'हरियाणा गौरव' बन रही घाटे का सौदा
जागरण संवाद केंद्र, रोहतक : प्रदेश के रोडवेज यात्रियों की सुविधाओं के लिए परिवहन बेड़े में शामिल 'हरियाणा गौरव' घाटे का सौदा बनती जा रही है। इससे निजात पाने के लिए अधिकारियों ने सरकार से इन बसों को सामान्य बसों में तबदील करने की प्रपोजल भेज रखा है। यदि इस प्रपोजल को अधिकारियों की हरी झंडी मिल जाती है तो, सवारियों को बिना अतिरिक्त किराया दिए इन बसों में सफर करना आसान हो जाएगा।
हरियाणा रोडवेज ने वर्ष 2006 में 'हरियाणा गौरव' को यात्रियों की तमाम सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए सड़क पर उतारा था। इनमें पुरानी बसों की हालत तो इतनी दयनीय है कि इनके पर्दो से दुर्गध आती है। सुविधाओं के नाम पर लिया जाने वाले अतिरिक्त चार्ज सिवाय यात्रियों पर बोझ के सिवाय कुछ नहीं है। क्योंकि इन बसों से सुविधाएं नदारद है। हरियाणा रोडवेज वर्कशॉप प्रबंधक गुलाब सिंह ने बताया कि रोहतक के अलावा प्रदेश के अन्य 20 रोडवेज डिपो में लगभग चार के हिसाब से गौरव बसे शामिल हैं। इन बसों में एसी सीट, पर्दे, मोबाइल व लैपटॉप चार्जर आदि की विभिन्न सुविधाएं दी जाती हैं। इसकी देखरेख में अतिरिक्त धन, समय व मैन पावर का प्रयोग किया जाता है। सामान्य बसों में 47 व 52 सीटें होती हैं, जबकि हरियाणा गौरव में 53 सीट होती है। इन सीटों की रिपेयरिंग से लेकर धुलाई तक का कार्य विभाग को स्वयं ही देखना पड़ता है। इसमें विभाग को अतिरिक्त खर्च वहन करना पड़ता है। बस यात्री राहुल, दीपक, राजेश, आदि का कहना है कि हरियाणा गौरव बसों का किराया ज्यादा होता है। वहीं सुविधाओं के नाम पर बसों में कुछ नहीं होता। यहां तक कह बस में सफाई भी नहीं होती। कई बसों की हालत तो सामान्य बसों से भी ज्यादा बेकार है।
क्या कहते हैं अधिकारी
इस संदर्भ में हरियाणा रोडवेज महाप्रबंधक जोगिंद्र सिंह ने बताया कि हरियाणा गौरव की दिनप्रतिदिन हो रही बदहाल स्थिति को देखकर विभाग के उच्च अधिकारियों को प्रपोजल भेजा गया है कि पुरानी बसों में साधारण बसों का किराया ही वसूला जाए। इससे आमजनता को लाभ मिलने के साथ विभाग को भी आर्थिक हानियों का समाना करना पडे़गा।
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