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    सर्वभक्षी जलीय पक्षी है वाटर हैन

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 29 Jul 2018 05:09 PM (IST)

    कॉमन मुरहैन या वाटर हैन को ¨हदी में जलमुर्गी के नाम से जाना जाता है। यह पक्षी भारत के सभी हिस्सों में पाया जाता है। ये पक्षी स्थानीय प्रवास भी करते है। यह एक मध्यम आकार का जमीन पर रहने वाला जलीय जीव है। इस पक्षी का रंग जैतूनी भूरा व काले रंग का मिश्रण होता है। इसके शरीर के नीचे के हिस्से का रंग स्लेटी व पूंछ के नीचे सफेद रंग के पंख होते है। इसकी चोंच पीले रंग की तथा छोटी होती है। चोंच के चारों तरफ लाल रंग की सिल्ड होती है। इसके पांव छोटे व पंजे बड़े तथा पीले रंग के होते है। इसकी आंख की पुतली लाल रंग की होती है। इसके पंजे लंबे होते है, जिसकी सहायता से ये दलदल व पानी के अंदर तैर रही वनस्पति पर आसानी से चल लेते है।

    सर्वभक्षी जलीय पक्षी है वाटर हैन

    प¨रदो की दुनिया: कॉमन मुरहैन (वाटर हैन)

    परिवार: रैलीडी

    जाति: गलीनुला

    प्रजाति: क्लोरोपस

    लेख संकलन: सुंदर सांभरिया, ईडेन गार्डन रेवाड़ी।

    कॉमन मुरहैन या वाटर हैन को ¨हदी में जलमुर्गी के नाम से जाना जाता है। यह पक्षी भारत के सभी हिस्सों में पाया जाता है। ये पक्षी स्थानीय प्रवास भी करते हैं। यह एक मध्यम आकार का जमीन पर रहने वाला जलीय जीव है। इस पक्षी का रंग जैतूनी भूरा व काले रंग का मिश्रण होता है। इसके शरीर के नीचे के हिस्से का रंग स्लेटी व पूंछ के नीचे सफेद रंग के पंख होते है। इसकी चोंच पीले रंग की तथा छोटी होती है। चोंच के चारों तरफ लाल रंग की सिल्ड होती है। इसके पांव छोटे व पंजे बड़े तथा पीले रंग के होते है। इसकी आंख की पुतली लाल रंग की होती है। इसके पंजे लंबे होते हैं, जिसकी सहायता से ये दलदल व पानी के अंदर तैर रही वनस्पति पर आसानी से चल लेते हैं। इसमें नर व मादा एक जैसे दिखते हैं, लेकिन मादा पक्षी आकार में नर पक्षी से थोड़ी बड़ी होती है। ये पक्षी कई प्रकार की आवाज निकाल सकते हैं। ये मुख्य रूप से दलदली जगहों, झीलों, जोहड़ों, नदियों व अन्य पानी वाली जगहों पर बड़ी घास, वनस्पति व पटेरा में रहना पसंद करते हैं। ऐसी जगह पर इन्हें भोजन व रहने के लिए सुरक्षित जगह मिल जाती है। यह सर्वभक्षी पक्षी है जो छोटी मछलियों, केंचुआ व अन्य छोटे जलीय जीव टेडपाल, घोघा और पानी के आसपास उगी वनस्पति को खाते है। कभी-कभी ये अन्य पक्षियों के अंडों को भी खा जाते हैं। जब इन पक्षियों को किसी प्रकार का खतरा होता है, तो ये उड़ने की बजाय तेजी से बड़ी वनस्पति में छुप जाते है। इनकी उड़ान आमतौर पर छोटी होती है। निर्धारित रखते हैं अपना स्थान

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    इस पक्षी के प्रजनन का समय जुलाई से सितंबर तक होता है। वर्षा के दौरान इनके जोड़े बनते है, ये एक ही साथी के साथ रहते हैं। नर पक्षी मादा को आकर्षित करने के लिए तैरते हुए अपनी चोंच को पानी में रखता है तथा मादा पक्षी की तरफ तैरते हुए आते हैं। प्रजनन के दौरान ये पक्षी क्षेत्र निर्धारित करके रहते हैं। ये पक्षी अपना घोंसला पानी के किनारे बड़ी वनस्पति में घास व अन्य वनस्पति एकत्रित कर एक टोकरीनुमा आकार का घोंसला बनाते है। नर व मादा दोनों मिल कर घोंसला बनाते हैं। एक सीजन में एक घोंसले को दूसरी मादा भी प्रयोग में ले लेती है। नर व मादा दोनों मिलकर चूजों को पालते है। मादा पक्षी पांच से आठ अंडे देती है।

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