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    बगैर मास्क पहने गेट से एंट्री की तो बजने लगेगा अलार्म, कंट्रोल रूम में भी पहुंचेगा नोटिफिकेशन

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Tue, 09 Jun 2020 01:44 PM (IST)

    रोहतक के एमडीयू की एक छात्रा एक कमाल का मॉडल तैयार किया है। इसके लगाने से किसी इमारत में किसी व्‍यक्ति के बिना मास्‍क पहने गेट से एंट्री करते ही अलार् ...और पढ़ें

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    बगैर मास्क पहने गेट से एंट्री की तो बजने लगेगा अलार्म, कंट्रोल रूम में भी पहुंचेगा नोटिफिकेशन

    रोहतक, [केएस मोबिन]। कोविड-19 के संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए मास्क की भूमिका अहम मानी जा रही है। सरकार ने भी घरों से बाहर निकलने पर मास्क लगाना अनिवार्य किया है। इसके बावजूद लोग लापरवाही बरत रहे हैं। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) की कंप्यूटर साइंस एंड एप्लीकेशन विभाग की शोधार्थी छाया गुप्ता ने फेस मास्क डिटेक्शन मॉडल इजाद किया है। भीड़ वाले इलाकों में मास्क न पहनने वालों की निगरानी इस मॉडल से की जा सकती है।

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    एमडीयू की शोधार्थी छाया ने तैयार किया फेस मास्क डिटेक्शन मॉडल

    आर्टिफिशिल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग पर आधारित इस मॉडल का नाम दिया गया है, कोरोना मास्क- फेस मास्क डिटेक्टर। बगैर मास्क लगाए डिटेक्टर के आगे से गुजरने पर अलार्म बजेगा। कंट्रोल रूम में भी नोटिफिकेशन चला जाएगा। शोधार्थी ने बताया कि करीब एक सप्ताह के गहन अध्ययन के बाद मॉडल के लिए एल्गोरिदम (कंप्यूटर प्रोग्रामिंग)  तैयार किया है।

     

    कोरोना मास्क-फेस मास्क डिटेक्टर बनाने वाली छात्रा छाया गुप्‍ता व  रिसर्च सुपरवाइजर प्रो. नसीब सिंह गिल।

    न्यूरल नेटवर्क इमेज की तरह चेहरे को करेगा स्कैन

    चेहरे की पहचान के लिए कॉन्वोल्यूशन न्यूरल नेटवर्क को एल्गोरिदम का आधार बनाया गया है। न्यूरल नेटवर्क चेहरे को एक इमेज की तरह रीड करेगा। अच्छी तरह स्कैनिंग के बाद विद मास्क और विदाउट मास्क का नोटिफिकेशन देगा। मास्क न लगाने वाले व्यक्ति के चेहरे पर विदाउट मास्क के मैसेज के साथ लाल रंग का स्क्वायर स्क्रीन पर दिखाई देगा। वहीं मास्क डिटेक्ट होने पर न तो अलार्म बजेगा न ही नोटिफिकेशन जाएगा।

    सीसीटीवी में मॉडल की प्रोग्रामिंग की जा सकती है फीड

    शोधार्थी ने बताया कि मॉडल के लिए भारी-भरकम उपकरण या अलग से कंट्रोल रूम बनाने की जरूरत नहीं है। सीसीटीवी (क्लोज्ड सर्किट टेलीविजन) में प्रोग्राङ्क्षमग फीड की जा सकती है। भीड़ वाले सार्वजनिक स्थान, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, बाजारों में एंट्री व एग्जिट गेट के साथ ही अन्य स्थानों पर भी बहुत कम खर्च पर तकनीक इस्तेमाल की जा सकती है।

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    '' लॉकडाउन को चरणबद्ध तरीके से खोला जा रहा है। संक्रमण को नियंत्रित करने में मास्क लगाना बेहद जरूरी है। इसी से फेस मास्क डिटेक्शन मॉडल बनाने का आइडिया आया। रिसर्च सुपरवाइजर के मार्गदर्शन में एल्गोरिदम पर काम करना शुरू किया। इसे किफायती व सरल बनाने पर जोर रहा। मॉडल को अन्य जरूरतों के अनुसार भी विकसित किया जा सकता है।

                                            - छाया गुप्ता, शोधार्थी, कंप्यूटर साइंस एंड एप्लीकेशन विभाग, एमडीयू रोहतक।

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    '' कोरोना संकट में फेस मास्क डिटेक्शन तकनीक कारगर साबित होगी। शोधार्थी ने घनी जनसंख्या को ध्यान में रखकर मॉडल तैयार किया गया है। लॉकडाउन खुलने पर लोगों ने महामारी को थोड़ा हल्के में भी लिया है। मास्क लगाने में कोताही बरती जा रही है। शोधार्थी ने सही दिशा में कदम उठाया है। जनकल्याण के लिए इस तरह के मॉडल पर काम करने की जरूरत है।

    - प्रो. नसीब सिंह गिल, रिसर्च सुपरवाइजर, कंप्यूटर साइंस एंड एप्लीकेशन विभाग एवं डायरेक्ट डिजिटल लर्निंग सेंटर, एमडीयू रोहतक।

    - कॉन्वोल्यूशन न्यूरल नेटवर्क आधारित एल्गोरिदम (कंप्यूटर प्रोग्रामिंग) से इजाद की तकनीक

    - बेदह कम खर्च पर सीसीटीवी में फीड की जा सकती है प्रोग्राङ्क्षमग