प्रो.जेपी यादव होंगे आइजीयू के कुलपति
मीरपुर स्थित इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय (आइजीयू) के नए कुलपति प्रो. जयप्रकाश यादव होंगे।

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: मीरपुर स्थित इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय (आइजीयू) के नए कुलपति प्रो. जयप्रकाश यादव होंगे। आगामी तीन वर्षों तक वह विवि के कुलपति रहेंगे। प्रो. एसके गक्खड़ आइजीयू के कुलपति के पद से 31 मार्च को सेवानिवृत्त हुए हैं। कुलाधिपति एवं राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय द्वारा प्रो. जयप्रकाश यादव को यह जिम्मेदारी सौंपी है।
महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक के जेनेटिक्स विभाग अध्यक्ष एवं प्रोफेसर जेपी यादव बहुमुखी प्रतिभा के धनी रहे हैं। प्रोफेसर यादव को 15 वर्षों का प्रशासनिक एवं 30 वर्षों का शैक्षणिक अनुभव प्राप्त है। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक में अनेक महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए विश्वविद्यालय द्वारा सौंपे गए उत्तरदायित्वों का कुशलता पूर्वक निर्वहन करते रहे हैं। प्रो. यादव ने वनस्पति विज्ञान से एमएससी एवं पीएचडी की है। विभिन्न प्रतिष्ठित राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय जर्नल में उनके 143 शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं तथा चार पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में 56 शोध पत्र प्रस्तुत किए हैं। 55 राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय शोध जर्नल की पुनरीक्षण समिति के सदस्य रहे हैं। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में रहते हुए उन्होंने पांच रिसर्च प्रोजेक्ट प्राप्त किए हैं, जिनमें से तीन प्रोजेक्ट विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से प्राप्त हुए हैं। एक प्रोजेक्ट नेशनल मेडिकल प्लांट बोर्ड नई दिल्ली एवं एक डीएसटी नई दिल्ली की तरफ से मिला है।
प्रोफेसर यादव के मार्गदर्शन में 26 शोधार्थी पीएचडी की डिग्री प्राप्त कर चुके हैं। इसके अतिरिक्त वह विश्वविद्यालय प्रशासन की अनेक परामर्श समितियों के सदस्य रह चुके हैं। इनमें मुख्य वार्डन, नोडल अधिकारी एनआईआरएफ, लोकल कोआर्डिनेटर जी आईएएन एवं विश्वविद्यालय की कार्यकारिणी समिति का सदस्य प्रमुख हैं। प्रोफेसर जेपी यादव मूल रूप से जिला झज्जर के खातीवास गांव के निवासी हैं। आइजीयू के कुलसचिव प्रोफेसर प्रमोद कुमार ने कहा कि प्रो. जयप्रकाश जैसे शिक्षाविद का विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में मिलना हमारे लिए सौभाग्य की बात है। विश्वविद्यालय उनके नेतृत्व में चहुंमुखी विकास करेगा और उनके मार्गदर्शन में विश्वविद्यालय के शोध कार्यों को एक नई दिशा मिल सकेगी।
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