Tokyo Paralympics: जैवलिन थ्रोअर टेकचंद की कैटेगरी व इवेंट में अचानक बदलाव, अब भाला नही फेंकेंगे
जापान की राजधानी टोक्यो में पैरालिंपिक के उद्घाटन समारोह में ध्वजवाहक रहे टेकचंद अब भाला नहीं गोला फेंक स्पर्धा में हिस्सा लेंगे। टेकचंद की कैटेगरी के साथ ही इवेंट भी बदल दिया गया है जिसके कारण उनके प्रदर्शन पर असर पड़ सकता है।

रेवाड़ी [अमित सैनी]। जापान की राजधानी टोक्यो में पैरालिंपिक के उद्घाटन समारोह में ध्वजवाहक रहे टेकचंद अब भाला नहीं गोला फेंक स्पर्धा में हिस्सा लेंगे। टेकचंद की कैटेगरी के साथ ही इवेंट भी बदल दिया गया है जिसके कारण उनके प्रदर्शन पर असर पड़ सकता है। 27 अगस्त को भारतीय समयानुसार शाम पांच बजे उनका मुकाबला है। टेकचंद की कैटेगरी एफ 54 थी लेकिन पैरालिंपिक कमेटी ने जांच के बाद उनकी कैटेगरी को एफ 55 कर दिया है। एफ-54 कैटेगरी में उनको भाला फेंक में हिस्सा लेना था लेकिन एफ-55 कैटेगरी में अब वह गोला फेंक में हिस्सा लेंगे।
पैरालिंपिक कमेटी ही करती है कैटेगरी की जांच
उपमंडल बावल के रहने वाले टेकचंद एफ 54 कैटेगरी में भाला फेंक की तैयारी में ही जुटे हुए थे। टोक्यो जाने के पश्चात पैरालिंपिक कमेटी की ओर से भी कैटेगरी जांच की जाती है। कमेटी ने जांच के पश्चात टेकचंद की कैटेगरी एफ 54 की बजाय एफ 55 कर दी है। एफ 55 कैटेगरी में टेकचंद भाला फेंक नहीं बल्कि गोला फेंक में हिस्सा लेंगे। वैसे तो टेकचंद शाटपुट यानी गोला फेंक स्पर्धा में भी पदक हासिल कर चुके हैं लेकिन इस बार उन्होंने इस खेल की प्रैक्टिस ही नहीं की।
ऐसे में अचानक से कैटेगरी का बदलना उनके लिए परेशानी का सबब बन गया है। दैनिक जागरण ने टोक्यो में पसीना बहा रहे टेकचंद से दूरभाष पर बातचीत की तो उन्होंने भी इस बात की पुष्टि की कि उनकी कैटेगरी कमेटी की जांच के बाद बदल दी गई है। वह पिछले दो माह से भाला फेंक की ही तैयारी में जुटे थे। अब गोला फेंक की तैयारी के लिए उनको दो दिन का ही समय मिला है क्योंकि 27 अगस्त को उन्हें प्रतियोगिता में हिस्सा लेना है। हालांकि उन्होंने कहा कि वह एफ 55 कैटेगरी में भी बेहतर प्रदर्शन करके देश के लिए मेडल जीतने का पूरा प्रयास करेंगे।
भाला और गोले के वजन में है काफी अंतर
टेकचंद जिस भाला फेंक स्पर्धा की तैयारी में जुटे थे उसमें उनका खेल काफी निखर चुका था। दिव्यांग टेकचंद के लिए भाला की बजाय गोला फेंकना इसलिए उनके प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है क्योंकि गोले का वजन भाले से काफी ज्यादा होता है। भाले का वजन जहां आधा किलो के लगभग होता है वहीं गोले का वजन चार किलो के लगभग होता है।
एथलेटिक कोच अनिल यादव ने कहा कि जो भी एथलीट पैरालिंपिक में जाते हैं उनकी वहां की कमेटी द्वारा कैटेगरी जांच की जाती है। टेकचंद एफ 54 कैटेगरी में तैयारी कर रहे थे लेकिन लगातार प्रैक्टिस करने से उनकी कुछ मांसपेशियां व शरीर के अंग अधिक एक्टीव हो गए हैं। कमर के नीचे के अंगों के अधिक एक्टीव पाए जाने पर उनकी कैटेगरी को एफ 54 से बढ़ाकर एफ 55 किया गया है। कैटेगरी बदलना कोई नई बात नहीं है। खिलाड़ियों की कैटेगरी बदलती रहती है। टेकचंद के लिए ऐन वक्त पर कैटेगरी बदलना चुनौतीपूर्ण जरूर हो गया है लेकिन हमें पूरा विश्वास है कि वह इस कैटेगरी में भी पदक जीतेंगे।
टेकचंद के पूर्व कोच व खेल एवं युवा कार्यक्रम विभाग के सहायक निदेशक सतबीर सिंह ने कहा कि टेकचंद की मांसपेशियों व कुछ अंगों में आई सक्रियता के कारण कैटेगरी बदली गई है। मैंने प्रैक्टिस के दौरान उनसे इस विषय में चर्चा भी की थी। टेकचंद को ज्यादा परेशान होने की आवश्यकता नहीं क्योंकि वह शाटपुट के भी अच्छे खिलाड़ी रहे हैं। निश्चित तौर पर वह इस स्पर्धा में भी पदक जीतेंगे।
टेकचंद की विशेष उपलब्धियां
- अंतराष्ट्रीय स्तर पर एफ-54 वर्ग में शाटपुट और जेवलिन थ्रो में प्रतिभागिता।
- वर्ष 2018 में विश्व पैरा एथलेटिक्स- ग्रांड प्रिक्स की शाटपुट में रजत पदक।
- वर्ष 2018 में जकार्ता एशियाई खेलों में शाटपुट में कांस्य पदक।
- वर्ष 2018 को पंचकुला में आयोजित 18वें नेशनल पैरा एथलेटिक चैंपियनशिप में शाटपुट और जेवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक।
- इसी वर्ष बेंगलुरु में आयोजित 19वें नेशनल पैरा एथलेटिक चैंपियनशिप में जेवलिन, डिस्कस और शाटपुट में स्वर्ण पदक।
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