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    आपसी भाईचारे की मिसाल पेश कर रहा है अटायल गांव

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 28 Dec 2021 06:22 PM (IST)

    जिले के भूभाग पर प्रकृति की गोद में बसा अटायल गांव आपसी भाईचारे की मिसाल पेश कर रहा है। यहां पर विभिन्न जातियों के लोग आपस में मिलजुलकर गांव के विकास में अपना योगदान दे रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अटायल गांव गाधरा के बाद बना है। जिस कारण इस गांव को गाधरा का छोटा भाई भी कहते हैं।

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    आपसी भाईचारे की मिसाल पेश कर रहा है अटायल गांव

    जागरण संवाददाता, रोहतक : जिले के भूभाग पर प्रकृति की गोद में बसा अटायल गांव आपसी भाईचारे की मिसाल पेश कर रहा है। यहां पर विभिन्न जातियों के लोग आपस में मिलजुलकर गांव के विकास में अपना योगदान दे रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अटायल गांव गाधरा के बाद बना है। जिस कारण इस गांव को गाधरा का छोटा भाई भी कहते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि किवदंती के मुताबिक गांधरा, कारोर, अटायल, खरावड़ गांवों के नाम चार भाइयों के नाम पर रखे गए हुए हैं। दरअसल, सदियों पहले डीघल गांव की लड़की की शादी सोनीपत जिले के खानपुर के पास की गई थी। बाद में वे यहां रोहतक के गांधरा में आकर बस गई थी। उसी के चार लड़के हुए हैं। जिन्होंने ये अलग अलग चार गांव बसाए। इसी कारण इन गांवों में आपसी भाईचारा काफी मजबूत है। वर्तमान में अटायल गांव की आबादी लगभग 7000 है। गांव में दो सरकारी स्कूल है। एक कन्या उच्च विद्यालय और दूसरा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अटायल है। गांव में एक पार्क भी है। इसके अलावा एक पशु अस्पताल व एक उप स्वास्थ्य केंद्र भी है। गांव में रहने वाले सभी जातियों के लोगों की चौपाल हैं। गांव में शिव मंदिर भी है प्रतिवर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा को यहां मेला भी लगता है।

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    गांव में एक आस्था व विश्वास का प्रतीक दादा देईपाल मंदिर है। यहां दूर-दूर से भी व्यक्ति अपनी मनोकामना के लिए आते हैं। समय समय पर यहां धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन होता रहता है। एक तालाब भी इसी के पास है। जनश्रुति के अनुसार दादा देईपाल प्राचीन समय में गायों को चराने के बाद यहां पाल के ऊपर बैठाते थे। बाद में उनका शरीर इसी पाल या स्थान में समा गया। दादा का देई नाम गायों के कारण पड़ा। गांव में दो एकड़ में महर्षि दयानंद पार्क भी है। गांव से एक स्वतंत्रता सेनानी भी हुए हैं जिनका नाम टेकराम था। हिदी आंदोलन में भी महाशय उदय सिंह व महाशय समेराम का अहम योगदान था।

    देश सेवा में भी दे रहे योगदान

    गांव के युवा देश सेवा में भी योगदान दे रहे हैं। इस गांव से सेना में जवान लगभग 130 है। दो जवान शहीद भी हुए है, शहीद अत्तर सिंह 1971 में भारत-पाकिस्तान की लड़ाई में और शहीद जयवीर दिसंबर 2005 में शहीद हुए थे। गांव के पांच लेफ्टिनेंट है व दो पायलेट भी है। इस गांव मे आर्य समाज की भी संस्था है। महर्षि दयानंद युवा समिति गांव में सामाजिक कार्यों में आगे रहती है। इससे अलग सुखवीर, टेका नंबरदार, होशयार सिंह, सूबे सिंह, पंडित सुरेश, दशरथ सिंह, सुरेन्द्र पाल, धनपत सिंह, प्रवेश शास्त्री, अमन, नीरज डीपी, प्रदीप, सौरभ, रोहित, राकेश आदि ने भी गांव का नाम रोशन किया है।