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    Ram Mandir: हरियाणा के इस मठ में बनी थी राम मंदिर आंदोलन की पूरी रणनीति, आडवाणी से लेकर CM योगी के गुरू भी थे बैठक में शामिल

    By Arun kumar sharma Edited By: Monu Kumar Jha
    Updated: Thu, 18 Jan 2024 02:55 PM (IST)

    Ayodhya Ram Mandir रोहतक में देश के सबसे बड़े आंदोलन यानी राम मंदिर आंदोलन की रणनीति तय हुई थी। आंदोलन की कई रणनीतियों में साझीदार रहे डा. मारकंडे आहूजा ने कई पुराने किस्से बताए हैं। उन्होंने बताया 1990 के आसपास बाबा मस्तनाथ मठ में एक बैठक हुई थी। जिसमें सीएम योगी के गुरू महंत अवैद्यनाथ के अलावा विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष रहे अशोक सिंघल और भाजपा नेता आडवाणी भी थे।

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    Rohtak News: बाबा मस्तनाथ मठ में बनी थी हरियाणा में राम मंदिर आंदोलन की रणनीति। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, रोहतक। रोहतक को राजनीतिक राजधानी यूं ही नहीं कहा जाता। यहां देश के सबसे बड़े आंदोलन यानी राम मंदिर आंदोलन की रणनीति भी तय हुई थी। पुराने किस्से ... याद करते हुए उस वक्‍त के कई किस्से जागरण के साथ साझा किए। राम मंदिर आंदोलन की कई रणनीतियों में साझीदार रहे डा. मारकंडे आहूजा ने कई पुराने किस्से साझा किए हैं।

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    डा. आहूजा ने बताया कि 1990 के आसपास बाबा मस्तनाथ मठ (Baba Mastnath Math) में एक बैठक हुई थी। राम मंदिर आंदोलन के अध्यक्ष बनाए गए महंत अवैद्यनाथ के अलावा विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष रहे अशोक सिंघल भी बैठक में आए थे। राम मंदिर आंदोलन से जुड़ी रणनीति के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी (LK Advani) भी यहां पहुंचे थे।

    डा. मारकंडे ने बताया कि महंत अवैद्यनाथ गोरखपुर(Gorakhpur) स्थित नाथ संप्रदाय मठ के महंत और नाथ संप्रदाय के अध्यक्ष थे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) के भी गुरु थे। उस दौरान जो बैठक हुई थी उसमें हरियाणा के एक-एक जिले की रणनीति का यहीं खाका खींचा गया था।

    आंदोलन के दौरान बाबा मस्तनाथ मठ रोहतक के महंत रहे स्वर्गीय चांदनाथ ने अयोध्या जाने वालों के लिए आर्थिक मदद के द्वार खोल दिए थे। जो कार सेवक फंस जाते, उन्हें रोहतक व दूसरे जिलों व राज्यों तक सुरक्षित पहुंचाने का भी जिम्मा निभाया। यहां से भेजने के लिए वाहनों का भी बड़े पैमाने पर इंतजाम किया गया।

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    अलीगढ़ की जेल में कैदियों के साथ हुआ रामभजन

    डा. मारकंडे ने बताया कि आंदोलन के दौरान संतों की भूमिका भी महत्वपूर्ण थी। उस दौरान अयोध्या जाने के दौरान गीता मनीषी ज्ञानानंद महाराज को शिष्यों के साथ पुलिस ने पकड़ लिया। कुछ भक्तों को आगरा तो कई शिष्यों के साथ अलीगढ की जेल में ज्ञानानंद महाराज को ले जाया गया। उस दौरान ज्ञानानंद महाराज ने कैदियों के साथ रामभजन शुरू किया।

    आंदोलन से जुड़ी कैसेट ब्लैक में खरीदते, ट्रक जहां पहुंचता वहीं पहुंच जाते

    प्रसिद्ध नेत्र रोग विशेषज्ञ एवं सेक्टर-1 निवासी डा. मारकंडेय आहूजा ने बताया कि उनके पिता भगवंत लाल का 1979 में निधन हो गया था। 1980 में मां निर्मल आहूजा के साथ रोहतक आए। 1988 में महंत चांदनाथ से जुड़ गए। राम मंदिर आंदोलन से जुड़े आंदोलन के दौरान साध्वी ऋतंभरा की कैसेट ट्रकों पर चलती।

    छह दिसंबर 1992 में विवादित ढांचा ढहने के बाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया था। कैसेट बिक्री करने वालों को पुलिस उठा लेती थी। बाजार से कैसेट भी जब्त कर ली थीं। इसलिए ब्लैक में कैसेट बिकती थीं। उस दौरान 10 रुपये की कैसेट 100 रुपये में खरीदी।

    एमबीबीएस व एमएस की पढ़ाई के दौरान प्रति माह 800 रुपये का स्टाईफंड मिलता था। इसी तरह से मधु त्रेहान की बनाई फिल्म की कैसेट भी जब्त की जा रही थीं। वह कैसेट भी 60-70 रुपये के बजाय 400-400 रुपये में बिक रहीं थीं।

    वह सभी कैसेट खरीदी। आंदोलन के दौरान जिस ट्रक पर कैसेट सुनाई जातीं, वहीं दौड़ लगाकर पहुंच जाते। डा. आहूजा कई आंदोलन की रणनीतियों के साझीदार रहे हैं। हालांकि अयोध्या न जाने का आज तक मलाल भी है।

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