अंडे देने के बाद घोंसला व नर पक्षी को छोड़ देती है मादा
प¨रदो की दुनिया: कॉमन बटन कुवेल (गुंदरा) लेख संकलन: सुंदर सांभरिया, ईडेन गार्डन रेवाड़
प¨रदो की दुनिया: कॉमन बटन कुवेल (गुंदरा)
लेख संकलन: सुंदर सांभरिया, ईडेन गार्डन रेवाड़ी।
परिवार: टर्निसीडी
जाति: टर्निक्स
प्रजाति: शस्सिटेटर
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यह पक्षी भारत के सभी हिस्सों में पाया जाता है। हिमालय में यह ढाई हजार मीटर की ऊंचाई तक पाए जाते है। इसे ¨हदी भाषा में गुंदरा और स्थानीय भाषा में बटेर भी कहते हैं। इस पक्षी का ऊपरी रंग बादामी भूरा, नीचे का हिस्सा हल्का बादामी, गला व छाती का हिस्सा हल्का काला, चोंच व पंजे नीले स्लेटी रंग के, आंखें पीली सफेद रंग की होती है। जब ये पक्षी उड़ते है तो इनके कंधों के पास पंखों का रंग हल्का पीला दिखता है। ये पक्षी ज्यादा लंबी उड़ान नहीं भरते और ज्यादातर समय झाड़ियों के आसपास चलते रहते है। जब कोई खतरा होता है तो ये झाड़ीनुमा वनस्पति में छुप जाते है।
ये पक्षी अकेले या एक छोटे समूह में देखे जा सकते है। मादा पक्षी आकार में नर पक्षी से थोड़ा बड़ी होती है। नर पक्षी का गला क्रीम रंग का होता है, जबकि मादा पक्षी का गला हल्के काले रंग का होता है। ये पक्षी मुख्यत: घास के मैदान व खेतों के आसपास पाए जाते हैं। ये शुष्क रेतीले क्षेत्रों में जहां जमीन पर झाड़ीनुमा वनस्पति उगी होती है, उस क्षेत्र को ज्यादा पसंद करते है।
मादा छोड़ देती है नर को
इसका मुख्य भोजन घास के बीज, अनाज के दाने व छोटे कीट होते है। इस पक्षी के प्रजनन का समय लगभग साल भर रहता है। प्रजनन के दौरान मादा पक्षी अन्य मादा पक्षियों पर अपनी धौंस जमाकर नर पक्षी का चुनाव करती है। एक बार जोड़ा बनने के बाद जब तक मादा अंडे नहीं देती दोनों साथ रहते हैं। नर व मादा दोनों मिलन कर घोंसला बनाते है। ये पक्षी अपना घोंसला जमीन पर किसी झाड़ी आदि के नीचे घास से बनाते है। मादा पक्षी तीन से चार अंडे देती है। जैसे ही मादा अंडे देती है, वह नर पक्षी व घोंसले को छोड़ कर किसी अन्य नर पक्षी की तलाश में निकल जाती है। घोंसले में अंडों को नर पक्षी ही सेता है और जब तक चूजे बड़े ना हो जाए नर पक्षी ही उनकी देखभाल करता है। खेतों में किसान जब आग लगाते है तो इसके घोंसले नष्ट हो जाते हैं और लगातार हो रहे शिकार के कारण इनकी संख्या कम हो रही है। भारतीय वन्य जीव संरक्षा अधिनियम के तहत इनका शिकार दंडनीय अपराध है।
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