हास्य कवियों ने किया लोट-पोट
वरिष्ठ संवाददाता, रोहतक : हरियाणा के सास्कृतिक-साहित्यिक रंगों की छटा शुक्रवार को महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के टैगोर सभागार में आयोजित-रग हरियाणा के राज्य स्तरीय हरियाणवी कवि सम्मेलन में बिखरे। इस काव्य गोष्ठी में प्रदेश के कोने-कोने से आए कवियों ने हरियाणवी बोली में अपनी सृजनात्मक अभिव्यक्ति प्रस्तुत कर उपस्थितजन को अभिभूत किया। कवियों ने न केवल सामाजिक बुराइयों पर प्रहार किया, बल्कि दर्शकों को हंसाकर लोट पोट कर दिया।
कवि सम्मेलन का शुभारंभ मदवि कुलपति एचएस चहल ने पारंपरिक दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित कवियों को सम्मानित किया। हरियाणा दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित इस कवि सम्मेलन में प्रतिष्ठित कवि कृष्ण गोपाल विद्यार्थी ने कहा- नंबर वन प्रदेश सै म्हारा, नंबर वन सै लोग-लुगाई, नंबर वन तारीख नवंबर की सबनै बहोत बधाई। कृष्ण गोपाल विद्यार्थी ने अपनी काव्य प्रस्तुति से हास्य की फूलझड़ियां छोड़ी।
युवा बृज किशोर प्रजापति ने- मेहनत तै कमाइयो- कविता से मेहनत की महिमा को मंडित किया। युवा कवि अजय वर्मा अकिंचन ने अपनी कविता- किस तरहां भूल जाऊं दोस्तों-वो दिवाली का त्यौहार- के जरिए महगाई पर कटाक्ष किया। कवि राजकुमार धनखड़ ने अपनी काव्य प्रस्तुति से हास्य रस बिखेरा। साथ ही, जमाने के बदलते तेवर को यूं लक्षित किया- कितना आग्या फर्क देख ल्यो काल अर आज म्ह, नए ढाल की रीत चाल्गी, नए समाज म्ह। युवा कवि देवेंद्र सांघी ने अपनी कविता से कन्याओं की पीड़ा को उकेरा। उन्होंने कहा- तेरी बेटी का बी जी करै था मा, यो हरा भरा संसार देखण नै, तेरा प्यार देखण नै, तेरा प्यार देखण तेरा दुला देखण नै। कवि अशोक बरोहा ने वक्त के बदलते हालात पर विशेष रूप से उत्तराखंड त्रासदी पर कहा- नू बखत का खेल भी निराला सै, थोड़ी नहीं घणा चाला सै। युवा कवि जोगेन्द्र मोर ने प्यार पर चुटकी लेते हुए यूं कहा- कहण नै हाम प्यार करां सां, बेरा ना किस चीज पर वार करां सां। कवि हरिकेश पांचाल ने अपनी राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत-कारगिल युद्ध- पर अपनी रचना प्रस्तुत की। प्रतिष्ठित कवियत्री विपिन चौधरी ने विरहणी की पीड़ा को हरियाणवी कविता- न्यूं क्यूंकर मीं बरसा अर फौजी छुट्टी नै आया- में प्रस्तुत कर भाव विभोर किया।
प्रतिष्ठित कवि एवं लोक संस्कृति कर्मी रामफल चहल ने अपनी हरियाणवी कविता- चौकड़ीमार बटेऊ नाम बिगाड़न- से सामाजिक विसंगतियों पर प्रहार किया।
दर्शकों से खचाखच भरे टैगोर सभागार में आयोजित हरियाणवी कवि सम्मेलन का बेहतरीन संजोजन व संचालन निदेशक युवा कल्याण एवं नामी हरियाणवी कवि जगबीर राठी ने किया। उन्होंने मनोरंजक अंदाज में हंसी के पटाखे छुड़ाए। साथ ही, अपनी काव्य प्रस्तुति से मर्मस्पर्शी सामाजिक बात भी रखी। इस कवि सम्मेलन में अधिष्ठाता, छात्र कल्याण प्रो. राजबीर सिंह ने प्रारभ में स्वागत भाषण दिया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में हरियाणवी संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हरियाणवी कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाता है। इस कार्यक्रम में प्रो. एसएस चाहर, प्रो. सेवा सिंह दहिया, डा. रणबीर सिंह गुलिया, डॉ. सुरेश सिंघल, बीपीएस पठानिया, उषा पठानिया, समाजसेवी संपूर्ण सिंह एवं अनिल हुड्डा, डा. मुकेश वर्मा, डा. गव्वार नकवी, दयानंद छिक्कारा समेत अनेक गणमान्यजन, विश्वविद्यालय के विद्यार्थीगण व हरियाणवी संस्कृति के रसिक मौजूद रहे। टैगोर सभागार में आयोजित इस कविता सम्मेलन ने उपस्थित जन को- हरियाणा के सास्कृतिक रग- से सरोबार कर दिया।
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प्रतिष्ठित कवि युसुफ भारद्वाज ने अपने निराले अंदाज में काव्य प्रस्तुति दी। उन्होंने फरमाया- शरीर में बल का, प्यास में जल का, समय में पल का, आज नहीं कल का, अर भई, भैंस ताई खल का, मजा ही कुछ और सै। युसूफ भारद्वाज ने कविताओं से दर्शकों को गुदगुदाया। उन्होंने कविताओं के माध्यम से धर्म गुरुओं व कुरीतियों पर प्रहार किया।
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