किस्मत से मिला मौका और शेफाली वर्मा ने छोटी उम्र में बना दिया बड़ा रिकॉर्ड, वर्ल्ड कप फाइनल में छा गई हरियाणा की बेटी
रोहतक की शेफाली वर्मा ने महिला वनडे विश्व कप के फाइनल में 87 रन बनाकर भारत को जीत दिलाई। उन्हें 'प्लेयर ऑफ द मैच' चुना गया। शेफाली सबसे कम उम्र में यह पुरस्कार पाने वाली खिलाड़ी बनीं। रोहतक में जश्न का माहौल है। शेफाली के पिता ने उसे बचपन से क्रिकेट की ट्रेनिंग दी थी।

शेफाली वर्मा ने छोटी उम्र में बनाया बड़ा रिकॉर्ड। फाइल फोटो
प्रियंका देशवाल, रोहतक। ‘म्हारी छोरी छोरों तै कम है के…’ यह कहावत हरियाणा की मिट्टी का गर्व है और इसे हकीकत बनाया है रोहतक की बेटी शेफाली वर्मा ने। महिला वनडे विश्व कप फाइनल में उनके बल्ले से निकली आतिशी पारी ने न सिर्फ भारत को जीत दिलाई, बल्कि दुनिया के मंच पर हरियाणा की बेटी के हौसले को भी साबित किया। साउथ अफ्रीका के खिलाफ खेले गए फाइनल में शेफाली ने ओपनिंग करते हुए 78 गेंदों पर 87 रन की शानदार पारी खेली।
इसी प्रदर्शन पर उन्हें प्लेयर आफ द मैच चुना गया। वह पुरुष और महिला, दोनों वर्ल्ड कप इतिहास में फाइनल या सेमीफाइनल में यह अवार्ड पाने वाली सबसे कम उम्र की खिलाड़ी बनीं। इस ऐतिहासिक जीत के बाद सोमवार को रोहतक की घनीपुरा कालोनी में त्योहार जैसा माहौल रहा।
मोहल्ले में मिठाइयां बंटी, ढोल बजे और हर जुबान पर एक ही नाम गूंजा- शेफाली। पिता संजीव वर्मा ने कहा, ‘हमारी बेटी ने वो कर दिखाया जो हरियाणा के बेटे भी सोचें।’ पिता से कहा था—एक पल मिला तो याद रखेंगे पिछले एक साल से शेफाली फार्म से बाहर थीं और भारतीय टीम में जगह पक्की नहीं थी।
विश्व कप टीम में नाम जरूर आया, पर प्लेइंग-11 में मौका नहीं मिल रहा था। पिता संजीव वर्मा ने बताया, ‘फोन पर उसने कहा था-अभी टीवी पर टीम को देख रही हूं, पर अगर मुझे एक पल भी मौका मिला, तो कुछ ऐसा कर जाऊंगी कि सब याद रखेंगे।’ वो पल तब आया जब खिलाड़ी प्रतिका रावल चोटिल हो गईं।
इसी मौके को शेफाली ने ऐसे लपका कि इतिहास बन गया। उन्हें सेमीफाइनल में मैदान पर उतारा गया। इसके बाद फाइनल में 7 चौके और 2 छक्कों से सजी 87 रन की पारी ने भारत को विश्व कप जिताया और शेफाली को विश्व क्रिकेट के शीर्ष पर पहुंचा दिया।
चैंपियन बनने को लड़कों के बीच खेली थी क्रिकेट शेफाली की मां परवीन बाला ने कहा, ‘जब बेटी का चयन टीम इंडिया में हुआ, तो उसने कहा था-भगवान ने मुझे कुछ अच्छा करने के लिए भेजा है।
आज उसने वो कर दिखाया।’ पिता संजीव वर्मा ने बताया कि उन्हें भी बचपन में क्रिकेट का शौक था, लेकिन हालातों के कारण खेल नहीं पाए। उन्होंने निश्चय किया कि बेटी वही सपना पूरा करेगी। आठ वर्ष की उम्र में उन्होंने शेफाली को खुद ट्रेनिंग देना शुरू किया।
जब प्रोफेशनल कोचिंग का समय आया, तो शहर में लड़कियों की कोई अकादमी नहीं थी। कोच ने लड़कों की टीम में शामिल करने से मना कर दिया, तो पिता ने उसके बाल कटवा दिए, ताकि वह लड़कों के बीच क्रिकेट सीख सके। सबसे कम उम्र में डेब्यू सिर्फ 15 साल की उम्र में रणजी में शानदार प्रदर्शन के बाद शेफाली का चयन टीम इंडिया में हुआ। वह देश के लिए सबसे कम उम्र में डेब्यू करने वाली खिलाड़ी बनीं।
इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। शेफाली अब तक भारत के लिए 5 टेस्ट, 31 वनडे और 90 टी-20 मैच खेल चुकी हैं। उन्होंने टेस्ट में 567, वनडे में 741 और टी-20 में 2221 रन बनाए हैं। वह महिला प्रीमियर लीग में दिल्ली कैपिटल्स से खेलती हैं, जहां उन्होंने अब तक 27 मैचों में 865 रन बनाए हैं। इसके अलावा, पहली बार हुए अंडर-19 महिला टी-20 विश्व कप में भारत की कप्तान के रूप में टीम को चैंपियन बनाया।

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