जर्जर इमारतों को नोटिस देकर कार्रवाई नहीं
जागरण संवाददाता, रोहतक: शहर की कई इमारतें भूकंप के झटके झेलने लायक नहीं है। हालांकि अच्छी बात यह ह
जागरण संवाददाता, रोहतक:
शहर की कई इमारतें भूकंप के झटके झेलने लायक नहीं है। हालांकि अच्छी बात यह है कि नगर निगम प्रशासन ने नए बि¨ल्डग बायलॉज तय कर दिए हैं। सख्त नियम भी बना दिए हैं। जो भी जर्जर इमारत थीं, उन्हें नोटिस दे दिए। ¨चता की बात यह है कि ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकी है। इमारतों के निर्माण में बि¨ल्डग बाइलॉज के नियमों की भी अनदेखी की शिकायतें लगातार आ रही हैं।
हरियाणा नगर पालिका अधिनियम बि¨ल्डग बाईलॉज-1982 में सरकार ने संशोधन किया है। अब नियमों में कई संशोधन किए गए हैं। शुक्रवार को तड़के भूकंप के बाद शहर की जनता डरी और सहमी दिखी। सूत्रों का कहना है कि राजीव गांधी आवासीय योजना के लिए हुए सर्वे में 2250 जर्जर इमारत पाई गई थीं। इन इमारतों में से कई स्थानों पर आवास बनाए जा रहे हैं, शेष जर्जर इमारतें अभी यूं ही खड़ी हैं। धरती को खोदकर बेंसमेंट का निर्माण भी कई स्थानों पर नियमों के विपरीत होने की शिकायतें हैं।
इन सख्त नियमों का करना होता है पालन
- जिस भूमि पर निर्माण होना है वहां सरकारी, अर्द्ध सरकारी, नगर निगम की जमीन पर अतिक्रमण न हो।
- निर्माण कार्य शुरू करने व समाप्त करने पर नगर निगम को लिखित में सूचना देनी होती है।
- डीपीसी लेवल तक निर्माण की सूचना निगम को देनी होती है कि नक्शे के मुताबिक निर्माण हो रहा है।
- भवन में सोलर वाटर हि¨टग सिस्टम व रेन वाटर हार्वे¨स्टग सिस्टम का लगवाना अनिवार्य होता है।
- मुख्य मार्ग पर मलबा आदि नहीं डाल सकते हैं, वाहनों को सड़क पर खड़ा न करने की व्यवस्था करेंगे।
- टॉयलेट में ड्यूल बटन लीवर फ्लश सिस्टम का ही उपयोग करेंगे। मुख्य मार्ग पर मलबा नहीं डालेंगे।
- अग्नि से सुरक्षा के इंतजामों के साथ ही गैस सिलेंडर आदि को खुले भाग में ही रखने की व्यवस्था हो।
- रसोई, टॉयलेट आदि में एग्जास्ट फेन लगवाने की व्यवस्था करनी होगी, यह भी नियम अनिवार्य है।
- जो नक्शा तैयार कराया है और उसमें संशोधन करना चाहते हैं तो नगर निगम के पास सूचना देनी होगी।
- से¨फ्टक टैंक की सफाई के लिए मैनुअल लेबर का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे, इस पर प्रतिबंध रहेगा।
नोट : यह नियम रिहायशी इमारतों के लिए हैं।
मिट्टी की जांच से लेकर स्टील की गुणवत्ता भी हो बेहतर
बड़े प्रतिष्ठानों में यदि नियमों की बात करें तो दरवाजों व खिड़कियों के ऊपर कम से कम 12 एमएम मोटाई वाली स्टील उपयोग में लानी चाहिए। सुरक्षा के लिहाजे से पु¨टग में 10 से 12 एमएम की मोटाई वाली स्टील का उपयोग जरूरी है। स्टील की मोटाई के अनुसार कंक्रीट के खंबे या फिर अन्य सपोर्टिंग दीवारें आदि कम या ज्यादा किए जा सकते हैं। स्टील की क्वालिटी बेहतर होगी तो इमारत भी मजबूत रहेगी। इसलिए निर्माण से पूर्व स्टील की गुणवत्ता की पहले ही जांच कर लें। कॉलम में स्टील 12 एमएम की उपयोग में लाई जाए, जबकि फाउडेंशन 900 बाई 900 सबसे बेहतर होता है। इमारत के निर्माण से पहले कृषि एवं अन्य तकनीकी विशेषज्ञों की सहायता भी लेनी चाहिए। जिस स्थान पर इमारत खड़ी की जानी है, मिट्टी की भी जांच कृषि विशेषज्ञों से कराना भी फायदे का सौदा हो सकता है।
वर्जन
जो भी इमारतें रोहतक में निर्मित हो रही हैं, वह भूकंपरोधी हैं। हमारे डिजाइन भी अत्याधुनिक और नियमों के मुताबिक ही बनते हैं। सरकारी और हमारे विभाग से जुड़ी सभी इमारतों का निर्माण मानकों के अनुसार ही हो रहा है। इसलिए ¨चता की बात नहीं। प्राइवेट इमारतें भी नगर निगम, शहरी विकास प्राधिकरण आदि
प्रदीप रंजन, एसई, पीडब्ल्ल्यूडी
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हमारी इमारतें बि¨ल्डग बायलॉज के मुताबिक ही निर्मित हो रही हैं। नक्शे के बगैर कहीं यदि निर्माण होता है तो शिकायत मिलने पर कार्रवाई भी नियमानुसार करते हैं। जर्जर इमारतों की बात करें तो उन्हें पहले ही नोटिस दिए जा चुके हैं।
केके वाष्र्णेय, डीटीपी, नगर निगम
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औद्योगिक इकाईयों में सबसे ज्यादा जरूरी होता है कि इमारतें नियमों के मुताबिक निर्मित होनी चाहिए। कई औद्योगिक व व्यवसायिक इमारतें आज भी भूकंपरोधी नहीं है। सरकार को इस मामले को लेकर सख्त कदम उठाने चाहिए। जिससे भविष्य में भूकंप जैसी किसी आपदा या फिर दुघर्टना की स्थिति में निपटा जा सके।
कदम ¨सह अहलावत, रिटायर सहायक निदेशक, हरियाणा औद्योगिक एवं वाणिज्य विभाग
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जर्जर भवनों को नोटिस तो दिए गए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। हालात यह हो गए हैं कि जर्जर भवनों वालों को कभी आर्थिक सहायता नहीं मिली। पिछली बरसात में तमाम जर्जर भवन गिरे थे। ऐसे हालात में तो जर्जर भवन लगातार गिरेंगे। मेरी राय में लोगों को सहायता मिले।
नीरा भटनागर, पार्षद, वार्ड-14
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