कार्यकारी निदेशक डॉ. यादव व ध्रुव चौधरी को निलंबित करने की सिफारिश
-स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने की दोनों अधिकारियों को निलंबित करने की अनुशंसा -स्वास्थ्य विभाग के म
-स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने की दोनों अधिकारियों को निलंबित करने की अनुशंसा
-स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक प्रदीप कासनी की जांच रिपोर्ट पर विज ने की अनुशंसा
जागरण संवाददाता, रोहतक :
स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने पीजीआइ के कार्यकारी कुलपति डॉ. रोहताश यादव और सीनियर प्रोफेसर डॉ. ध्रुव चौधरी के निलंबन की सिफारिश की है। विज ने यह सिफारिश पीजीआइ में भर्ती पूर्व मुख्यमंत्री हुकम ¨सह को समय पर एंबुलेंस मुहैया न कराने के मामले में स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक प्रदीप कासनी की जांच रिपोर्ट पर की है। जांच रिपोर्ट में पीजीआइ के प्रबंधन की कमी उजागर हुई है और प्रबंधन के लिए निदेशक व सीनियर प्रोफेसर डॉ. चौधरी को ही जिम्मेदार ठहराया गया है। समाचार भेजे जाने तक पीजीआइ के इन दोनों बड़े अधिकारियों के निलंबन आदेश जारी नहीं हो सके थे। उधर, पीजीआइ में दो बड़े अधिकारियों के निलंबन की सिफारिश स्वास्थ्य मंत्री की ओर से किए जाने की खबर मिलते ही हड़कंप मच गया। पीजीआइ के सभी अधिकारी इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।
यह है मामला
दरअसल, बीमार होने की वजह से पूर्व मुख्यमंत्री हुकम ¨सह को पीजीआइ में भर्ती कराया गया था। 25 फरवरी को अचानक तबीयत बिगड़ने से परिजन हुकम सिंह को रोहतक से गुड़गांव लेकर गए थे। परिजनों का आरोप था कि गुड़गांव ले जाते समय पीजीआइ प्रशासन की ओर से एंबुलेंस सेवा मुहैया कराने में देरी की गई और साथ में कोई चिकित्सक भी नहीं भेजा गया। 26 फरवरी को पूर्व मुख्यमंत्री का निधन हो गया था। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने इस मामले में जांच के आदेश दिए थे। पीजीआइ के कार्यकारी निदेशक ने जांच की थी, जिसमें किसी भी स्तर पर लापरवाही न बरतने का हवाला दिया गया था। स्वास्थ्य मंत्री इस जांच से खुश नहीं थे और उन्होंने मामले की जांच विभाग के महानिदेशक प्रदीप कासनी को सौंप दी थी। प्रदीप कासनी ने मामले की जांच करके रिपोर्ट सोमवार को ही सरकार को सौंपी थी।
..तो निदेशक पद हो जाएगा खाली
कार्यकारी निदेशक डॉ. रोहतास यादव के निलंबित होने के बाद पीजीआइ के निदेशक का पद फिर से खाली हो जाएगा। डॉ. चांद ¨सह ढुल के निदेशक पद से इस्तीफा देने के कई दिनों बाद सरकार ने डॉ. यादव को कार्यकारी कुलपति लगाया था। डॉ. यादव के निलंबित होने के बाद अगर सरकार की ओर से किसी को निदेशक नहीं लगाया तो पीजीआइ में कुप्रबंधन बढ़ सकता है।
हो सकता है चिकित्सकों का विरोध
पीजीआइ के कार्यकारी निदेशक डॉ. रोहतास यादव के निलंबन करने के फैसले पर सरकार को चिकित्सकों के विरोध का भी सामना करना पड़ सकता है। डॉ. यादव हरियाणा सिविल मेडीकल सर्विसेज के प्रांतीय प्रधान भी हैं। ऐसे में चिकित्सकों की यूनियन सरकार के इस फैसले के खिलाफ खड़ी हो सकती है।
मेरे पास अभी नहीं आई फाइल : कासनी
इस बारे में स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक प्रदीप कासनी का कहना है कि मैंने जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। जांच रिपोर्ट पर किसी तरह की अनुशंसा किए जाने संबंधी आदेशों की फाइल अब तक मेरे पास नहीं पहुंची है। लिखित आदेश जारी होने के बाद ही मैं कुछ कह पाऊंगा।
