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    बड़े-बड़ों को पछाड़ रही नन्हीं उड़नपरी दिशी वशिष्ठ, 5 किलोमीटर की मैराथन में कम समय में बनाया रिकार्ड

    रोहतक की दिशी वशिष्ठ ने चंडीगढ़ में आयोजित मैराथन में पांच किलोमीटर की दूरी मात्र 18 मिनट 25 सेकेंड में पूरी कर दी। इस बड़े-बड़े धावकों को पछाड़ते गोल्ड मेडल हासिल किया है। वहीं रविवार को ग्रेटर नोएडा में आयोजित यशोधा हाफ मैराथन में दौड़ में भी गोल्ड जीता है।

    By Jagran NewsEdited By: Naveen DalalUpdated: Tue, 15 Nov 2022 08:51 AM (IST)
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    सांपला की आठ वर्षीय दिशी वशिष्ठ का सपना ओलिंपिक में देश को पदक दिलाना।

    रोहतक, ओपी वशिष्ठ। मात्र आठ वर्ष की हैं दिशी वशिष्ठ। जब दौड़ती हैं तो दर्शक उसकी गति को देखकर दंग रह जाते हैं। कभी देहरादून, कभी चंडीगढ़ तो कभी नोएडा में पदक जीत रही हैं। ऐसे दौड़ती हैं, मानों हवा से बात करती हैं। चंडीगढ़ में आयोजित मैराथन में पांच किलोमीटर की दूरी मात्र 18 मिनट 25 सेकेंड में पूरी कर दी। बड़े-बड़े धावकों को पछाड़ते गोल्ड मेडल हासिल किया है। इतना ही नहीं रविवार को ग्रेटर नोएडा में आयोजित यशोधा हाफ मैराथन में पांच किलोमीटर दौड़ में फिर से गोल्ड मेडल जीता है।

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    दिशी वशिष्ठ पुत्री दिनेश वशिष्ठ जिले के गांव खेड़ी सांपला की रहने वाली। बचपन से ही दौड़ने का शौक था। बच्चों के साथ गली में खेलते हुए दौड़ना शुरु कर देती तो उम्र के बड़े बच्चों को भी पीछे छोड़ देती थी। धीरे-धीरे दिशी को उसके पिता दिनेश ग्राउंड में ले जाने लगे। देखते ही देखते उसके प्रदर्शन में निखार आया। आसपास छोटे-छोटे टूर्नामेंट में हिस्सा लिया, वहां ओपर कैटेगरी के युवाओं को टक्कर देना शुरू दिया। अब तो ओपर कैटेगरी में भी पदक पर पदक जीत रही हैं, नन्हीं धाविका दिशी वरिष्ठ।

    पिता दिनेश का कहना है कि दिशी ओलिंपिक में देश के लिए पदक लाना चाहती है। जिस तरह से उसमें दौड़ने का जुनून है, उससे लगता है कि लक्ष्य तक जरूर पहुंच जाएगी। दिनेश ने बताया कि वह दस-दस किलोमीटर तक एक साथ दौड़ का अभ्यास करती हैं। खास बात यह है कि वह दौड़ते समय थकती भी नहीं है। अब जिले से बाहर भी दौड़ प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने लगी हैं।

    बाल धाविका पूजा बिश्नोई के रिकार्ड को दी चुनौती

    दिनेश ने बताया कि राजस्थान की बाल धाविका पूजा बिश्नोई के तीन किलोमीटर दौड़ का रिकार्ड 12 मिनट 50 सेकेंड को दिशी तोड़ना चाहती है। वह उसके रिकार्ड को तोड़ने के लिए संबंधित एजेंसियों से संपर्क कर चुके हैं, लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली है। बताते हैं कि इस उम्र कैटेगरी में रिकार्ड बनाने का मापदंड नहीं है।

    ये हैं हाल की उपलब्धियां

    • 16 अक्टूबर देहरादून में अंडर-14 में पांच किलोमीटर में गोल्ड मेडल।
    • 23 अक्टूबर को हंगरी अंबेसी मैराथन ओपर कैटेगरी पांच किलोमीटर में सिल्वर मेडल।
    • 06 नवंबर को चंडीगढ़ ओपन कैटेगरी पांच किलोमीटर 18 मिनटर 25 सेकेंड का।

    नया रिकार्ड

    • 13 नवंबर ग्रेटर नोएडा ओपन कैटेगरी पांच किलोमीटर में गोल्ड मेडल।