'खिलाड़ियों से दुश्मनों जैसा बर्ताव करती है BJP', बास्केटबॉल प्लेयर्स की मौत मामले में हुड्डा ने लगाए गंभीर आरोप
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने बास्केटबॉल खिलाड़ियों की मौत को सरकारी लापरवाही से हुई हत्या बताया है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार खेल और खिलाड़ियों के साथ दुश्मनों जैसा बर्ताव कर रही है। कांग्रेस इस मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करती है, साथ ही मृतक खिलाड़ियों के परिवारों को सरकारी नौकरी और आर्थिक सहायता देने की मांग की है।
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पूर्व सीएम हुड्डा बोले- आगामी विधानसभा सत्र में उठाया जाएगा मामला।
जागरण संवाददाता, रोहतक। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि भाजपा सरकार खेल और खिलाड़ियों के साथ दुश्मनों जैसा बर्ताव कर रही है। इसी वजह से बास्केटबाल के जर्जर हो चुके पोल के गिरने से दो होनहार युवा खिलाड़ियों हार्दिक और अमन की मौत हुई। यह कोई साधारण दुर्घटना या सामान्य मृत्यु नहीं है, बल्कि सरासर सरकारी लापरवाही से हुई हत्या है।
हार्दिक राष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी था। उसका भविष्य बहुत उज्ज्वल था, क्योंकि वो अभी से अमेरिका के एक क्लब से भी जुड़ चुका था। इसी तरह मात्र 15 वर्षीय अमन भी एक होनहार खिलाड़ी था। दोनों युवा खिलाड़ियों की असमय मृत्यु ने पूरे प्रदेश को स्तब्ध कर दिया है। कांग्रेस मांग करती है कि इस मामले की निष्पक्ष उच्चस्तरीय जांच हो और दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई हो।
इस मामले में लापरवाही के लिए जिम्मेदार लोगों पर एफआइआर दर्ज करके ऐसी कार्रवाई की जानी चाहिए, जिससे पूरे तंत्र को सबक मिले। साथ ही, दोनों मृतक खिलाड़ियों के परिवारों को तुरंत सरकारी नौकरी दी जाए पर्याप्त आर्थिक सहायता प्रदान की जाए।
हुड्डा ने कहा कि इस हादसे की सीधी जिम्मेदारी वर्तमान भाजपा सरकार की है। क्योंकि कांग्रेस सरकार के समय खेलों के लिए जो विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया गया था, उसका रख-रखाव तक इस सरकार ने नहीं किया। आज हरियाणा में खेल व्यवस्था पूरी तरह जर्जर हो चुकी है। स्टेडियम, खेल मैदान और उपकरणों की कोई सुध नहीं ली जा रही।
लाखनमाजरा में जिस पोल से यह हादसा हुआ, वह पूरी तरह जंग लगा और जर्जर हालत में था। पूर्व मुख्यमंत्री ने बताया कि सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने इसी लाखनमाजरा ग्राउंड के लिए 12 लाख 30 हजार रुपये और उसके बाद 6 लाख 20 हजार रुपये और दिए थे, लेकिन सारा पैसा कागजों में ही दबकर रह गया, धरातल पर कुछ नहीं हुआ।

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