वैश्वीकरण का दुनिया को हुआ फायदा, कुछ नकारात्मक पहलू भी आए सामने : प्रो. धीरज शर्मा
- तुर्की के इस्तांबुल में हुए एजीबीए में बतौर की नोट स्पीकर शामिल हुए आइआइएम रोहतक के निदेशक - वैश्वीकरण व्यापार अफगानिस्तान आदि की समस्याओं पर दिया वक्तव्य किए गए सम्मानित

जागरण संवाददाता, रोहतक :
वैश्वीकरण से पूरे विश्व को काफी हद तक फायदा पहुंचा है। हालांकि, इसके नकारात्मक पहलु भी सामने आए हैं। गरीब और अमीर के बीच की दूरी बढ़ी है। पर्यावरण में बदलाव, महामारी आदि का दायित्व विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर ही उठाना होगा। भारतीय प्रबंधन संस्थान (आइआइएम) रोहतक के निदेशक प्रो. धीरज शर्मा ने यह वक्तव्य तुर्की के इस्तांबुल में हुए वर्ल्ड कांग्रेस आफ द एकेडमी फार ग्लोबल बिजनेस एडवांसमेंट (एजीबीए) में दिया। वह बतौर की-नोट स्पीकर तीन दिवसीय कार्यक्रम में शामिल हुए थे। 30 देशों से पहुंचे शोधार्थियों ने 160 शोधपत्र प्रस्तुत किए। वैश्वीकरण, व्यापार और डिजिटलाइजेशन विषय पर हुए कार्यक्रम में भारत, अमेरिका, इंडोनेशिया, यूएई, अफगानिस्तान, थाईलैंड, केन्या, ताइवान, श्रीलंका, कतर, बांग्लादेश, फिनलैंड, वियतनाम, पाकिस्तान, न्यूजीलैंड, मिस्त्र, दक्षिण अफ्रीका, यूगांडा, कजाकिस्तान, मलेशिया, इराक, तुर्की, लेबनन, सउदी अरब, यूके, ओमान, नाइजीरिया आदि देशों से प्रतिनिधि शामिल हुए।
प्रो. शर्मा ने उद्घाटन वक्तव्य में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापार और शांति, राजनीति व टकराव के जुड़ाव को रेखांकित किया। वैश्वीकरण के परिणाम के तौर पर दुनियाभर की युवा पीढ़ी के बीच की अपेक्षाओं पर जोर दिया। सम्मेलन में दो प्रमुख पैनल डिस्कशन हुए। पहले पैनल डिस्कशन का समन्वयन प्रो. धीरज शर्मा ने किया जिसमें वैश्वीकरण से विश्व को फायदा पहुंचा है या नुकसान, वैश्वीकरण को समाप्त नहीं किया जा सकता लेकिन इसमें सुधार लाया जा सकता है विषय पर पर चर्चा हुई। प्रो. डाना-निकोलेटा लास्कू (प्रोफेसर, रिचमंड विश्वविद्यालय, यूएसए), प्रो. विसेंट चांग (अध्यक्ष और कुलपति, ब्रैक विश्वविद्यालय, बांग्लादेश), डा. हमदान एएल-फजारी (अध्यक्ष और कुलपति, सोहर विश्वविद्यालय, ओमान), प्रो. फेवजी ओकुमस (प्रोफेसर, सेंट्रल फ्लोरिडा विश्वविद्यालय, यूएसए), प्रो. सलेम अल-गम्दी (प्रोफेसर, केएफयूपीएम, सऊदी अरब), प्रो. सिहान कोबानोग्लू (डीन, दक्षिण फ्लोरिडा विश्वविद्यालय), और डा. मिन्हत्रिहा (वाइस डीन, बिजनेस स्कूल, इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, वियतनाम नेशनल यूनिवर्सिटी) ने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर वैश्वीकरण के प्रभाव पर विचार रखे। पैनलिस्ट का जोर इस बात पर रहा कि किस तरह वैश्वीकरण से असमानता भी बढ़ी। गरीबों को व्यापार से मिले लाभों में हिस्सा नहीं मिला। प्रो. धीरज शर्मा ने समान भाषण में कहा कि संरक्षणवाद को हतोत्साहित किया जाना चाहिए, लेकिन साथ ही, विकसित देशों को राष्ट्रों के बीच व्यापार के परिणामों की बराबरी करने के लिए दायित्व उठाना होगा। विकसित देशों को उदारता दिखाने की बात उन्होंने कही।
अफगानिस्तान को बेहतर राष्ट्र बनाने की जिम्मेदारी विश्व की:
दूसरे पैनल डिस्कशन में अफ़ग़ानिस्तान में शांति निर्माण और अंतरराष्ट्रीय व्यापार को सामान्य बनाने के लिए गैर-मानक दृष्टिकोण विषय पर विचार रखे गए। प्रो. शर्मा ने अफगानिस्तान संकट से निपटने के लिए गैर-मानक ²ष्टिकोण की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए इससे निपटने के लिए क्षेत्रीय देशों की भूमिका को प्रमुख बताया। चर्चा इस विचार के साथ समाप्त हुई कि अफगानिस्तान को एक बेहतर राष्ट्र बनने में मदद करने के लिए दुनिया की जिम्मेदारी है और व्यापार इस दिशा में आवश्यक प्रोत्साहन बन सकता है। प्रो. शर्मा को ग्लोबल थाट लीडर अवार्ड:
एजीबीए बोर्ड ने प्रो. धीरज शर्मा को व्यापार और राष्ट्रों के लोकतंत्रीकरण में सकारात्मक योगदान देने की दिशा में उनके दृष्टिकोण और प्रयासों के लिए ग्लोबल थाट लीडर अवार्ड से सम्मानित किया। सम्मेलन में वैश्वीकरण पर अनुसंधान से संबंधित विभिन्न विषयों पर फैकल्टी डेवलपमेंट वर्कशाप भी हुई। नवाचार प्रबंधन, आइटी क्षमताओं, स्वास्थ्य देखभाल, साइबर सुरक्षा, उपभोक्ता व्यवहार, स्थिरता, जैसे विषयों पर तीन दिवसीय सम्मेलन में विभिन्न प्रकार के शोध पत्र प्रस्तुत किए गए।
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