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    15 साल की उम्र तक दो शादियां व बनी जुड़वां बच्चों की मां, फिर साकार किया सपना

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Tue, 02 Oct 2018 09:04 PM (IST)

    नीतू मलिक ने साबित किया कि परिस्थिति कुछ भी हाे सपने को मरने नहीं देें। नी‍तू की 15 साल की उम्र तक दो शादियां हुईं और जुड़वा बच्‍चे हो गए। इसके बावजू ...और पढ़ें

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    15 साल की उम्र तक दो शादियां व बनी जुड़वां बच्चों की मां, फिर साकार किया सपना

    अजमेर गोयत, महम (रोहतक)। कहते हैं सपने देखो और इसे किसी भी परिस्‍थति में मरने न दो। यही किया महम की नीतू ने। नीतू मलिक बचपन से ही रेसलर बनने का सपना देखती थी, लेकिन परिस्थितियां और घरेलू हालात एकदम प्रतिकूल थे। घर में खाने के लाले थे और ऐसी हालत में परिवार वालों ने 13 वर्ष की उम्र में 45 साल के अधेड़ से शादी कर दी। ससुराल से भाग कर मायके आ गई तो 14 साल की उम्र में पिता ने एक समवयस्‍क लड़के से शादी कर दी। 15 साल की उम्र में वह जुड़वां बच्चों की मां बन गई। इसके बाद भी उसने अपने सपने को नहीं मरने दिया। पति ने सपोर्ट किया और आज वह नेशनल रेसलर है। एक दिन पहले ही नीतू ने राजस्थान के चित्तौडग़ढ़ में अंडर- 23 वर्ग के 57 किलोग्राम में गोल्ड मेडल जीता है।

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    13 की उम्र में पहली शादी, 14 में दूसरी, 17 की उम्र में जूनियर कुश्ती की नेशनल चैंपियन बनी नीतू मलिक

     

    अभी तक की जिंदगी में नीतू ने कदम-कदम पर विषम परिस्थितियों राह आसान नहीं रही। वह छोटी थी तभी से कुश्‍ती के दांवपेंच सीखती थी। नीतू का सपना था गीता व बबीता फौगाट की तरह कुश्‍ती में अपना नाम कमाना। ले‍किन, उसके सपने को तब झटका लगा, जब पिता ने 13 साल की उम्र में विवाह कर दिया। वह भी 45 साल के अधेड़ के साथ। पिता की भी मजबूरी थी। घर में खाने की लाले पड़े थे। ऐसे में बेटी के हाथ पीले करना की ही उचित समझा। शादी के बाद नीतू ससुराल गई, लेकिन फिर मायके लौट आई तो पिता को गलती का एहसास हुआ।

     

     

    अब राजस्थान के चित्तौडग़ढ़ में अंडर- 23 वर्ग के 57 किलोग्राम में जीता गोल्ड मेडल

     

    उन्होंने महम के गांव बेड़वा के समवयस्क युवक संजय के साथ नीतू की दूसरी शादी कर दी। वह 14 की उम्र में संजय के घर पहुंची। साल भर बाद ही जुड़वा बच्चों की मां बन गई। इस दौरान बच्चों की जिम्मेदारी निभाते हुए नीतू अकसर पति संजय से अपने रेसलर बनने के सपने के बारे में बताती रहती। संजय ने उसे हौसला दिया और उसने अभ्यास शुरू कर दिया।

     

    नीतू सुबह तीन बजे उठकर पति के साथ बाइक पर 40 किलोमीटर दूर रोहतक के छोटूराम स्टेडियम में अभ्यास के लिए पहुंचने लगी। 2013 में उन्होंने कोच मनदीप से प्रशिक्षण लेना शुरू किया। यहां वह सात बजे तक अभ्यास करती। वजन कम करने के लिए वह गर्मियों में दस-दस किलोमीटर तक दौड़ लगाती। इस दौरान उन्होंने जिला व प्रदेश स्तर पर अनेक प्रतियोगिताओं में तमाम मेडल जीते।

     

    प्रतियाेगिता में जीत के बाद सम्‍मान प्राप्‍त करती नीतू।

     

    बेहतरीन प्रदर्शन के कारण उसका चयन राष्ट्रीय जूनियर चैंपियनशिप के लिए हुआ। उसमें नीतू ने कांस्य पदक जीता। इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक अनेक मेडल जीते। 2015 में ब्राजील में हुई वर्ल्‍ड जूनियर कुश्ती चैंपियनशिप में उसने देश का प्रतिनिधित्व भी किया।

     

    अब फोकस रूस में होने वाली वर्ल्‍ड चैंपियनशिप में गोल्ड जीतने पर

    नीतू की उपलब्धियों से प्रभावित होकर सशस्त्र सीमा सुरक्षा बल ने नौकरी की पेशकश की तो उसने स्वीकार कर लिया। यहां पर उसे खेल प्रशिक्षक राजीव राणा मार्गदर्शन देते हैं। उसने बताया कि अब वह रूस में होने वाली वर्ल्‍ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने पर फोकस कर रही है। नी‍तू के परिजनों का कहना है कि उन्‍हें नीतू की कामयाबी पर गर्व है।