नहीं उठाया फोन :
स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कार्यकारी कुलपति डॉ. वीके जैन व पीजीआइ के कार्यकारी कुलपति डॉ. रोहतास यादव से बातचीत करने के लिए कई बार फोन किए गए लेकिन दोनों अधिकारियों की ओर से एक बार भी संपर्क नहीं हो सका।
जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कह पाऊंगा :चौधरी
उधर, सीनियर प्रोफेसर डॉ. ध्रुव चौधरी ने कहा कि इस समय मैं कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हूं। जांच रिपोर्ट पढ़ने के बाद ही ही कुछ कह पाऊंगा।
अनिल विज ने ट्वीट पर दी जानकारी
स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने मंगलवार सुबह टवीट के माध्यम से पीजीआइ के दोनों बड़े अधिकारियों को निलंबित किए जाने की सिफारिश की सूचना दी। विज ने अपने पहले टवीट में बताया कि कासनी की जांच रिपोर्ट उन्हें मिल गई है। आज कार्रवाई संभव है।
पीजीआइ का बिगड़ चुका ढांचा : जांच रिपोर्ट
- सरकार को भेजी जांच रिपोर्ट में प्रदीप कासनी ने दिए सुधार के लिए कई अहम सुझाव
जागरण संवाददाता, रोहतक : स्वास्थ्य महानिदेशक प्रदीप कासनी ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि रोहतक के स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय का पूरा ढांचा ही बिगड़ चुका है। प्रबंधन नाम की कोई चीज नहीं है। अगर किसी संस्थान में विशेषज्ञ चिकित्सक ही प्रबंधन संभालेंगे तो इलाज में लापरवाही होना स्वभाविक है। कासनी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पीजीआइ में बड़े स्तर पर सुधार की जरूरत है। उन्होंने रिपोर्ट में सरकार को सुधार के लिए कई सुझाव भी दिए हैं। इनमें सबसे अहम विश्वविद्यालय में कुलपति, निदेशक व अन्य अधिकारियों की स्थायी नियुक्ति करने का सुझाव दिया है। जब तक इन अधिकारियों की नियुक्ति स्थायी नहीं होती तब तक पीजीआइ में सुधार की गुंजाइश न के बराबर है।
चिकित्सकों से ली जाए सिर्फ विशेषज्ञ डयूटी
जांच रिपोर्ट में प्रदीप कासनी ने यह भी सुझाव दिया है कि पीजीआइ के विशेषज्ञ चिकित्सकों से सिर्फ मरीजों का इलाज ही करवाया जाए और उनसे संबंधित क्षेत्र का ही काम लिया जाए। विशेषज्ञ चिकित्सकों पर प्रबंधन व अन्य कार्यों की जिम्मेदारी न दी जाए, ताकि मरीजों का इलाज प्रभावित न हो। अगर विशेषज्ञ चिकित्सकों से प्रबंधन य अन्य कार्य लिया जाएगा तो कुप्रबंधन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे इलाज में लापरवाही हर हाल में होगी।
तय करनी होगी जिम्मेदारी
पूर्व मुख्यमंत्री हुकम ¨सह के इलाज में लापरवाही बरतने के मामले की जांच के दौरान प्रदीप कासनी ने पाया कि पीजीआइ प्रशासन की ओर से किसी भी स्तर पर अधिकारियों की जिम्मेदारी तय नहीं की गई हैं। जिम्मेदारी तय नहीं होने से कुप्रबंधन को बढ़ावा मिल रहा है। ऐसे में जांच रिपोर्ट में प्रदीप कासनी ने पीजीआइ में हर स्तर पर संबंधित अधिकारियों व चिकित्सकों की जिम्मेदारी तय करनी होंगी।
सुझावों पर अमल हुआ तो सुधरेंगे हालात : कासनी
इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक प्रदीप कासनी ने बताया कि मैंने जो सुझाव सरकार को दिए हैं, अगर उन पर उचित तरीके से अमल होगा तो स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के हालात अवश्य ही सुधर जाएंगे।
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