Haryana Politics: विपक्ष के नेता के बिना ही चलेगा विधानसभा का शीतकालीन सत्र? कांग्रेस का हरियाणा पर अभी ध्यान नहीं
हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र से पहले कांग्रेस हाईकमान नेता प्रतिपक्ष के चयन को लेकर असमंजस में है। महाराष्ट्र चुनावों में व्यस्तता के कारण वरिष्ठ नेता चंडीगढ़ नहीं आ पा रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि 13 नवंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में विपक्ष के नेता के बिना ही कामकाज चलेगा। कांग्रेस का हरियाणा पर अभी ध्यान नहीं है।

अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा विधानसभा के 13 नवंबर से आरंभ हो रहे शीतकालीन सत्र को लेकर कांग्रेस हाईकमान गंभीर नहीं है। कांग्रेस के तमाम वरिष्ठ राष्ट्रीय नेता महाराष्ट्र के चुनाव में व्यस्त हैं। इसलिए संभावना जताई जा रही है कि हरियाणा में कांग्रेस विधायक दल के नेता का चयन महाराष्ट्र के चुनाव के बाद होगा।
कांग्रेस विधायक दल का नेता ही हरियाणा विधानसभा में विपक्ष का नेता होगा, क्योंकि कांग्रेस के 37 विधायकों के अलावा सदन में विपक्ष का कोई विधायक नहीं है।
महाराष्ट्र में 20 नवंबर को चुनाव है और हरियाणा विधानसभा का शीतकालीन सत्र 13 नवंबर से आरंभ होकर 18 नवंबर तक चलेगा। ऐसे में पूरी संभावना है कि विधानसभा का शीतकालीन सत्र विपक्ष के नेता के बिना चलने वाला है।
हरियाणा सरकार की सिफारिश पर विधानसभा सचिवालय की ओर से सदन के बिजनेस (कार्य) की संभावित सूची भी जारी की जा चुकी है। कांग्रेस इस समय जबरदस्त गुटबाजी से जूझ रही है। कांग्रेस विधायक दल की बैठक में विधायक दल के नेता के नाम का चयन हाईकमान पर छोड़ने संबंधी प्रस्ताव भेजा जा चुका है।
छह साल के लिए पार्टी से निकाला
कांग्रेस की हार के बाद हुड्डा और सैलजा खेमे में इस पद को लेकर खींचतान बनी हुई है। सैलजा समर्थक कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता बालमुकुंद शर्मा ने दो दिन पहले इंटरनेट मीडिया पर चंद्रमोहन बिश्नोई अथवा अशोक अरोड़ा में से किसी एक के विपक्ष का नेता बनने का बयान दिया था, जिसके बाद यह विवाद छिड़ गया कि बालमुकुंद शर्मा कांग्रेस के प्रवक्ता हैं भी अथवा नहीं।
बालमुकुंद ने पूर्व में जारी एक पत्र के माध्यम से दावा किया कि वे हरियाणा कांग्रेस के प्रवक्ता हैं, लेकिन रविवार को हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष चौधरी उदयभान ने उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहने का आरोप लगाते हुए छह साल के लिए कांग्रेस से निकाल दिया और कहा कि यदि वे कांग्रेस की ओर से किसी चर्चा में बैठे अथवा कोई बयान दिया तो उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई भी अमल में लाई जाएगी।
कांग्रे को मिली 37 सीटें
हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष पहले ही स्पष्ट तौर पर कह चुके हैं कि राज्य में संगठन नहीं बनने की वास्तविक वजह पार्टी प्रभारी दीपक बाबरिया हैं, जिन्हें कई बार संगठन की सूचियां सौंपी गई, लेकिन उन्होंने इन सूचियों को कांग्रेस हाईकमान तक नहीं पहुंचाया।
क्या भूपेंद्र हुड्डा के नाम पर लगेगी मुहरकांग्रेस ने हरियाणा में पिछले चुनाव के प्रदर्शन को सुधारा है लेकिन वह बहुमत से दूर रह गई। पिछले चुनाव में 31 सीटों के मुकाबले 2024 में कांग्रेस ने 37 सीटें जीती हैं तो नेता प्रतिपक्ष भी इसी का बनना तय है लेकिन कांग्रेस किसे नेता प्रतिपक्ष बनाएगी अब तक तस्वीर साफ नहीं हुई है। कांग्रेस के चुनाव जीते 37 विधायकों में 32 से 33 विधायक हुड्डा समर्थक हैं।
चंद्रमोहन बिश्नोई का नाम आगे
ऐसे में यदि कांग्रेस हाईकमान फिर भी हुड्डा विरोधी खेमे के किसी नेता को अथवा हुड्डा की बजाय उनके ही खेमे से किसी दूसरे नेता को विधायक दल का नेता बनाती है तो यह सैलजा के समर्थन में बड़ा घटनाक्रम होगा।
सैलजा खेमे की ओर से चंद्रमोहन बिश्नोई का नाम आगे किया जा रहा है, जबकि सैलजा समर्थक मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान को भी हटाने के लिए कांग्रेस हाईकमान पर दबाव बनाए हुए हैं।
ओमप्रकाश चौटाला, अभय चौटाला और हुड्डा रह चुके नेता विपक्ष2019 में जब लगातार दूसरी बार कांग्रेस को सत्ता से बाहर रहना पड़ा था तब पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया था, जबकि 2014 से 2019 के बीच इनेलो के अभय सिंह चौटाला नेता प्रतिपक्ष थे।
साल 2005 से 2014 तक इनेलो नेता ओमप्रकाश चौटाला विपक्ष के नेता था। उस वक्त हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।