अब पीजीआइ में ही होंगे बड़े गदूद के ऑपरेशन
जागरण संवाददाता, रोहतक : अब बड़े गदूद के ऑपरेशन के लिए मरीजों को गुड़गांव व दिल्ली जाने की जरूरत नहीं होगी। अब पीजीआइएमएस में अब बड़े गदूद के ऑपरेशन भी हो सकेंगे। वह भी बिना लेजर दूरबीन की मदद लिए। इससे जहां मरीज का अधिक खून बहने से बचता है, वहीं अधिक दिनों तक अस्पताल में दाखिल नहीं रहना पड़ता। सबसे अहम बात यह है कि लेजर जैसे खर्चीले ऑप्रेशन से बचा जा सकेगा।
पीजीआइएमएस में यूरोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ संतोष सिंह ने बताया कि आमतौर पर गदूद का दूरबीन द्वारा इलाज एक सामान्य आप्रेशन माना जाता है, किन्तु अधिक बड़ा गदूद होने पर दूरबीन द्वारा इसका इलाज जटिल हो जाता है, क्योंकि आप्रेशन का समय बढ़ने के साथ समस्याएं बढ़ जाती है और टियूआर सिंड्रोम बनने का खतरा रहता है, जिससे मरीज को जान का खतरा तक बन सकता है। डॉ. संतोष सिंह ने बताया कि सौ ग्राम से बड़े गदूद का इलाज या तो लेजर मशीन द्वारा या चीरे द्वारा किया जाता है, परतु पीजीआइ में इस कीमती लेजर मशीन की सुविधा न होने के कारण मरीज को दिल्ली या गुड़गांव के बड़े अस्पताल में जाना पड़ता है, जिसमें मरीज को हजारों रुपये खर्च करने पड़ते है अन्यथा उसे चीरे वाला आप्रेशन करवाना पड़ता है। इसका नुकसान संक्रमण का खतरा, ज्यादा रक्त बहना, अधिक दर्द एवं ज्यादा दिन भर्ती रहना होता है।
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अब संस्थान में ही 100 ग्राम से अधिक गदूद के ऑपरेशन
डॉ. संतोष सिंह ने बताया कि मरीजों के हितों को देखते हुए उन्होंने संस्थान में ही सौ ग्राम से बड़े गदूद का आप्रेशन बिना लेजर दूरबीन द्वारा करना शुरू कर दिया गया है। इसमें उन्हे सौ फीसद सफलता हासिल हुई है। उन्होंने बताया कि उनके इस ऑपरेशन की अवधि को एक घटे का रखा गया है। जिन मरीजों में ज्यादा समय लगने की संभावना लगी उनमें बाईपोलर कोट्री द्वारा गदूद को निकाला गया एवं टयूआर सिंड्रोम के बचाव के लिए गलाइसिन के बदले सामान्य सलाइन का प्रयोग किया जाता है। डॉ. संतोष ने कहा कि इसी तरह का एक ऑपरेशन बुधवार को विभाग द्वारा आर्यन (बदला हुआ नाम) नामक मरीज का किया गया, जिसका गदूद एक सौ पंद्रह ग्राम था। मरीज पूरी तरह से स्वास्थ्य लाभ ले रहा है और उसे कल अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।
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बढ़ रहे गदूद के मरीज
गदूद का बढ़ना और उससे मूत्र का बंधा पड़ना, बढ़ती उम्र के साथ पुरुषों में एक आम समस्या है। बढ़ रही इस बीमारी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पीजीआइएमएस में यूरोलाजी विभाग की ओपीडी में रोजाना इस बीमारी से पीड़ित 50 मरीज आते है। इस बीमारी से पेशाब का बंधा पड़ जाता है और मरीज को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। ऐसे में मूत्र रोग से संबंधित किसी भी बीमारी को हल्के में न लें और तुरंत डॉक्टर से चेक कराएं।
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