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    ग्रंथि से चूजों को दूध पिलाता है इमेराल्ड डव

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 10 Dec 2017 05:00 PM (IST)

    प¨रदों की दुनिया: इमेराल्ड डव लेक संकलन: सुंदर सांभरिया, ईडेन गार्डन, रेवाड़ी। परि

    ग्रंथि से चूजों को दूध पिलाता है इमेराल्ड डव

    प¨रदों की दुनिया: इमेराल्ड डव

    लेक संकलन: सुंदर सांभरिया, ईडेन गार्डन, रेवाड़ी।

    परिवार: कोलम्बीडी

    जाति: छालकोफेप्स

    प्रजाति: इंडिका

    यह एक मध्यम आकार का कबूतर की प्रजाति का पक्षी है। इसे हरे पंख वाला कबूतर, कॉमन इमेराल्ड डव, इंडियन इमेराल्ड डव, ग्रे कैप्ड इमेराल्ड डव आदि नामों से भी जाना जाता है। इस पक्षी का यह नाम इसके रंग के कारण पड़ा है। यह एक खूबसूरत रंगीला पक्षी है। देश भर के ज्यादातर राज्यों में यह पाया जाता है। पहाड़ों में यह 1400 मीटर की ऊंचाई तक देखे जा सकते हैं। यक एक शर्मिला व शांतप्रिय पक्षी है, जो ज्यादातर समय अकेले या एक जोड़े में जंगलों में दिखाई देता है। यह तमिलनाडू का राज्य पक्षी भी है। भारत में यह पक्षी बरसाती वनों, गहरे आद्र वन क्षेत्रों, खेतों, बगीचों, मैंग्रोस वन आदि क्षेत्रों में पाया जाता है।

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    इस पक्षी का ऊपरी हिस्सा और पंख हरित मणी (पन्ना) के रंग के होते हैं। इसकी पूंछ व उड़ने वाले पंख काले रंग के होते हैं। इसकी गर्दन का नीचला हिस्सा मदिरा के रंग जैसा तथा सिर का ऊपरी हिस्सा स्लेटी रंग का होता है। इसकी आंखें गहरे भूरे रंग की, चोंच चमकीली लाल, पांव व पंजे बादामी रंग के होते हैं। नर के कंधों पर सफेद पट्टी होती है, जबकि मादा के यह पट्टी नहीं होती। नर व मादा आकार में एक समान होते हैं। जब इन पक्षियों को अत्यधिक डर होता है तो ये बहुत तेजी से सीधे उड़ लेते हैं। जंगलों में ये पक्षी क्षेत्र निर्धारित करके रहते हैं। ये ज्यादातर समय जमीन पर ही रहते है। केवल बसेरे के समय ही पेड़ों पर बैठते हैं। इन पक्षियों का मुख्य भोजन फल, बीज, घास व छोटे कीट होते हैं। ये पक्षी जमीन पर गिरे फलों व बीजों को खाते रहते हैं। जंगलों में जमीन पर इन्हें तेजी से चलते देखा सकते हैं। जब इनको तंग किया जाता है तो ये उड़ने की बजाय तेजी से चल कर जंगलों में खड़ी झाड़ियों में छुप जाते हैं।

    चूजों को पिलाते हैं दूध

    इस पक्षी के प्रजनन का समय जनवरी से मई तक होता है। मादा पक्षी को आकर्षित करने के लिए नर पक्षी ऊपर से नीचे हिल कर नाचता है। दोनों मिल कर पेड़ की शाखाओं पर तिनकों से घोंसला बनाते हैं। इनके घोंसले आमतौर पर जमीन से पांच मीटर की ऊंचाई तक देखे जा सकते हैं। मादा पक्षी एक या दो अंडे देती है। चूजे निकलने के बाद ये पक्षी चूजों को दाने या कीट आदि नहीं खिलाते। जब तक चूजे स्वयं उड़ने नहीं लगते तब तक इन्हें दूध पिलाया जाता है। नर व मादा दोनों पक्षियों के गले में एक ग्रंथि होती है, जिससे दूध जैसा गाढ़ा तरल पदार्थ निकलता है। चूजे अपने माता-पिता की चोंच से अंदर अपनी चोंच देकर उस ग्रंथि से दूध पीते हैं।

    इस पक्षी की संख्या धीरे-धीरे कम होती जा रही है, जिसका मुख्य कारण हैबीटाट का घटना, शिकारी जानवरों से नुकसान व पकड़ कर ¨पजरों में रखने की प्रथा है। वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत इन्हें अनुसूची चार में रखा गया है। इन्हें मारना या पकड़ना दंडनीय अपराध है।