डीन एकेडमिक अफेयर बनाए गए डा. अशोक चौहान
पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय की कुलपति डा. अनीता सक्सेना ने विश्वविद्यालय के डीन एकेडमिक अफेयर के महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी रेडिएशन ओंकोलाजी विभाग के सीनियर प्रोफेसर व डीन फैकल्टी आफ मेडिसिन एंड एलाइड डिपार्टमेंट डा. अशोक चौहान को सौंपी है। डा. अशोक चौहान ने कुलपति डा. अनीता सक्सेना व कुलसचिव डा. एच के अग्रवाल का धन्यवाद व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें जो यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है वे उस पर खरा उतरने का भरपूर प्रयास करेंगे।

जागरण संवाददाता, रोहतक : पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय की कुलपति डा. अनीता सक्सेना ने विश्वविद्यालय के डीन एकेडमिक अफेयर के महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी रेडिएशन ओंकोलाजी विभाग के सीनियर प्रोफेसर व डीन फैकल्टी आफ मेडिसिन एंड एलाइड डिपार्टमेंट डा. अशोक चौहान को सौंपी है। डा. अशोक चौहान ने कुलपति डा. अनीता सक्सेना व कुलसचिव डा. एच के अग्रवाल का धन्यवाद व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें जो यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है, वे उस पर खरा उतरने का भरपूर प्रयास करेंगे।
सभी कोर्स में जल्द करवाएंगे काउंसलिग
डा. अशोक चौहान ने कहा कि उनका पहला प्रयास रहेगा कि सभी कोर्सों की जल्द से जल्द काउंसलिग करवा कर विद्यार्थियों की पढ़ाई शुरू करवाई जाए ताकि उन्हें किसी प्रकार का नुकसान ना हो। उन्होंने कहा कि उनका हमेशा प्रयास रहेगा कि छात्रों के हित में अधिक से अधिक कार्य किए जाएं। गौरतलब है कि डा. अशोक चौहान को पीजीआइएमएस में प्रशासनिक पदों का बहुत ज्यादा अनुभव है। इससे पहले डा. अशोक चौहान कुलसचिव व चिकित्सा अधीक्षक के पद पर लंबे समय तक रहते हुए संस्थान की उन्नति में अपना सहयोग दे चुके हैं।
पीजीआइ के रहे हैं छात्र
सोनीपत जिले के गांव लाठ में जन्मे डा. अशोक चौहान ने अपने शुरुआती पढ़ाई गांव के स्कूल से ही की इसके बाद उन्होंने अपनी प्री मेडिकल की पढ़ाई चंडीगढ़ के डीएवी स्कूल से की। इसके बाद उन्होंने पीजीआइ से ही अपने एमबीबीएस व एमडी की पढ़ाई पूरी की। यहां विशेष उल्लेखनीय है कि डा. चौहान रेडिएशन ओंकोलाजी में पीजी करने वाले सबसे पहले छात्र रहे हैं। इसके बाद उन्होंने कैंसर विभाग में लेक्चरर के पद पर ज्वाइन किया और वर्तमान में कैंसर विभाग में सीनियर प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। डा. अशोक चौहान ने चिकित्सा अधीक्षक के पद पर लंबे समय तक अपनी सेवाएं देते हुए अस्पताल को काफी सुचारू रूप से चलाया और कभी भी मरीजों को संस्थान में कोई परेशानी नहीं आने दी।
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