Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पानी से सीधी उड़ान भर सकती है व्हीस¨लग डक

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 29 Oct 2017 05:47 PM (IST)

    प¨रदों की दुनिया: लेसर व्हीस¨लग डक लेख संकलन: सुंदर सांभरिया, ईडेन गार्डन रेवाड़ी। पि

    पानी से सीधी उड़ान भर सकती है व्हीस¨लग डक

    प¨रदों की दुनिया: लेसर व्हीस¨लग डक

    लेख संकलन: सुंदर सांभरिया, ईडेन गार्डन रेवाड़ी।

    परिवार: एनाटीडी

    जाति: डंड्रोसिग्ना

    प्रजाति: जवानिका

    -----------------

    इस पक्षी को 'इंडियन व्हीस¨लग डक' व 'व्हीस¨लग टील' के नाम से भी जाना जाता है। ¨हदी भाषा में इसे छोटी सिल्ही भी कहते हैं। बतख की यह प्रजाति भारत के लगभग सभी हिस्सों में पाई जाती है। जब यह पक्षी उड़ते हैं तो एक खास प्रकार की सीटी जैसी आवाज निकालते है। जिस कारण इसका नाम व्हीस¨लग डक पड़ा है। यह एक स्थानीय पक्षी है, जो मौसम अनुसार व भोजन की तलाश में स्थानीय प्रवास करते है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इस पक्षी के सिर का ऊपरी हिस्सा गहरा भूरा, सिर व गर्दन का बाकी हिस्सा हल्का भूरा, इसके गले के पास सफेद रंग, कंधे व पीठ का रंग गहरा भूरा, कंधे के पंख काले बदामी रंग के, पूंछ का रंग गहरा भूरा होता है। इसकी आंखों भूरे रंग की तथा चोंच नीले-भूरे रंग की होती है। इस पक्षी में नर व मादा एक जैसे दिखते है। इस पक्षी का मुख्य भोजन पानी में आने वाली वनस्पति है। ये धान के खेतों में फसल के दाने खाते है। पानी के अंदर में छोटे जीवों को भी खा लेते है। यह पक्षी मुख्यत रात के समय ही भोजन करते है। दिन के समय ये एक समूह में पानी के किनारे उगी बड़ी घास, अन्य वनस्पति तथा धान के खेतों के आसपास रहते हैं।

    पेड़ पर बनाते हैं घोंसला

    बतख की इस प्रजाति को 'ट्री डक' के नाम से भी जाना जाता है। इसका मुख्य कारण इन पक्षियों का पेड़ों पर बसेरा करना है। इस पक्षी के पंख जलरोधक होते हैं। यही कारण है कि जब ये डर या किसी अन्य कारण पानी से सीधे उड़ान भर लेते है। पानी इनकी पखों से तुरंत छिटक जाता है। यह भी देखा जा सकता है कि नर पक्षी ज्यादातर समय शांत रहते हैं और बहुत कम आवाज निकालते हैं। लेकिन मादा पक्षी काफी आवाज निकालती है।

    इस पक्षी के प्रजनन का समय जून से सितंबर तक होता है। इस दौरान मादा को आकर्षित करने के लिए नर पक्षी अपनी चोंच को पानी में नीचे-ऊपर करते हुए मादा के चारों ओर तैरता है। ये पक्षी अपना घोंसला कम ऊंचाई पर पेड़ों के खोखले हिस्से या पेड़ की दो-तीन बड़ी शाखाओं के मुहाने पर तिनकों आदि से बनाते हैं। कभी-कभी ये चील या अंजन (हेरान) के घोंसलों का भी प्रयोग करते है। पानी के किनारे उगी बड़ी वनस्पति व जमीन पर भी ये अपने घोंसले बनाते है। मादा पक्षी 7 से 12 अंडे देती है। घोंसले के निर्माण में मादा पक्षी अपने ही मुलायम पंखों को उखाड़ कर बिछाती है, ताकि अंडों व चूजों को मुलायम जगह मिल सके। जैसे ही चूजे अंडों से बाहर निकलते है, कुछ ही घंटों में ये उन्हें पानी में ले आते है। ऐसा चूजों की सुरक्षा के कारण करते है, क्योंकि घोंसले में शिकारी जीव चूजों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।