Updated: Mon, 28 Jul 2025 08:27 PM (IST)
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भाजपा सरकार पर राज्य विरोधी नीतियों का आरोप लगाया है जिसके कारण प्रदेश से उद्योगों का पलायन हो रहा है। उन्होंने कहा कि यमुनानगर पानीपत के उद्योग बंद होने की कगार पर हैं और 100 से अधिक चावल मिलें मध्य प्रदेश में जा चुकी हैं।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार की हरियाणा विरोधी नीतियों के चलते प्रदेश से लगातार उद्योग पलायन कर रहे हैं। यमुनानगर का प्लाईवुड व बर्तन उद्योग और पानीपत का कपड़ा उद्योग बंद होने की स्थिति में है।
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पिछले तीन साल में हरियाणा की 100 से ज्यादा चावल मिलें मध्य प्रदेश में शिफ्ट हो चुकी हैं। कृषि आधारित अर्थव्यवस्था वाले प्रदेश के लिए यह न सिर्फ बड़ा झटका है, बल्कि सरकार के लिए आत्म अवलोकन की बात है।
हुड्डा ने कहा कि हर साल प्रदेश को 100 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा तथा हर साल 20 से 25 हजार लोगों का रोजगार भी छिन जाएगा।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस के कार्यकाल दौरान धान उत्पादक किसानों को देश में सबसे ज्यादा रेट मिलता था। इसलिए किसान खुशी से नारा लगाते थे, कांग्रेस तेरे राज में, जीरी गई जहाज में। इसके चलते प्रदेश के किसानों ने जमकर मेहनत की और देश के चावल निर्यात में हरियाणा की हिस्सेदारी 60 प्रतिशत तक पहुंच गई।
लेकिन भाजपा की हरियाणा विरोधी नीतियों के चलते अब ये हिस्सेदारी 40 प्रतिशत ही रह गई है। हुड्डा ने कहा कि तीन साल में यमुनानगर, करनाल, तरावड़ी, चीका, घरौंडा, कुरुक्षेत्र, निसिंग, कैथल, अंबाला, फतेहाबाद, सिरसा, टोहाना और रतिया से 100 से ज्यादा चावल मिलें मध्य प्रदेश पलायन कर चुकी हैं। 30 से 40 कारोबारियों ने मध्य प्रदेश में नये राइस मिल और गोदाम बनाने के लिए जमीन खरीदी है।
क्योंकि बार-बार मांग किए जाने के बावजूद भाजपा सरकार ने मार्केट फीस कम नहीं की। हरियाणा में चावल उद्योग पर चार प्रतिशत मार्केट फीस लगती है, जबकि मध्य प्रदेश में ये सिर्फ 1.20 प्रतिशत है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा सरकार ने बिजली की दरों में भी बढ़ोतरी कर उद्योगों को नुकसान पहुंचाया है।
रही सही कसर बेकाबू अपराध, बदमाशी, माफिया, धमकी और फिरौती के माहौल ने पूरी कर दी। उन्होंने कहा कि लगातार संकट में चल रहे मध्यम व छोटे उद्योग अब तक उभर नहीं पाए। उदाहरण के लिए प्लाईवुड उद्योग यमुनानगर की पहचान माना जाता है।
लेकिन अब यह उद्योग उत्तर प्रदेश की तरफ पलायन कर रहा है। साल 2017 में यहां 380 यूनिट थीं, जो अब घटकर मात्र 160 रह गई है।
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