ही डिजिटल रूप में अपलोड कर दी जाएगी। इससे मरीज को रिपोर्ट साथ रखने के झंझटों से मुक्ति मिलेगी। ई-उपचार सॉफ्टवेयर को ओपीडी के अलावा अन्य विभागों में शुरू कर दिया गया है। हालांकि कंप्यूटर इंजीनियर ओपीडी में सुचारु सॉफ्टवेयर संचालन के लिए अपलोडिंग करने में लगे हुए हैं।
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एक्सरे फिल्म नहीं निकाले जाने से पीजीआइ के प्रति वर्ष बचेंगे 20 लाख, दवाओं का स्टॉक भी होगा अपडेट
अभी तक दवाओं का स्टॉक अपडेट रखने के लिए कई कर्मचारियों को जिम्मेदारी दी गई थी। कर्मचारियों द्वारा प्रतिदिन ओपीडी समाप्त होने के बाद रजिस्टरों में दवाओं के स्टॉक की एंट्री की जाती थी। कई बार तो कर्मचारी स्टॉक अपडेट रखने में नाकाम हो जाते थे। इस कारण दवाओं की कमी पड़ जाती थी। ई-उपचार सॉफ्टवेयर मरीज को दवा देते ही दवाओं के स्टॉक को अपडेट कर देगा। इससे दवाओं की कमी होने पर उसे समय पर पूरा किया जा सकेगा।
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'' ई-उपचार सॉफ्टवेयर के माध्यम से दवाओं का स्टॉक और मरीजों का ब्योरा अपडेट रखा जाएगा। ई-उपचार के कारण अब एक्स-रे फिल्म भी नहीं बनानी पड़ेगी और मरीजों को इसके लिए इंतजार भी नहीं करना पड़ेगा। इससे प्रतिवर्ष करीब 20 लाख रुपये बचने की संभावना है। हालांकि अभी ओपीडी में सॉफ्टवेयर शुरू नहीं हो सका है। सॉफ्टवेयर शुरू होने पर सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली जाएंगी।
- डा. ओपी कालरा, वीसी, पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय।
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