कौन हैं SDM सुरेश? बार-बार आ रहे BJP नेताओं के निशाने पर, अब मंत्री राव इंद्रजीत ने मंच से लगाई फटकार
रेवाड़ी के एसडीएम सुरेश कुमार दलाल फिर विवादों में हैं। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने उन्हें मंच पर फटकार लगाई, क्योंकि उन्हें लगा कि एसडीएम ने विधायक का नाम गलत लिया है। पहले भी किरण चौधरी का फोन न उठाने पर उनका तबादला हुआ था। 2019 बैच के एचसीएस अधिकारी, सुरेश कुमार पहले शिक्षा विभाग में थे। मंत्री ने अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों का सम्मान करने की नसीहत दी।

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी। विधायक के नाम में कन्फ्यूजन पर केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का रेवाड़ी एसडीएम सुरेश कुमार दलाल पर बिफरना सोशल मीडिया पर सुर्खियां बना हुआ है। सुरेश कुमार इससे पहले उस वक्त सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने भाजपा की राज्यसभा सांसद किरण चौधरी का 10 महीने पहले फोन नहीं उठाया था। किरण चौधरी की फटकार के बाद उनका ट्रांसफर भिवानी से सिरसा के रानियां विधानसभा क्षेत्र में कर दिया गया था। पांच माह पहले ही वह रानियां से बतौर रेवाड़ी एसडीएम ट्रांसफर होकर आए थे।
वर्ष 2019 बैच के एसचीएस ऑफिसर सुरेश कुमार दलाल मूलरूप से हिसार के गांव मसूदपुर के रहने वाले हैं। वह वर्ष 2000 में बतौर जेबीटी शिक्षा विभाग में भर्ती हुए थे। 19 साल नौकरी करने के बाद उनका वर्ष 2019 में एचसीएस अधिकारी के तौर पर चयन हो गया था। जिसके बाद से ही वह प्रदेश के अलग-अलग जिलों में कभी सीटीएम तो कभी एसडीएम के तौर पर नौकरी करते आ रहे हैं।
एसडीएम ने सही बोला नाम, केंद्रीय मंत्री कन्फ्यूज हुए
दरअसल, 22 नवंबर (रविवार) को रेवाड़ी शहर के राव तुलाराम स्टेडियन में मैराथन कार्यक्रम था। मंच पर अतिथियों का स्वागत करने के लिए एसडीएम सुरेश कुमार खड़े हुए और उन्होंने एक-एक कर केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह से लेकर जिले के तीनों विधायकों लक्ष्मण सिंह यादव, डॉ. कृष्ण और अनिल यादव का सही नाम लेकर संबोधन किया।
इसके बाद जब केंद्रीय राव इंद्रजीत सिंह भाषण देने के लिए उठे तो उन्हें लगा कि कोसली विधायक अनिल यादव की जगह एसडीएम ने सुनील यादव का नाम लिया है। इस पर राव इंद्रजीत सिंह ने कहा ‘कोसली के विधायक अनिल यादव, नाट सुनील यादव। एसडीएम साहब अगर नाम याद नहीं रहता, तो लिखकर तो ले आते।’
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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अधिकारी जनप्रतिनिधियों का सम्मान करना सीख लें, यही मोदी सरकार की नीति भी है। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को हर पांच साल में इम्तिहान देना पड़ता है। अधिकारी एक बार इम्तिहान देने के बाद 30-35 साल तक नौकरी करते हैं।

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