11 साल बाद जीते सरकारी नौकरी का केस, अब सुरक्षा अधिकारी बनेंगे इनेलो पार्षद बल्लू
पार्षद बलराज ने 1991 में सुरक्षा अधिकारी के तौर पर मदवि में तैनात हुए थे। मामले पर राजनीतिक विवाद हुआ तो उन्होंने इस्तीफा दे दिया। अब वे केस जीत गए हैं।
जेएनएन, रोहतक। नगर निगम के वार्ड-9 से इनेलो के इकलौते पार्षद बलराज बल्लू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। वह यहां इनेलो के इकलौते पार्षद थे। बल्लू जल्द ही महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में सहायक सुरक्षा अधिकारी के पद पर तैनात होंगे। निगम के कमिश्नर प्रदीप कुमार को बल्लू ने अपना इस्तीफा सौंप दिया है। कमिश्नर ने इस्तीफा मंजूर भी कर लिया है। शहरी स्थानीय निकाय विभाग को भी पार्षद की ओर से इस्तीफा देने की जानकारी भेजी गई है।
बता दें कि पार्षद बलराज ने 1991 में सुरक्षा अधिकारी के तौर पर मदवि में तैनाती पाई थी। 1994 में राजनीतिक विवाद जुड़ गया। यही कारण रहा कि 2007 में नौकरी छोड़नी पड़ी। हालांकि पार्षद ने हार नहीं मानी और कोर्ट में खुद की पैरवी शुरू कर दी। बीते साल अक्टूबर में पार्षद के हक में कोर्ट ने फैसला सुनाया। साथ ही कोर्ट ने मदवि प्रशासन को यह भी आदेश दिए कि वरिष्ठता के साथ ही वेतन भी दिया जाए।
जल्द ही पार्षद सुरक्षा अधिकारी के पद पर तैनाती लेंगे, इसके बाद मुख्य सुरक्षा अधिकारी पद पर पदोन्नति होगी। बल्लू ने बताया कि सेशन कोर्ट ने मुङो न्याय दिलाया है। इनका यह भी कहना है कि पटना हाईकोर्ट के एक फैसले को आधार बनाया गया था, उसी आधार पर केस निर्णायक साबित हुआ।
पार्षद के इस्तीफे के बाद तमाम दावेदार आए
निकाय चुनाव जून में प्रस्तावित हैं। पहले ही तमाम दावेदार चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। हालांकि पार्षद बल्लू के इस्तीफे से दावेदारों की ओर से चुनाव लड़ने की तैयारियों को बल मिल गया है। नई वार्डबंदी भी वार्ड के लोगों के मुताबिक मानी जा रही है। यही कारण है कि वार्डबंदी को लेकर संबंधित वार्ड से कोई शिकायत नहीं दी गई। जो भी दावेदार चुनाव लड़ने की तैयारी में थे, उन्हें जब पार्षद के इस्तीफे की जानकारी हुई तो यह भी वार्ड में चर्चा का कारण बन गया।
वार्ड को बनाया स्वच्छता में अव्वल
पार्षद बल्लू ने वार्ड-9 को स्वच्छता में अव्वल लाने का कार्य किया। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि ही कहेंगे कि वार्ड-9 को बीते साल कुल 20 वाडरें में से स्वच्छता में नंबर-1 का पुरस्कार मिला था। पुरस्कार बतौर दो लाख रुपये की राशि भी मिली थी। अपने कार्यकाल के दौरान अधिकारियों के बीच भी खासे चर्चित रहे।
जब तक रहे पार्षद, तब तक नहीं मिलेगा वेतन
बेशक पार्षद बलराज बल्लू के हक में फैसला सुनाया हो, लेकिन यह भी आदेश दिए हैं कि जब तक पार्षद पद पर रहे हैं, उस दौरान का वेतन नहीं दिया जाएगा। बल्लू 2013 में पार्षद बने थे और इस्तीफा 3 अप्रैल यानि मंगलवार को दिया है, इसलिए करीब चार साल का वेतन बल्लू को नहीं मिलेगा।
बलराज बल्लू ने कहा...
मैंने हरसंभव प्रयास किया कि सेवा करूं। अपने कार्यकाल के दौरान जनता के हक की आवाज उठाई। जनता के लिए हमेशा दरवाजे खुले रहेंगे और नगर निगम से लेकर किसी भी विभाग से संबंधित कार्य हों, उन्हें कराता रहूंगा। जनता के साथ हर सुख-दुख में हमेशा साथ रहूंगा।
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