ढाइ हजार वर्ष पुराना है हुड्डा गोत्र, राजस्थान कं ददरेडा से हुई शुरुआत
जागरण संवाददाता, रोहतक : हुड्डा गोत्र की वंशावली करीब ढाई हजार वर्ष पुरानी है। इस गो
जागरण संवाददाता, रोहतक :
हुड्डा गोत्र की वंशावली करीब ढाई हजार वर्ष पुरानी है। इस गोत्र के वंश की शुरुआत राजस्थान के ददरेडा से हुई है। हुड्डा गोत्र के लोग राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, हरियाणा के अलावा विश्व के कई देशों में बसे हुए हैं।
यह जानकारी हुड्डा गोत्र के ऊपर पुस्तक लिखने वाले लेखक डॉ. राजेंद्र ¨सह सोमेश ने दी। वह रुड़की गांव में पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस मौके पर हरियाणा के अभिलेखागार विभाग की उप निदेशिका डॉ. राजवंती व सरपंच शमशेर ¨सह ने पुस्तक का विमोचन किया।
राष्ट्रपति शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित पुस्तक के लेखक राजेंद्र ¨सह ने बताया कि हरियाणा में हिसार, सोनीपत, पानीपत, कुरुक्षेत्र, फरीदाबाद, भिवानी, झज्जर, सिरसा, जींद में भी इस गोत्र के लोग बसे हुए हैं। रोहतक जिले में इस गोत्र के गांव लगभग एक सीधी लाईन में पश्चिम से पूर्व की और बसते चले गए। इनमें घुसकानी, खिड़वाली, सांघी, ¨जदराण, चमारियां, जसिया, कटवाड़ा, बसंतपुर, धामड़, किलोई, पोलंगी, रुड़की, मुंगाण और आसन एक ही पंक्ति में बसे हुए हैं। पुस्तक के लेखक ने बताया कि इसमें हुड्डा के इतिहास के साथ ही इस गोत्र के अब तक के महापुरुषों के जीवन के बारे में भी प्रकाश डाला गया है। उन्होंने बताया कि इस पुस्तक को तैयार करने में कई वर्ष तक काफी मेहनत करनी पड़ी है, तब जाकर समस्त जानकारी जुटा पाएं हैं। पुस्तक के विमोचन अवसर पर सरपंच शमशेर ¨सह, पंचायत समिति के सदस्य धर्मबीर ¨सह व पंचायत सदस्यों ने लेखक राजेंद्र ¨सह को सम्मानित किया। संचालन डॉ. जसमेर हुड्डा व प्राध्यापिका स्वाति ने किया।
इस मौके पर हेडमास्टर रघुबीर ¨सह, हेमचंद्र राणा, स्कूल के प्राचार्य रोहतास दहिया, प्राचार्या किरण, समाजसेवी रामदिया और ग्राम पंचायत के सभी सदस्य मौजूद रहे।
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